पटना: प्रदेश में ब्लैक फंगस से पीड़ितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. राजधानी पटना में रविवार को ब्लैक फंगस के 22 नए मरीज मिले. इसके बाद मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 332 हो गया है.
AIIMS में भर्ती हैं ब्लैक फंगस के 108 मरीज
पटना के IGIMS में सर्वाधिक 9 मरीज ब्लैक फंगस के एडमिट हुए जबकि PMCH में आठ, पटना AIIMS में चार और रुबन हॉस्पिटल में एक मरीज को भर्ती कराया गया.
ये भी पढ़ें: पटना में कोरोना से रविवार को 11 मौतें, मरने वालों में 1 ब्लैक फंगस संक्रमित भी शामिल
पटना के AIIMS हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या 108 हो गई है. वहीं, पीएमसीएच में यह संख्या 20 है. पटना एम्स में ब्लैक फंगस के 85 मरीज एडमिट हैं. पटना एम्स में ब्लैक फंगस के जो 4 मरीज मिले हैं, वे कोरोना संक्रमित भी हैं. NMCH में रविवार को एक भी ब्लैक फंगस का मरीज एडमिट नहीं हुआ. यहां पर फिलहाल 3 मरीजों का इलाज चल रहा है.
पटना के आईजीआईएमएस और पटना एम्स में ब्लैक फंगस के सर्वाधिक मरीज भर्ती हैं. ऐसे में इन अस्पतालों में ब्लैक फंगस की दवा की बहुत किल्लत होने लगी है. दवाओं की डिमांड के अनुसार सप्लाई नहीं हो रही. पटना के विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में भी 60 से अधिक ब्लैक फंगस के मरीज एडमिट हैं.
ये भी पढ़ेंः Black Fungus: दांत में दर्द और मसूड़ों में सूजन भी है ब्लैक फंगस के लक्षण, ऐसे करें बचने के उपाय
जानिए डॉक्टर से बचाव के सलाह
इस बीच, पटना स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अनिल कुमार का कहना है कि ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है. पहले भी यह बीमारी थी. उन्होंने कहा कि इससे डरने नहीं बल्कि सचेत और जागरूक होने की जरूरत है.
''यह फंगस पहले भी था लेकिन कोरोना काल में यह ज्यादा प्रचलित हुआ, क्योंकि अधिक स्टेरॉइड्स की दवा चलाई गई. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन देने के वक्त सावधानियां नहीं बरती गई. ऑक्सीजन सिलेंडर का पाइप, मास्क और हयूमिड फायर का पानी प्रत्येक 24 घंटे में बदला जाना चाहिए.'' - डॉक्टर अनिल कुमार, टेलीमेडिसिन प्रमुख, एम्स
ये भी पढ़ेंः बिहार में ब्लैक फंगस का कहर, जानिए डॉक्टर से बचाव के सलाह
ब्लैक फंगस से डरने की जरूरत नहीं : डॉक्टर
पटना एम्स के टेलीमेडिसिन प्रमुख डॉक्टर अनिल का मानना है कि कोरोना के भय के कारण बिना किसी डॉक्टर के सलाह के स्टेरॉयड लेना ब्लैक फंगस का कारण बन सकता है. कोरोना काल में संक्रमण के कारण अचानक से ऐसे मामले बढ़े हैं. इसमें शुगर हाई होना, स्टेरॉयड का हाईडोज लेना, बिना एक्सपर्ट की निगरानी के डेक्सोना जैसे स्टेरॉयड की हाई डोज लेना बड़ा कारण बन सकता है.
''इससे डरने की जरूरत नहीं है. जो लोग स्वस्थ होते हैं उन पर ये हमला नहीं कर सकता है. हम इस बीमारी को जितनी जल्दी पहचानेंगे इसका इलाज उतना ही सफल होगा. ब्लैक फंगस की रोक के लिए लोगों को शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने की जरूरत है. शुगर (मधुमेह) को नियंत्रित करने की जरूरत है और हमें स्टेरॉयड कब लेना है, इसके लिए सावधान रहना चाहिए. सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए.'' - डॉक्टर अनिल कुमार, टेलीमेडिसिन प्रमुख, एम्स
क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से भी जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.
ये भी पढ़ेंः न कोरोना, न ही स्टेरॉइड का इस्तेमाल, फिर भी हुआ ब्लैक फंगस, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट