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Kargil Vijay Divas 2022: बिहार के 18 वीर जवानों को नमन, इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया नाम

1999 में इसी दिन भारतीय सेना के आगे पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था. इसके बाद से ही इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप के मनाया जाने लगा. इस युद्ध (kargil war of 1999) के बाद ही भारत सरकार और सेना ने कारगिल में युद्धस्तर की सभी तैयारियां शुरू कर दीं और मौजूदा समय में वहां की स्थिति ये है कि पाक सेना वहां से घुसपैठ करने के लिए पूरी ताकत लगा दे तो भी नाकाम रहेगी.

kargil vijay divas
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Published : Jul 26, 2022, 9:54 AM IST

Updated : Jul 26, 2022, 10:08 AM IST

पटनाः पूरे देश में आज कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Divas 2022) की याद मनाई जा रही है. 23 साल पहले आज ही के दिन सरहद पर भारत के वीर जवानों ने प्राणों की आहुति देकर पाकिस्तानी सेना से विजय हासिल की थी और कारगील टाइगर हिल पर अपना तिरंगा लहराया था. आज इस मौके पर देशभर में वीर सपूतों को याद किया जा रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीर सपूतों को नमन किया है. इस युद्ध में बिहार के भी 18 वीर जवानों (18 Soldiers Of Bihar Were Martyred In Kargil War ) ने सर्वोच्च बलिदान देकर अहम भूमिका निभाई थी. देश और बिहार के लोग उनकी इस शहादत पर उन्हें नमन करते हैं. पटना का कारगिल चौक आज भी अपने उन जवानों की वीरता को याद दिलाता है.

ये भी पढ़ेंः वीरता की कहानी भाई की जुबानी: 'विशुनी' को याद कर आज भी नम हो जाती हैं आंखें

कारगिल युद्ध को 23 साल बीत चुके हैं, आज विजय दिवस के अवसर पर उसके शहीदों को पूरा भारत याद कर रहा है. इस युद्ध में बिहार ने भी अपने 18 बेटों को खोया था. कारगिल युद्ध में शहीद हुए बिहार के मेजर चन्द्र भूषण द्विवेदी (शिवहर), नायक गणेश प्रसाद यादव (पटना, तारेगना), हरिकृष्ण राम (सिवान), हवलदार रतन कुमार सिंह (भागलपुर), प्रभाकर कुमार सिंह (भागलपुर), नायक विशुनी राय (सारण), नायक नीरज कुमार (लखीसराय), नायक सुनील कुमार (मुजफ्फरपुर), लांस नायक विद्यानंद सिंह (आरा), लांस नायक राम वचन राय (वैशाली), अरविंद कुमार पाण्डेय (पूर्वी चम्पारण), शिव शंकर गुप्ता (औरंगाबाद), हरदेव प्रसाद सिंह (नालंदा), एम्बू सिंह (सिवान) और रमन कुमार झा (सहरसा) का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है.

सूनसान इलाके का फायदा उठाकर हुई थी घुसपैठः जानकारों का कहना है कि 8 मई 1999 में पाक सेना ने कारगिल के सूनसान इलाके और मौसम का फायदा उठाकर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी. पाकिस्तानी सैनिक को सबसे पहले कारगिल इलाके (Kargil Area) में भारतीय चरवाहों ने देखा था. चरवाहों ने ये बात भारतीय सेना (Indian Army) को बताई. सेना के जवानों ने इलाके का निरीक्षण किया और जान गए कि पाकिस्तानी भारतीय सीमा में घुस आए हैं. स्थिति भांप लेने के बाद इंडियन आर्मी ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग कर दी. हैरानी की बात ये थी कि पाकिस्तान ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की. दरअसल, पाक की चाल कुछ और थी. पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने पहले से ही खुद रेकी की थी कि उस समय यहां इंडियन आर्मी रोजाना वहां पेट्रोलिंग के लिए नहीं जाती थी. साथ ही ये इलाका नेशनल हाइवे-1-D के एकदम करीब है और यह रास्‍ता लद्दाख से कारगिल को श्रीनगर और देश के बाकी हिस्‍सों से जोड़ता है. यह रास्‍ता सेना के लिए अहम सप्‍लाई रूट है. ये इलाका दुश्‍मन के कब्‍जे में जाने का मतलब सेना के लिए सप्‍लाई का बुरी तरह से प्रभावित होना था.

ऐसे किए थे भारतीय सेना ने पाकिस्तान के मंसूबे पस्तः आपको बता दें कि पाक सेना का लक्ष्य टाइगर हिल पर कब्जा करना था. वहीं भारतीय सेना ने एक कदम आगे जाकर तय किया था कि किसी भी हाल में टाइगर हिल पर कब्जा करना है. चूंकि यह सबसे मुश्किल काम था, इसलिए पाकिस्तानी सेना ने भी सोचा नहीं था की भारत ऐसा कदम उठा लेगा. भारतीय सेना ने सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करते हुए करीब 18,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल को जीत लिया. टाइगर हिल पर जीत एक बड़ा टर्निंग प्‍वाइंट था और इसी के बाद से ऊंचाई पर बैठकर बढ़त बनाकर चल रहे पाकिस्तान के मंसूबे पस्त हो गए. भारतीय सेना के लिए पूरा ऑपरेशन बहुत आसान हो गया और पहले प्वाइंट 4965, फिर सांदो टॉप, जुलु स्पर, ट्राइजंक्शन सभी भारतीय रेंज में आ गए थे. उसके बाद जो हुआ उसे पूरी दुनिया आज भी सलाम करती है.

