पटना: कोरोना संकटकाल (Corona Crisis) में लोगों की देसी चिकित्सा पद्धति के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है. सरकार भी महसूस करती है कि देसी शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देना चाहिए. इसी दिशा में स्वास्थ्य विभाग आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर आयुष चिकित्सकों (Ayush Doctors) की बहाली करने जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Mangal Pandey) ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग प्रदेश में देसी चिकित्सा पद्धति को विकसित करने का लगातार प्रयास कर रही है.
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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि बिहार में आयुष अस्पतालों की स्थिति को सुधारने के लिए पहल की जा रही है. इसके तहत देसी चिकित्सा कॉलेज और अस्पतालों को सुदृढ़ किया जा रहा है. इसके लिए आधारभूत संरचनाओं को मजबूत और चिकित्सकों के रिक्त पदों पर नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. उन्होंने कहा कि अगले साल जनवरी तक 3270 आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
मंगल पांडे ने कहा कि आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होम्योपैथिक चिकित्सकों की 3270 पदों पर नियुक्ति के लिए अधियाचना बिहार तकनीकी सेवा आयोग को भेजी गयी थी. इसके आलोक में आयोग द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. कुल 3270 पदों में से 50 फीसदी यानी 1635 पर आयुर्वेद, 30 फीसदी यानी 981 पर होमियोपैथी और 20 फीसदी यानी 654 पदों पर यूनानी चिकित्सक नियुक्त किये जाएंगे. राज्य सरकार के प्रयासों से प्रदेश में आयुष चिकित्सा के प्रति भी लोगों का आकर्षण बढ़ा है. राज्य आयुष समिति की रिपोर्ट भी इस बात की तस्दीक करती है कि प्रदेश के लोग एलोपैथी के साथ-साथ आयुष चिकित्सा को एक बेहतर विकल्प के रूप में देख रहे हैं.
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स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कहा कि आयुष चिकित्सा के विकास-विस्तार एवं इसकी सुविधा जन-जन तक पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है. राज्य के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कुल 1384 आयुष चिकित्सकों का चयन कर नियोजन किया गया है. आयुर्वेदिक के 704, होमियोपैथी के 428 और यूनानी के 252 चिकित्सक हैं. 3270 नियमित आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति होने से राज्य के लोग और बेहतर तरीके से अपना देसी चिकित्सा पद्धति से उपचार करा सकेंगे. इन चिकित्सकों की नियुक्ति आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक और यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के साथ-साथ अन्य अस्पतालों में की जाएगी.