पटना: कोरोना काल ने न्यायिक व्यवस्था के सामने चुनौती खड़ी की. न्यायालय में केसों का अंबार लग गया है और लोग न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं. हजारों की संख्या में लोग सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में बंद हैं.
पटना हाई कोर्ट में जजों की संख्या कम होने के चलते भी लोगों को न्याय मिलने में देर हो रही है. हाई कोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 53 हैं. वर्तमान में 22 जज ही कार्यरत हैं. 20 मार्च 2020 को पटना हाई कोर्ट में अंतिम रूप से भौतिक कोर्ट चला था. मार्च महीने से ही वर्चुअल कोर्ट की शुरुआत की गई थी. संकट की स्थिति में न्यायालय के सामने लंबित केसों की संख्या लगातार बढ़ती गई.
पटना उच्च न्यायालय के समक्ष 2020 की शुरुआत में 77010 केस लंबित थे. 2020 में 35430 नए मामले सामने आए, जिसमें 36543 मामलों का डिस्पोजल हुआ. वर्तमान में कुल 75897 केस लंबित हैं. सिविल मामलों में भी 2020 की शुरुआत में 95415 केस लंबित थे. 2020 में 11487 नए मामले दर्ज हुए. 10952 मामलों का डिस्पोजल हुआ. वर्तमान में 95950 केस लंबित हैं.
पटना उच्च न्यायालय में लगा केसों का अंबार
पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता रामाकांत शर्मा ने कहा "पटना उच्च न्यायालय में कभी भी न्यायाधीशों की संख्या पर्याप्त नहीं रही है. 53 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद हैं. आधे न्यायाधीश इन दिनों सेवारत हैं, जिसके चलते पेंडिंग मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकार को जल्द जजों की संख्या बढ़ानी चाहिए."
"कोरोना काल ने न्यायिक व्यवस्था के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. फिजिकल कोर्ट बंद होने के चलते जहां लोगों को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है वहीं, वकीलों के लिए भी चौतरफा संकट है. 2020 में उच्च न्यायालय के समक्ष अपराध से जुड़े 50 हजार से ज्यादा मामले आए जबकि डिस्पोजल मामलों की संख्या बेहद कम रही. इसका नतीजा है कि जिस मामले में 4 महीने, 6 महीने या डेढ़ साल तक की सजा है आरोपी सजा पूरी होने के बाद भी जेल में बंद हैं. हम लोग केस फाइल तो करते हैं, लेकिन लंबे इंतजार के बाद नंबर आता है और लोगों को न्याय मिलने में देर हो रही है."- डॉ विपिन चंद्रा, वकील, पटना उच्च न्यायालय
"न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या बेहद कम है, जिसके चलते लंबित केसों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकार इस पर गंभीर है. जल्द ही न्यायाधीशों की नियुक्ति का रास्ता निकाला जाएगा."- ललित किशोर, अपर महाधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय