पटना: पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पूर्व मध्य रेलवे ने अब ट्रेनों को डीजल इंजन के बजाए इलेक्ट्रिक इंजन से चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. पूर्व मध्य रेल ने 84 फीसदी रेलमार्ग विद्युतीकृत किए हैं. दो साल में 792 किलोमीटर का विद्युतीकरण हुआ. इन पर ट्रेनों के आवागमन से डीजल के सापेक्ष 833 करोड़ रुपये की बचत हुई.
विद्युतीकरण चल रहा है काम
अब तक पूर्व मध्य रेल द्वारा लगभग 4008 रूट किलोमीटर में से 3369 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है. साल 2019 में 565 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण पूरा किया गया है. जबकि साल 2020- 21 के नवंबर महीने में 227 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण कार्य पूरा किया जा चुका है. शीघ्र ही सभी रेल मार्गों को विद्युतीकृत कर लिया जाएगा. इस प्रकार पूर्व मध्य रेल के पांच में से पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सोनपुर और दानापुर सहित कुल 3 मंडल शत-फीसदी विद्युतीकृत किए जा चुके हैं.
रेल परिचालन शुरू
पूर्व मध्य रेल के पांचों मंडल में पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल को भारतीय रेल का पहला शत फीसदी विद्युतीकृत रेल मंडल होने का गौरव प्राप्त है. अप्रैल 2018 से ही 232 ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ हो चुका है. मंडल के किउल-गया, आरा-सासाराम, मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज-वाल्मीकिनगर, सगौली-रक्सौल, फतुहा-इस्लामपुर, दनियावां-बिहार शरीफ, कोडरमा-हजारीबाग सहित कई रेलखंडों पर डीजल लोको के बजाए इलेक्ट्रिक लोको का परिचालन शुरू किया गया है.
डीजल के मद में कम व्यय
विद्युत इंजन से परिचालन होने के परिणाम स्वरूप एचएसडी तेल की बचत के कारण रेल राजस्व की बचत हो रही है. साल 2019-20 में विद्युतीकरण से डीजल के मद में व्यय होने वाले 362 करोड़ की बचत हुई है. इसी तरह चालू वित्त वर्ष 2020-21 के नवंबर महीने तक डीजल के मद में व्यय होने वाले 471 करोड़ रुपये की बचत हुई है.
डीजल रेल निर्भरता कम
विद्युतीकरण से कई फायदे हुए एक ओर जहां ट्रेनों और मालगाड़ियों की गति में वृद्धि हुई. वहीं, विद्युत इंजन से ट्रेनों के परिचालन से समय से होने लगी है. डीजल क्रय में राजस्व की बचत करते हुए डीजल पर निर्भरता समाप्त करने में मदद मिल रही है.