पटना: बिहार में जीरो टॉलरेंस की नीति (Zero Tolerance For Corruption In Bihar) के तहत लगातार कार्रवाई हो रही है. निगरानी विभाग, विशेष निगरानी यूनिट और आर्थिक अपराध इकाई द्वारा राज्य के भ्रष्ट अफसरों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. बिहार में पिछले 3 महीनों में लगभग 20 अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और लगभग 600 करोड़ की अवैध संपत्ति जब्त की गई है.
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जब्त राशि से राज्य सरकार चाहे तो, आम लोगों के रोजगार के लिए कुछ योजना शुरू कर सकती है. कहीं ना कहीं यह माना जा सकता है कि, भ्रष्टाचार एक बड़ा कारण है, जिस वजह से जन कल्याण योजना का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा बालू के अवैध धंधे में करोड़ों रुपए कमाने वाले 9 पदाधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में कार्रवाई हुई है.
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वहीं लगभग 20 लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई हुई है. उनमें कुलपति, मंत्री के आप्त सचिव, जेलर, डीटीओ, एसपी ,एसडीपीओ, थाना प्रभारी, कार्यपालक अभियंता, सीओ समेत कई बड़े सरकारी अधिकारी शामिल हैं. छापेमारी के दौरान अधिकारियों और पदाधिकारियों के आलीशान घरों को देखकर आर्थिक अपराध इकाई और निगरानी विभाग के पैरों तले जमीन खिसक गई थी.
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हालांकि इनमें से 19 में से 5 के पास से ही 300 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का पता चला है. आपको बता दें कि, डीएसएलआर राजेश कुमार गुप्ता की अचल संपत्ति का बाजार मूल्य और चल संपत्ति को जोड़ दिया जाए तो, अकेले इनके पास ही 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का पता चला है. इसके अलावे एएलईओ दीपक कुमार शर्मा, खनन मंत्री के आप्त सचिव रहे मृत्युंजय कुमार, तत्कालीन एमवीआई मृत्युंजय कुमार सिंह और पूर्व बीडीओ अजय कुमार ठाकुर शामिल हैं.
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किसकी कितनी संपत्ति हुई जब्त: भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता मदन कुमार के पास से जमीन के 22 प्लॉट, 1 करोड़ बैलेंस, 11 लाख कैश बरामद हुआ था. पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता कौंतेय कुमार के पास से 50 लाख के गहने, 20 लाख कैश, पटना और रांची में तीन फ्लैट मिले हैं. मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के पास से 2 करोड़ कैश, 20 लाख के गहने और अनेक स्थानों पर जमीन बरामद किए गए हैं. खनन मंत्री के आप्त सचिव मृत्युंजय कुमार से 30 लाख कैश, 60 लाख के गहने और 40 सोने के बिस्किट मिले हैं.
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वहीं बेतिया के सीईओ श्यामकांत प्रसाद 10 लाख कैश, 1 किलो सोना, 3 किलो चांदी, ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार सिंह से 95 लाख कैश, ढाई किलो सोना, 18 किलो चांदी और 1 दर्जन से ज्यादा जमीन के कागजात, रोहतास के तत्कालीन डीएसएलआर राजेश कुमार गुप्ता के पास से 22 लाख कैश, 62 लाख के जेवरात, 7 बीघा से ज्यादा जमीन के कागजात मिले हैं.
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जहानाबाद के पूर्व डीटीओ अजय कुमार ठाकुर के पास से 70 लाख की एफडी, 70 लाख बैंक बैलेंस, 1 किलो सोना, 3 किलो चांदी, 11 से ज्यादा प्लॉट के कागजात, एलआईसी की 22 पॉलिसी, समस्तीपुर के सब रजिस्ट्रार मणि रंजन (Samastipur Sub Registrar Mani Ranjan) के पास से 82 लाख कैश, 20 लाख के जेवरात, मुजफ्फरपुर में होटल समेत एक दर्जन से ज्यादा जमीन के कागजात, हाजीपुर के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी दीपक कुमार शर्मा के पास से सवा दो करोड़ कैश, 25 से ज्यादा जमीन के कागजात और 30 लाख से ज्यादा के जेवरात जब्त किए गए हैं.