ये भी पढ़ेंः कारगिल युद्ध के 21 साल: हम भूल गए शहीद के परिवारों से किए वादे?

पटनाः पूरे देश में आज कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Divas 2022) की याद मनाई जा रही है. 23 साल पहले आज ही के दिन सरहद पर भारत के वीर जवानों ने प्राणों की आहुति देकर पाकिस्तानी सेना से विजय हासिल की थी और कारगील टाइगर हिल पर अपना तिरंगा लहराया था. आज इस मौके पर देशभर में वीर सपूतों को याद किया जा रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीर सपूतों को नमन किया है. इस युद्ध में बिहार के भी 18 वीर जवानों (18 Soldiers Of Bihar Were Martyred In Kargil War ) ने सर्वोच्च बलिदान देकर अहम भूमिका निभाई थी. देश और बिहार के लोग उनकी इस शहादत पर उन्हें नमन करते हैं. पटना का कारगिल चौक आज भी अपने उन जवानों की वीरता को याद दिलाता है.

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कारगिल युद्ध को 23 साल बीत चुके हैं, आज विजय दिवस के अवसर पर उसके शहीदों को पूरा भारत याद कर रहा है. इस युद्ध में बिहार ने भी अपने 18 बेटों को खोया था. कारगिल युद्ध में शहीद हुए बिहार के मेजर चन्द्र भूषण द्विवेदी (शिवहर), नायक गणेश प्रसाद यादव (पटना, तारेगना), हरिकृष्ण राम (सिवान), हवलदार रतन कुमार सिंह (भागलपुर), प्रभाकर कुमार सिंह (भागलपुर), नायक विशुनी राय (सारण), नायक नीरज कुमार (लखीसराय), नायक सुनील कुमार (मुजफ्फरपुर), लांस नायक विद्यानंद सिंह (आरा), लांस नायक राम वचन राय (वैशाली), अरविंद कुमार पाण्डेय (पूर्वी चम्पारण), शिव शंकर गुप्ता (औरंगाबाद), हरदेव प्रसाद सिंह (नालंदा), एम्बू सिंह (सिवान) और रमन कुमार झा (सहरसा) का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है.

सूनसान इलाके का फायदा उठाकर हुई थी घुसपैठः जानकारों का कहना है कि 8 मई 1999 में पाक सेना ने कारगिल के सूनसान इलाके और मौसम का फायदा उठाकर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी. पाकिस्तानी सैनिक को सबसे पहले कारगिल इलाके (Kargil Area) में भारतीय चरवाहों ने देखा था. चरवाहों ने ये बात भारतीय सेना (Indian Army) को बताई. सेना के जवानों ने इलाके का निरीक्षण किया और जान गए कि पाकिस्तानी भारतीय सीमा में घुस आए हैं. स्थिति भांप लेने के बाद इंडियन आर्मी ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग कर दी. हैरानी की बात ये थी कि पाकिस्तान ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की. दरअसल, पाक की चाल कुछ और थी. पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने पहले से ही खुद रेकी की थी कि उस समय यहां इंडियन आर्मी रोजाना वहां पेट्रोलिंग के लिए नहीं जाती थी. साथ ही ये इलाका नेशनल हाइवे-1-D के एकदम करीब है और यह रास्‍ता लद्दाख से कारगिल को श्रीनगर और देश के बाकी हिस्‍सों से जोड़ता है. यह रास्‍ता सेना के लिए अहम सप्‍लाई रूट है. ये इलाका दुश्‍मन के कब्‍जे में जाने का मतलब सेना के लिए सप्‍लाई का बुरी तरह से प्रभावित होना था.

ऐसे किए थे भारतीय सेना ने पाकिस्तान के मंसूबे पस्तः आपको बता दें कि पाक सेना का लक्ष्य टाइगर हिल पर कब्जा करना था. वहीं भारतीय सेना ने एक कदम आगे जाकर तय किया था कि किसी भी हाल में टाइगर हिल पर कब्जा करना है. चूंकि यह सबसे मुश्किल काम था, इसलिए पाकिस्तानी सेना ने भी सोचा नहीं था की भारत ऐसा कदम उठा लेगा. भारतीय सेना ने सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करते हुए करीब 18,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल को जीत लिया. टाइगर हिल पर जीत एक बड़ा टर्निंग प्‍वाइंट था और इसी के बाद से ऊंचाई पर बैठकर बढ़त बनाकर चल रहे पाकिस्तान के मंसूबे पस्त हो गए. भारतीय सेना के लिए पूरा ऑपरेशन बहुत आसान हो गया और पहले प्वाइंट 4965, फिर सांदो टॉप, जुलु स्पर, ट्राइजंक्शन सभी भारतीय रेंज में आ गए थे. उसके बाद जो हुआ उसे पूरी दुनिया आज भी सलाम करती है.

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Last Updated : Jul 26, 2022, 10:08 AM IST
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