पटना: बीएसएससी ने सीजीएल-3 परीक्षा का रिजल्ट पिछले महीने ही जारी कर दिया गया और इसके साथ ही मुख्य परीक्षा की तिथि भी जारी कर दी गई है. रिजल्ट जारी होने के बाद से ही बीएसएससी अभ्यर्थी लगातार आयोग पर रिजल्ट में पारदर्शिता नहीं बरतने और धांधली करने का आरोप लगा रहें हैं. छात्र नेता सौरव कुमार ने 11 अभ्यर्थियों के साथ मिलकर हाईकोर्ट में अपील कर दिया है.
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आयोग के अध्यक्ष से नहीं मिला जवाब: छात्र नेता सौरव कुमार ने कहा कि हमने इस को लेकर के आयोग के अध्यक्ष से भी बात करने की कोशिश की लेकिन हमें वहां से कोई भी जवाब नहीं मिला. इसलिए अब हम लोग माननीय उच्च न्यायालय के सरण में गए हैं. जहां पर 5 जुलाई को सुनवाई हुई है, जिसमें आयोग को हलफनामा दायर करने को कहा गया है और इसके लिए 2 हफ्ते का समय दिया गया है. उन्होंने कहा कि हमें और हमारे साथ जो 11 पेटीशनर हैं, उन्हें पूरा भरोसा है कि 19 जुलाई को इस परीक्षा पर रोक लगेगी.
"इस को लेकर के आयोग के अध्यक्ष से भी बात करने की कोशिश की लेकिन हमें वहां से कोई भी जवाब नहीं मिला. इसलिए अब हम लोग माननीय उच्च न्यायालय के सरण में गए हैं. जहां पर 5 जुलाई को सुनवाई हुई है, जिसमें आयोग को हलफनामा दायर करने को कहा गया है और इसके लिए 2 हफ्ते का समय दिया गया है."- सौरव कुमार, छात्र नेता
आयोग में पारदर्शिता को लेकर आरोप: सौरव कुमार ने बताया कि आयोग को क्वेश्चन का आंसर, ओएमआर की कार्बन कॉपी, किस अभ्यर्थी को कितने अंक आए यह सब जारी करना चाहिए. आयोग के भीतर पारदर्शिता का अभाव है. करीब 9 लाख अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल हुए थे. सभी को जानने का यह हक है कितना अंक आया है. जब तक आयोग द्वारा इसमें पारदर्शिता नहीं आएगा तब तक आयोग पर उंगली उठती रहेगी.
पेपर लीक का आरोप: इस मामले में हाईकोर्ट में सौरव के साथ एक और पेटीशनर सूरज सिंह ने कहा कि 23 दिसंबर की दोनों पाली की परीक्षा और 24 दिसंबर को प्रथम पाली की परीक्षा में क्वेश्चन पेपर लीक हुई थी. प्रथम पाली की परीक्षा को पीपली के कारण रद्द कर दिया गया लेकिन अभ्यर्थियों ने जब दोनों दिन की परीक्षा में पेपर लीक की बातें की तो आयोग ने सबूत देने का समय दिया. उन लोगों ने आयोग को सभी सबूत मेल पर भेजा.
आनन-फानन में रिजल्ट जारी: इसके बाद बीते दिनों आयोग को उन्होंने आरटीआई किया कि इन सबूतों का क्या हुआ तो आयोग की तरफ से जवाब आया कि मामले की जांच अभी जारी है. सूरज सिंह ने कहा कि जब मामले की जांच जारी है तब इसी दौरान इस परीक्षा का आनन-फानन में रिजल्ट जारी कर देना और कम समय में ही मेंस परीक्षा का तिथि जारी करना बीएसएससी के रवैए पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है.
19 जुलाई को हाईकोर्ट की सुनवाई: उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 19 जुलाई को हाईकोर्ट की सुनवाई में उनके पक्ष में फैसला आएगा और परीक्षा पर रोक लगेगी जिससे प्रदेश के 900000 अभ्यर्थियों को राहत मिलेगी. अभी जो रिजल्ट जारी किया गया है उसमें यह नहीं बताया गया है कि किसने कितना अंक लाया है और जो फेल किया है उसे भी नहीं पता है कि कितना अंक लाकर फेल किए हैं ऐसे में यह पूरी परीक्षा सवालों के घेरे में है और कहीं ना कहीं इसमें शिक्षा माफियाओं के साथ आयोग की मिलीभगत नजर आ रही है.
प्रारंभिक परीक्षा हुई थी रद्द: गौरतलब हो कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग यानी बीएससीसी ने 23 दिसंबर को प्रथम पाली में आयोजित द्वितीय स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा रद्द कर दी थी. क्योंकि 23 दिसंबर को प्रथम पाली में हुई परीक्षा का प्रश्नपत्र इंटरनेट पर सुबह 10 बजकर 53 मिनट पर प्रसारित होने लगा था.
सोशल मीडिया पर पेपर वायरल: परीक्षा में मोबाइल वर्जित था और क्वेश्चन पेपर भी परीक्षा हॉल से बाहर नहीं निकल सकता था इसके बावजूद 23 दिसंबर के दूसरे पाली की परीक्षा और 24 दिसंबर को प्रथम पाली की परीक्षा का क्वेश्चन हूबहू सोशल मीडिया पर देखने को मिला. जिसके बाद अभ्यर्थियों ने तीनों शिफ्ट की परीक्षा को रद्द करने की डिमांड की लेकिन आयोग की तरफ से अधिसूचना जारी कर यह बताया गया कि 23 दिसंबर की पहली पाली की परीक्षा 5 मार्च 2023 को दुबारा आयोजित की जाएगी और 5 मार्च को परीक्षा द्वारा आयोजित कराई गई.