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पटना: मां दुर्गा के लिए शिक्षक की अनोखी भक्ति, 9 दिनों तक सीने पर रखते हैं 11कलश

पिशु राज ने कहा कि वे अपने छात्रों के साथ-साथ परिवार और राज्यवासियों के लिए ये कठिन साधना करते हैं. इस दौरान नौ दिनों तक वे कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं.

पटना
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Published : Oct 6, 2019, 6:53 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 8:26 PM IST

पटना: देवी-देवताओं को मनाने के लिए भक्त कई तरीके अपनाते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण राजधानी के रुपसपुर स्थित मां दुर्गा के पूजा पंडाल में दिखने को मिला. जहां पेशे से शिक्षक एक भक्त ने नवरात्रि के दौरान अपनी छाती पर कलश रखा हुआ है. भक्त का नाम पिशु राज है. ये पिछले चार साल से यूं ही नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना कर रहे हैं.

पटना
यूं अपनी छाती पर 11 कलश रखते हैं 9 दिनों तक

'मां के आशीर्वाद से होता हैं मुमकिन'
मूल रूप से बिक्रम पाली के रहने वाले पिशु राज ने कहा कि वे अपने छात्रों के साथ-साथ परिवार और राज्यवासियों के लिए ये कठिन साधना करते हैं. इस दौरान नौ दिनों तक वे कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं. उनकी छाती पर एक के ऊपर एक कुल 11 कलश होते हैं. उसके संतुलन के लिए वो हिलते भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ये सब कुछ मां दुर्गा के आशीर्वाद से ही संभव हो पाता हैं.

पेश है रिपोर्ट

देखने के लिए दूर-दराज से आते हैं लोग
पिशु राज ने बताया कि चार साल पहले अचानक मन में ख्याल आया कि नवरात्र के दौरान कलश बिठाया जाए तो मैंने 2016 से अपने सीने पर कलश बिठाने की शुरुआत कर दी. उन्होंने कहा कि मां ने चाहा तो ये आराधना इसी तरह आगे भी जारी रहेगी. रुपसपुर दुर्गा पूजा के आयोजकों ने बताया कि पिशु राज चार साल पहले आ कर अपनी मंशा जाहिर की तो हमें आश्चर्य हुआ था. लेकिन, ये 2016 से लगातार इसी तरह इस कठिन व्रत को कर रहे हैं. इन्हें देखने के लिए दूर-दराज से लोग यहां पहुंच रहे हैं.

पटना: देवी-देवताओं को मनाने के लिए भक्त कई तरीके अपनाते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण राजधानी के रुपसपुर स्थित मां दुर्गा के पूजा पंडाल में दिखने को मिला. जहां पेशे से शिक्षक एक भक्त ने नवरात्रि के दौरान अपनी छाती पर कलश रखा हुआ है. भक्त का नाम पिशु राज है. ये पिछले चार साल से यूं ही नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना कर रहे हैं.

पटना
यूं अपनी छाती पर 11 कलश रखते हैं 9 दिनों तक

'मां के आशीर्वाद से होता हैं मुमकिन'
मूल रूप से बिक्रम पाली के रहने वाले पिशु राज ने कहा कि वे अपने छात्रों के साथ-साथ परिवार और राज्यवासियों के लिए ये कठिन साधना करते हैं. इस दौरान नौ दिनों तक वे कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं. उनकी छाती पर एक के ऊपर एक कुल 11 कलश होते हैं. उसके संतुलन के लिए वो हिलते भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ये सब कुछ मां दुर्गा के आशीर्वाद से ही संभव हो पाता हैं.

पेश है रिपोर्ट

देखने के लिए दूर-दराज से आते हैं लोग
पिशु राज ने बताया कि चार साल पहले अचानक मन में ख्याल आया कि नवरात्र के दौरान कलश बिठाया जाए तो मैंने 2016 से अपने सीने पर कलश बिठाने की शुरुआत कर दी. उन्होंने कहा कि मां ने चाहा तो ये आराधना इसी तरह आगे भी जारी रहेगी. रुपसपुर दुर्गा पूजा के आयोजकों ने बताया कि पिशु राज चार साल पहले आ कर अपनी मंशा जाहिर की तो हमें आश्चर्य हुआ था. लेकिन, ये 2016 से लगातार इसी तरह इस कठिन व्रत को कर रहे हैं. इन्हें देखने के लिए दूर-दराज से लोग यहां पहुंच रहे हैं.

Intro:देवी-देवताओं को खुश करने के लिए भक्त कई तरीके अपनाते हैं। ऐसे ही एक भक्त हैं पटना से सटे बिक्रम पाली के रहने वाले पिशु राज जो पेशे से एक शिक्षक है और पिछले 4 साल से नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा इस अंदाज में करते हैं कि देखने वालों के मुंह खुले के खुले रह जाते हैं। दरअसल पिशु राज हर साल की तरह इस साल भी अपने सीने पर 11 कलश की स्थापना कर मां दुर्गा की पूजा कर रहे हैं। Body:पटना के रुपसपुर स्थित मां दुर्गा के पूजा पंडाल में पिशु राज अपने सीने पर कलश की स्थापना करते है और इस दौरान वह खाना-पीना तो दूर, हिलते तक नहीं हैं। पिशु राज पिछले 11 साल से इस तरह देवी की आराधना करते आ रहे हैं। वह बताते हैं कि उन्हें ऐसा करने की ताकत देवी से मिलती है। पेशे से शिक्षक पिशु राज बताते है कि उनके मन मे चार साल पहले अचानक ये ख्याल आया कि वो हर नवरात्र को अलग तरह से मां की आराधना करेंगे ,बस क्या था 2016 में पिशु राज ने अपने सीने पर कलश की स्थापना कर नवरात्र करने का फैसला लिया और रुपसपुर पूजा पंडाल में मां की आराधना में नवरात्र शुरू कर दी। इस नवरात्र में उनकी आराधना के 4 साल पूरे हो गए है और वो कहते है कि आगे भी मां का आदेश हुआ तो वो इसी तरह नवरात्र करते रहेंगे। उनका कहना है कि वो ऐसा अपने विद्यार्थियों की सुख समृद्धि के साथ साथ पटना और बिहार वासियो की शांति के लिए इस तरह का कठोर व्रत रखते है जिसमे उन्हें मां दुर्गा शक्ति देती है।Conclusion:वही पूजा पंडाल आयोजको का कहना है कि चार साल पहले पिशु राज रूपसपुर आये और अपनी मन की बात जाहिर की जिसके बाद पहले तो थोड़ा आश्चर्य हुआ पर बाद में जब वो ये कठोर व्रत रखने लगे तो इस पूजा पंडाल पर दूर दराज से लोग उन्हें देखने आने लगे और लोगो के बीच उनकी श्रद्धा बढ़ती गई। आयोजको का कहना है कि बिहार की सुख समृद्धि के लिए पिशु राज ये व्रत रखते है और इस 9 दिन खाना पीना तो दूर वो हिलते तक नही है।
बाईट - पिशु राज - कलश रखने वाले शिक्षक
बाईट - रत्नेश प्रसाद - पुजारी
बाईट - ब्रजभूषण - आयोजक
Last Updated : Oct 6, 2019, 8:26 PM IST
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