पटनाः पटना हाईकोर्ट ने वर्ष 2008 से हेल्थ एंड एजुकेशन सेस के तहत एकत्रित धनराशि के उपयोग नहीं होने एवं उसके कुप्रबंधन के मामले पर केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने अधिवक्ता शमा सिन्हा की जनहित याचिका पर सुनवाई की.
निधियों के उपयोग करने में खामियांः याचिकाकर्ता अधिवक्ता शमा सिन्हा ने हाई कोर्ट के समक्ष लोकहित याचिका दायर कर हेल्थ एंड एजुकेशन सेस के तहत एक दशक से अधिक की अवधि में एकत्र राशि के उपयोग नहीं होने एवं उसके कुप्रबंधन पर लोकहित याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में पर्याप्त संग्रह के बावजूद, इन निधियों का उपयोग करने में कई कमियां रही हैं.
क्यों दायर की गयी याचिकाः याचिकाकर्ता ने कोर्ट से संचित निधि का उचित उपयोग, वैधानिक दायित्वों के अनुसार एक पारदर्शी तंत्र स्थापित करने एवं सीएजी की सिफारिशों का पालन करने के संबंध में आदेश पारित करने की गुहार की है. स्वास्थ्य एवं शैक्षिक योजनाओं के लिए इन निधियों का उपयोग किया जाना चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी.
सेस के रूप में क्यों वसूली जाती है रकमः यहां बता दें कि इनकम टैक्स के रूप में वसूली गई रकम को सरकार, किसी भी खर्च के लिए इस्तेमाल कर सकती है. लेकिन, सेस के रूप में प्राप्त की गई रकम, सिर्फ उस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल हो सकती है, जिसके नाम पर वसूल की गई है. मसलन, एजुकेशन सेस के रूप में वसूल की गई रकम का इस्तेमाल सिर्फ शिक्षा के विकास के लिए ही किया जा सकता है.