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बिहार में नैरोबी मक्खी का खौफ, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

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Published : Jul 6, 2022, 5:20 PM IST

बिहार में भी नैरोबी मक्खी (Nairobi Fly) का खतरा मंडरा रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने किशनगंज में इसको लेकर के अलर्ट जारी कर दिया है. ऐसे में चिकित्सक के नजरिए से जानते हैं कि यह नैरोबी फ्लाई होता क्या है? किस प्रकार लोगों के स्वास्थ्य को यह नुकसान पहुंचाता है और इससे बचाव के क्या उपाय हैं. पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

Nairobi Fly Terror On Kishanganj
Nairobi Fly Terror On Kishanganj

पटना: कोरोना संक्रमण के चौथी लहर की आशंका के बीच देश के कुछ हिस्से उत्तर बंगाल, सिक्किम के इलाकों में नैरोबी मक्खी का प्रकोप बढ़ने लगा है. इसे एसिड फ्लाई भी कहा जाता है. सिलीगुड़ी और सिक्किम के इलाकों में सैकड़ों लोग नैरोबी मक्खी (Acid Fly In Kishanganj) की चपेट में आए हैं. इसके फैलने की रफ्तार काफी तेज है. किशनगंज (Nairobi Fly Terror On Kishanganj ) में भी यह मक्खी प्रवेश कर चुका है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट (Bihar Health Department Alert) किया है.

पढ़ें- सावधान..! बिहार में मंडरा रहा 'नैरोबी मक्खी' का खतरा, एसिड फ्लाई को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

किशनगंज और पूर्णिया पर नैरोबी मक्खी का खतरा: दरअसल उत्तर बंगाल से सटा हुआ बिहार का किशनगंज और पूर्णिया का इलाका पड़ता है जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने किशनगंज में इसको लेकर के अलर्ट जारी कर दिया है. पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ मनोज कुमार सिन्हा बताते हैं कि यह नैरोबी फ्लाई पहाड़ी एरिया में देखने को मिलते हैं और यह फ्लाई देसी नहीं है लेकिन प्रजनन के अनुकूल माहौल और पर्याप्त खाद्य आपूर्ति की तलाश में नए क्षेत्रों में आते जाते रहते हैं.

"किशनगंज उत्तर बंगाल से सटा हुआ इलाका है और सिलीगुड़ी के इलाके में इसके मामले बढ़ने लगे हैं तो संभव है कि यह कीड़ा उड़कर किशनगंज के इलाके में भी पहुंच जाए. इसको लेकर अधिक पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत जैसे देश में इस प्रकार के कीड़े का पाया जाना सामान्य बात है."- डॉ मनोज कुमार सिन्हा, वरिष्ठ चिकित्सक

नेरौबी की ऐसे करें पहचान: डॉ मनोज कुमार ने बताया कि नैरोबी फ्लाई दिखने में चींटें के आकार का होता है, इसमें पंख लगे होते हैं, पीछे का इसका पार्ट कर्व होता है और गहरे काले रंग का होता है. यह कीड़ा काटता नहीं है लेकिन यह शरीर पर जब बैठता है और इसे जब छुआ जाता है या फिर इसे मसलने का प्रयास किया जाता है तो यह कीड़ा लिक्विड फॉर्म में टॉक्सिक पदार्थ रिलीज करता है जिसे पेडरिन कहा जाता है.

एसिड फ्लाई पहुंचा सकता है नुकसान: पेडरिन टॉक्सिक लिक्विड शरीर पर कम पीएच के एसिड जैसा काम करता है और इससे स्किन में जलन, जलने जैसा दाग और इस प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं. यदि स्किन पर कीड़े के चिपकने से जो जहरीला पदार्थ गिरा है उसको कोई छूकर आंखों को छूता है तो आंखों की रोशनी तक को यह कमजोर कर देता है. अगर शरीर के कटे फटे हिस्से में यह टॉक्सिक मटेरियल चला जाता है तो शरीर के कई ऑर्गन को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है.

अंधा बना देती है एसिड फ्लाई: ये मक्खियां काटती नहीं हैं पर शरीर पर बैठने से जहरीला तरल पदार्थ छोड़ती है जिससे लोगों को त्वचा में जलन और जगह जगह पर इंफेक्शन हो जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि अगर मक्खी शरीर पर बैठे या चिपके तो उसे छूना नहीं चाहिए. छूने पर या इसे मसलने से यह एसिड जैसा जहरीला पदार्थ छोड़ती है, जिसे पेडरिन नाम से जाना जाता है. पेडरिन बहुत हानिकारक होता है. इस पेडरिन के त्वचा के सम्पर्क में आने से यह रासायनिक जलन पैदा करता है. आंखों को मसलते वक्त अगर यह खतरनाक पेडरिन आंखों तक पहुंच जाता है तो कुछ देर के लिए संक्रमित व्यक्ति अंधेपन में भी चला जाता है.

क्या है नैरोबी फ्लाई?: नैरोबी फ्लाई एक अफ्रीकी कीट है, जिसमें पेडिटिन (Peditin) नामक एसिड होता है. यह किसी को काटता नहीं, लेकिन इसके शरीर में मौजूद एसिड मानव शरीर के संपर्क में आने के बाद त्वचा में जलन और पीड़ा पैदा करता है. यह कीट अत्यधिक वर्षा वाले इलाकों में पाया जाता है. इस बार हिमालय की तलहटी वाले क्षेत्रों में अच्छी वर्षा के चलते पिछले सालों के मुकाबले इनमें काफी बढ़त देखने को मिली है.

इन लक्षणों को ना करें नजर अंदाज: डॉक्टरों ने इस कीट को लेकर बताया है कि इसके संपर्क में आने से व्यक्ति की त्वचा में लाली और जलन से साथ दर्द महसूस होता है. इसके साथ कुछ लोगों में बुखार और उल्टी की समस्या भी देखने को मिल रही है. अगर किसी को शरीर में ऐसे लक्षण दिखाई दें तो वे तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें. डॉक्टरों के मुताबिक, इससे ठीक होने में व्यक्ति को 8-10 दिन का समय लग सकता है.

पटना: कोरोना संक्रमण के चौथी लहर की आशंका के बीच देश के कुछ हिस्से उत्तर बंगाल, सिक्किम के इलाकों में नैरोबी मक्खी का प्रकोप बढ़ने लगा है. इसे एसिड फ्लाई भी कहा जाता है. सिलीगुड़ी और सिक्किम के इलाकों में सैकड़ों लोग नैरोबी मक्खी (Acid Fly In Kishanganj) की चपेट में आए हैं. इसके फैलने की रफ्तार काफी तेज है. किशनगंज (Nairobi Fly Terror On Kishanganj ) में भी यह मक्खी प्रवेश कर चुका है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट (Bihar Health Department Alert) किया है.

पढ़ें- सावधान..! बिहार में मंडरा रहा 'नैरोबी मक्खी' का खतरा, एसिड फ्लाई को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

किशनगंज और पूर्णिया पर नैरोबी मक्खी का खतरा: दरअसल उत्तर बंगाल से सटा हुआ बिहार का किशनगंज और पूर्णिया का इलाका पड़ता है जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने किशनगंज में इसको लेकर के अलर्ट जारी कर दिया है. पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ मनोज कुमार सिन्हा बताते हैं कि यह नैरोबी फ्लाई पहाड़ी एरिया में देखने को मिलते हैं और यह फ्लाई देसी नहीं है लेकिन प्रजनन के अनुकूल माहौल और पर्याप्त खाद्य आपूर्ति की तलाश में नए क्षेत्रों में आते जाते रहते हैं.

