पटना: आज देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है. देश भर में पंडित जवाहरलाल नेहरू की आज 129वीं जयंती मनायी जा रही है. पंडित नेहरू को बच्चों से बेहद लगाव था. इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. पंडित नेहरू की वसीयत में उनकी अंतिम इच्छा का जिक्र मिलता है. चलिए जानते हैं पीएम बनने के बाद नेहरू ने देश के लिए क्या किया.
प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपना पहला भाषण ‘नियति से मिलन’ दिया. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे लगतार चार बार 1947, 1951, 1957 और 1962 तक देश के प्रधानमंत्री के पद को उन्होंने संभाला.
आजाद भारत, नया भारत
अंग्रेजों की गुलामी से भारत मुक्त तो हो गया था, लेकिन अब देश में नई व्यवस्था लागू करनी थी. पंडित जवाहरलाल नेहरू के ऊपर पूरी जिम्मेदारी थी कि देश को कैसे अब अपनी नेतृत्व में आगे लेकर जाना है.
आखिर देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में अगुवाई जो करनी थी. जैसा कि आप सभी जानते है कि कोई काम पहली बार हो तो जानकारी जुटानी पड़ती है. पंडित नेहरू भी उसी राह पर थे. उन्होंने इसके लिए कई विदेश यात्राएं की.
विकास की ओर किये कार्य
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश के विकास के लिए अनेकों कार्य किये. उन्होंने औद्योगीकरण को देश में प्रमुख स्थान दिया. वह उद्योगों की स्थापना पर जोर देते रहे. उन्होंने विज्ञान में विकास के लिए 1947 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस की स्थापना की. देश के विभिन्न भागों में स्थापित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् के केंद्र पंडित जवाहरलाल नेहरू की दूरदर्शिता के प्रतीक हैं.
खेलों को दिया बढ़ावा
पंडित जवाहरलाल नेहरू को खेलों में बड़ी रूचि थी. उन्होंने खेलों को शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरुरी बताया. भारत में पहली बार एशियाई खेलों का आयोजन पंडित नेहरू ने ही करवाया. जो 1951 को दिल्ली में आयोजित हुआ.
संविधान निर्माण से लेकर लागू करने तक
जैसा कि सबको मालूम है की भारत में संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था. जब भारत आजाद हुआ, तब भारत के संविधान के लिए एक सभा की घोषणा की गयी. इस संविधान सभा के पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि प्रमुख सदस्य थे. इस संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की. इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतंत्रता थी. भारत के संविधान के निर्माण में डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसलिए उन्हें ‘संविधान का निर्माता’ कहा जाता है. वहीं, प्रधानमंत्री के रूप में संविधान नेहरू के कार्यकाल में लागू हुआ, जिसे इतिहास के पन्ने से कभी भी मिटाया नहीं जा सकता.
पहले मतदान के साक्षी
भारत में ब्रिटिश संसदीय प्रणाली को आधार मान कर बनाये गए संविधान के लागू होने के दो वर्ष बाद 1952 को पहला चुनाव हुआ. यह चुनाव भारत को लोकतांत्रिक देश बनाने की मजबूत आधारशिला थी. इस चुनाव में उस समय मतदाताओं की संख्या 17 करोड़ 60 लाख थी. जिसके साक्षी देश के आजादी के बाद के अंतरिम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बने.
पंडित जवाहरलाल नेहरू का चुनाव प्रचार
देश में पहली बार हुए चुनाव में संसद की 497 सीटों के साथ-साथ राज्यों के विधानसभाओं के लिए भी मतदान हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रमुख दावेदार पंडित जवाहरलाल नेहरू थे. जिसके लिए उनका चुनाव प्रचार भी प्रमुख स्थान रखता हैं. उन्होंने देश में मतदाताओं को जागरूक करने के लिए सड़क, रेल, पानी और हवाई जहाज का सहारा लिया. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस चुनाव प्रचार में 25,000 मील का सफ़र तय किया. इस सफ़र में उन्होंने 18,000 मील का सफ़र हवाई जहाज से, 5,200 मील का सफ़र कार से, 1600 मील का सफ़र रेल से, और 90 मील का सफ़र नाव से किया.
लोकतांत्रिक देश के पहले प्रधानमंत्री
- चुनाव के समय देश की कई पार्टियों में जोरदार टक्कर हुई. जिसमें कांग्रेस, हिन्दू महासभा और अलगाववादी सिक्ख, अकाली पार्टियाँ प्रमुख थी. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जोरदार जीत हासिल की. देश भर में हुए चुनाव में 60 फीसदी मतदान हुआ. कांग्रेस को 364 सीटें प्राप्त हुई.
- कांग्रेस की पूर्णबहुमत सरकार में गणतांत्रिक और लोकतांत्रिक देश को पहला प्रधानमंत्री मिला और यह प्रधानमंत्री कोई और नहीं पंडित जवाहरलाल नेहरू ही थे.
- पंचवर्षीय योजना
- आजादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने समाजवादी आर्थिक मॉडल को आगे बढ़ाया. जवाहरलाल नेहरू ने अनेक महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय लिए जिनमें पंचवर्षीय योजना की शुरुआत भी थी.
- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तीन पंचवर्षीय योजना दी. जिसमें से पहली पंचवर्षीय योजना 1951 से 1956 तक दूसरी पंचवर्षीय योजना 1956 से 1961 तक और तीसरी पंचवर्षीय योजना 1961 से 1966 तक की थी.
- सन् 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना की नींव डाली गई और योजना आयोग का गठन किया. जवाहरलाल नेहरू ने 8 दिसंबर, 1951 को संसद में पहली पंचवर्षीय योजना को पेश किया और उन्होंने उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लक्ष्य 2.1 फीसदी निर्धारित किया.
राज्यों का पुनर्गठन
प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय एक महत्वपूर्ण फैसला भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का था. इसके लिए राज्य पुनर्गठन कानून-1956 पास किया गया. आजादी के बाद भारत के राज्यों की सीमाओं में हुआ, यह बहुत बड़ा बदलाव था. जिसमें 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों की स्थापना हुई. इसी कानून के तहत केरल और बॉम्बे (आज का मुंबई) को राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ. संविधान में नया अनुच्छेद भी जोड़ा गया, जिसके तहत भाषाई अल्पसंख्यकों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा हासिल करने का अधिकार मिला.
प्रेस की स्वतंत्रता के पक्षधर
पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रेस की स्वतंत्रता के पक्षधर थे. वह कहते थे कि देश में प्रेस की स्वतंत्रता बरकरार रहनी चाहिए. मीडिया द्वारा अपना विरोध किये जाने पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि हो सकता है प्रेस गलती करे, हो सकता है प्रेस ऐसी बात लिख दे जो मुझे पसंद नहीं. मगर प्रेस का गला घोंटने की जगह मैं यह पसंद करूंगा कि प्रेस गलती करे और गलती से सीखे. प्रेस की स्वतंत्रता बरकरार रहनी चाहिए.