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इधर छपरा जेल अधीक्षक रामाधार सिंह (Vigilance Raid On Jail Superintendent Chhapra ) के पास से 19 लाख कैश, 35 लाख बैंक बैलेंस, 29 लाख के जेवरात, तीन मकान फ्लैट के अलावा 15 से ज्यादा जमीन के प्लॉट मिले हैं. पटना के तत्कालीन एसबीआई मृत्युंजय कुमार सिंह के पास से पटना के गोला रोड में ढाई करोड़ से ज्यादा का पेंट हाउस समेत रांची और पटना के कई स्थानों पर जमीन और मकान होने का पता चला.
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गौरतलब है कि, बिहार सरकार के अधीन काम करने वाले तीनों एजेंसी द्वारा लगातार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई के दौरान एक नए ट्रेंड का पता चला है. इसमें कुछ अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने, भ्रष्टाचार को लेकर अपनी पत्नी, साले समेत परिजनों के नाम पर फर्जी कंपनी बनाकर ब्लैक मनी को व्हाइट किया था.
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कई खातों से पैसे को घुमाते हुए फिर अपने खातों में लेने की बात भी सामने आई है. जिसकी गहन जांच विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही है. एमबीआई मृत्युंजय कुमार सिंह (EOU Raid on Mrityunjay Kumar Singh Residence), खनन विभाग के आप्त सचिव मृत्युंजय कुमार, समस्तीपुर के सब रजिस्ट्रार मनिरंजन, हाजीपुर के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी दीपक कुमार शर्मा, लालगंज के थाना अध्यक्ष चंद्र भूषण शुक्ला, मोतिहारी के जिला उत्पादक अधीक्षक अविनाश कुमार समेत अन्य ने मुख्य रूप से फर्जी कंपनी बनाकर ब्लैक मनी को व्हाइट करने का काम किया है.
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दरअसल, इस तरह के ट्रेंड पहले कारोबार में होते थे लेकिन जांच में पाया गया कि, अब भ्रष्ट अधिकारी भी इस ट्रेंड को अपनाने लगे हैं. दरअसल जांच में पाया गया है कि, रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी कंपनी खोलकर किसी तीसरे व्यक्ति या घूस लेने वाले से इन कंपनियों में पैसा जमा करवाया गया है. फिर इन कंपनियों के माध्यम से कई बैंक खातों से होते हुए अपने नजदीकी के बैंक के खाते में पैसे ट्रांसफर कराए जाते हैं, ताकि इन रुपए को लोन या किसी से लिए हुए कर्ज के तौर पर दिखाया जा सके.
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हालांकि राज्य सरकार के अधीन काम करने वाली एजेंसियों के द्वारा की गई कार्रवाई एक झलक मात्र है. अगर जांच इसी तरह से होती रही तो, सैकड़ों की संख्या में और भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खुल सकती है. एक तरफ बिहार गरीब राज्य में शामिल हैं तो, वहीं ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के पास से करोड़ों की अवैध संपत्ति बरामद हो रही है.
पुलिस मुख्यालय (Police Headquarters On Corruption) के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार की मानें तो, लगातार बिहार सरकार के अधीन काम करने वाली तीनों एजेंसियों के द्वारा भ्रष्ट लोक सेवक और अधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है. जिसके परिणाम स्वरुप कई और भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट तैयार की गई है.
"भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी और उनको मदद पहुंचाने वाले लोगों पर भी हमारी नजर है. इन पर भी जल्द कार्रवाई की जाएगी. किसी भी भ्रष्ट अधिकारी के बारे में बिहार की तीनों एजेंसियों को गुप्त सूचना दी जा सकती है. सूचना देने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी."- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
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