"किशनगंज उत्तर बंगाल से सटा हुआ इलाका है और सिलीगुड़ी के इलाके में इसके मामले बढ़ने लगे हैं तो संभव है कि यह कीड़ा उड़कर किशनगंज के इलाके में भी पहुंच जाए. इसको लेकर अधिक पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत जैसे देश में इस प्रकार के कीड़े का पाया जाना सामान्य बात है."- डॉ मनोज कुमार सिन्हा, वरिष्ठ चिकित्सक

नेरौबी की ऐसे करें पहचान: डॉ मनोज कुमार ने बताया कि नैरोबी फ्लाई दिखने में चींटें के आकार का होता है, इसमें पंख लगे होते हैं, पीछे का इसका पार्ट कर्व होता है और गहरे काले रंग का होता है. यह कीड़ा काटता नहीं है लेकिन यह शरीर पर जब बैठता है और इसे जब छुआ जाता है या फिर इसे मसलने का प्रयास किया जाता है तो यह कीड़ा लिक्विड फॉर्म में टॉक्सिक पदार्थ रिलीज करता है जिसे पेडरिन कहा जाता है.

एसिड फ्लाई पहुंचा सकता है नुकसान: पेडरिन टॉक्सिक लिक्विड शरीर पर कम पीएच के एसिड जैसा काम करता है और इससे स्किन में जलन, जलने जैसा दाग और इस प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं. यदि स्किन पर कीड़े के चिपकने से जो जहरीला पदार्थ गिरा है उसको कोई छूकर आंखों को छूता है तो आंखों की रोशनी तक को यह कमजोर कर देता है. अगर शरीर के कटे फटे हिस्से में यह टॉक्सिक मटेरियल चला जाता है तो शरीर के कई ऑर्गन को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है.

अंधा बना देती है एसिड फ्लाई: ये मक्खियां काटती नहीं हैं पर शरीर पर बैठने से जहरीला तरल पदार्थ छोड़ती है जिससे लोगों को त्वचा में जलन और जगह जगह पर इंफेक्शन हो जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि अगर मक्खी शरीर पर बैठे या चिपके तो उसे छूना नहीं चाहिए. छूने पर या इसे मसलने से यह एसिड जैसा जहरीला पदार्थ छोड़ती है, जिसे पेडरिन नाम से जाना जाता है. पेडरिन बहुत हानिकारक होता है. इस पेडरिन के त्वचा के सम्पर्क में आने से यह रासायनिक जलन पैदा करता है. आंखों को मसलते वक्त अगर यह खतरनाक पेडरिन आंखों तक पहुंच जाता है तो कुछ देर के लिए संक्रमित व्यक्ति अंधेपन में भी चला जाता है.

क्या है नैरोबी फ्लाई?: नैरोबी फ्लाई एक अफ्रीकी कीट है, जिसमें पेडिटिन (Peditin) नामक एसिड होता है. यह किसी को काटता नहीं, लेकिन इसके शरीर में मौजूद एसिड मानव शरीर के संपर्क में आने के बाद त्वचा में जलन और पीड़ा पैदा करता है. यह कीट अत्यधिक वर्षा वाले इलाकों में पाया जाता है. इस बार हिमालय की तलहटी वाले क्षेत्रों में अच्छी वर्षा के चलते पिछले सालों के मुकाबले इनमें काफी बढ़त देखने को मिली है.

इन लक्षणों को ना करें नजर अंदाज: डॉक्टरों ने इस कीट को लेकर बताया है कि इसके संपर्क में आने से व्यक्ति की त्वचा में लाली और जलन से साथ दर्द महसूस होता है. इसके साथ कुछ लोगों में बुखार और उल्टी की समस्या भी देखने को मिल रही है. अगर किसी को शरीर में ऐसे लक्षण दिखाई दें तो वे तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें. डॉक्टरों के मुताबिक, इससे ठीक होने में व्यक्ति को 8-10 दिन का समय लग सकता है.

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