नवादा: चिकित्सा व्यवस्था का हाल आज भी खस्ताहाल बना हुआ है. ताजा मामला नवादा के सदर अस्पताल का है. 25 लाख से अधिक की आबादी पर यहां एक सदर अस्पताल है. जिससे मरीजों की तादाद यहां ज्यादा होती है. उसपर सुविधाओं की भारी कमी भी है. ऐसे में लोगों को इलाज करा पाने में भारी परेशानी हो रही है.इतनी ही नहीं अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन भी दो साल से खराब पड़ी है. वहीं प्रसूति विभाग में चिकित्सकों की घोर कमी है.
2 साल से बंद है अल्ट्रासाउंड सेवाएं
सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा नशा मुक्ति वार्ड के पास शुरू की गई थी. लेकिन 2018 में संविदा की अवधि समाप्त होने के बाद आजतक सरकार की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकी है. जिसके बाद से सामान्य रोगियों को अल्ट्रासाउंड करवाने में दिक्कतें शुरू हो गई है. उन्हें निजी जांच केंद्रों का सहारा लेना पड़ रहा है. साथ ही अधिक कीमतें भी चुकानी पड़ रही है. इसके लिए कई बार लोगों के द्वारा सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की जा चुकी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारी भी इसे नजर अंदाज करते रहे हैं. जिसकी वजह से आम लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.
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प्रसूति विभाग भी भगवान भरोसे
प्रसूति वार्ड में गर्भवती महिलाओं के जांच के लिए सुविधाएं उपलब्ध है लेकिन उसका भी हाल कुछ ठीक नहीं है. वहां भी चिकित्सक की कमी है. हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं के जांच के लिए कैम्प लगाया जाता है. लेकिन सहीं तरीके से जांच नहीं हो पाती है.
दलालों का अस्पताल में जमावड़ा
अल्ट्रासाउंड बंद होने के बाद से सदर अस्पताल में दलालों का जमावड़ा लगा रहता है. सुदूर गांव से आये लोगों को बहलाकर दलाल. निजी क्लिनिक ले जाते हैं. जहां उनसे मनमाने पैसे वसूले जाते हैं. अल्ट्रासाउंड के लिए उनसे 800-1000 रुपए तक वसूला जाता है. इसके लिए निजी जांच केंद्र के संचालक दलालों को कमीशन देते हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं, जब इस बाबत सिविल सर्जन डॉ. विमल प्रसाद सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि, इस बारे में कई बार विभाग को बताया गया है. लेकिन कुछ नहीं हुआ. ऐसे में अब एक बार फिर सिविल सर्जन विभाग को प्रस्ताव भेजने की तैयारी कर रहे हैं.