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बेपरवाह स्वास्थ्य विभाग: पिछले 72 घंटे से बंद है नवादा सदर अस्पताल का SNCU वार्ड, मरीज हलकान - स्वास्थ्य व्यवस्था

बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल दिन-ब-दिन खुलते जा रही है. नवादा के सदर अस्पताल स्थित SNCU वार्ड पिछले 3 दिनों से बंद पड़ा है.

72 घंटे से बंद है एसएनसीयू वार्ड
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Published : Jul 11, 2019, 7:19 PM IST

नवादा: जिले के सदर अस्पताल स्थिति एसएनसीयू वार्ड में पिछले 72 घंटों से ताला लटका है. यहां नवजातों का इलाज नहीं हो पा रहा है. पिछले तीन दिन से वार्ड में ताला लटका देख परिजन निराश होकर लौट रहे हैं. बता दें कि सोमवार देर रात से ही चेंज ओवर स्विच खराब हो जाने की वजह से यह ठप पड़ा है.

पिछले 72 घंटों से लटका है ताला
एसएनसीयू वार्ड बंद होने से गरीब तबके के लोगों पर काफी असर पड़ा है. पैसों के अभाव में वो अपने बच्चों का इलाज कराने के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल भी नहीं जा सकते हैं. ऐसे में बच्चे को गोद में लिए परिजन एसएनसीयू वार्ड का ताला खुलने का इंतजार कर रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन श्रीनाथ प्रसाद ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड के मशीनों में कुछ तकनीकी खामियां आ गई थी. जो पार्ट्स खराब हुए थे वो यहां उपलब्ध नहीं थे. मामला संज्ञान में आते ही पटना स्टॉक से पार्ट्स मंगाए गए. आज सुबह से मशीन ठीक कर चालू कर दिया गया है.

नवजात को गोद में लिए इंतजार कर रहे परिजन
सिविल सर्जन मशीन ठीक होने की बात तो कह गए. लेकिन जब वो खुद निरीक्षण करने गये तो देखा कि एसएनसीयू वार्ड अभी भी बंद है. परिजन नवजात को गोद में लिए गेट खुलने का इंतजार कर रहे थे. गेट जल्द खुलने का आश्वासन देकर उन्हें और इंतजार करने के लिए कहा गया.

नवादा: जिले के सदर अस्पताल स्थिति एसएनसीयू वार्ड में पिछले 72 घंटों से ताला लटका है. यहां नवजातों का इलाज नहीं हो पा रहा है. पिछले तीन दिन से वार्ड में ताला लटका देख परिजन निराश होकर लौट रहे हैं. बता दें कि सोमवार देर रात से ही चेंज ओवर स्विच खराब हो जाने की वजह से यह ठप पड़ा है.

पिछले 72 घंटों से लटका है ताला
एसएनसीयू वार्ड बंद होने से गरीब तबके के लोगों पर काफी असर पड़ा है. पैसों के अभाव में वो अपने बच्चों का इलाज कराने के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल भी नहीं जा सकते हैं. ऐसे में बच्चे को गोद में लिए परिजन एसएनसीयू वार्ड का ताला खुलने का इंतजार कर रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन श्रीनाथ प्रसाद ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड के मशीनों में कुछ तकनीकी खामियां आ गई थी. जो पार्ट्स खराब हुए थे वो यहां उपलब्ध नहीं थे. मामला संज्ञान में आते ही पटना स्टॉक से पार्ट्स मंगाए गए. आज सुबह से मशीन ठीक कर चालू कर दिया गया है.

नवजात को गोद में लिए इंतजार कर रहे परिजन
सिविल सर्जन मशीन ठीक होने की बात तो कह गए. लेकिन जब वो खुद निरीक्षण करने गये तो देखा कि एसएनसीयू वार्ड अभी भी बंद है. परिजन नवजात को गोद में लिए गेट खुलने का इंतजार कर रहे थे. गेट जल्द खुलने का आश्वासन देकर उन्हें और इंतजार करने के लिए कहा गया.

Intro:नवादा। जिले के सदर अस्पताल स्थिति एसएनसी वार्ड में पिछले 72 घंटे से ताले लगे हैं। जिसके वजह से सघन नवजात शिशु चिकित्सा उपचार इकाई (एसएनसीयू) वार्ड में नवजात को भर्ती नहीं लिया गया है। पिछले तीन दिन से इस वार्ड में ताला लटका देख परिजन निराश होकर लौट रहे हैं। इसपे अभी तक कोई कदम नहीं उठाये गये हैं। बता दें कि, सोमवार देर रात से ही चेंज ओवर स्विच खराब हो जाने की वजह से यह ठप्प पड़ा है। जिससे गरीब तबका के लोगों पर काफी असर पड़ा है।

बाइट- सिविल सर्जन




Body:बच्चों के लिए वरदान है यह एसएनसीयू वार्ड

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस वार्ड में प्रति सैकड़ों बच्चे की ईलाज़ की जाती है। इस वार्ड में 0-28 दिन तक के नवजात शिशु का ईलाज़ किया जाता है। इसमें वार्मर, फोटोथेरेपी, पल्स ऑक्ससीमिटर, इन्फ्यूजन पंप सहित कई अन्य सुविधाएँ उपलब्ध है। जो नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। लेकिन, पिछले तीन दिनों से सब कुछ ठप्प पड़ा है।

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन श्रीनाथ प्रसाद ने तीन दिन से ठप्प पड़े एसएनसीयू वार्ड के बारे में बताया कि, मशीन में कुछ तकनीकी खामियां आ गई थी। जो पार्ट्स खराब हुए थे वो यहां उपलब्ध नहीं था हमारे संज्ञान में आया तो हमने पटना स्टॉक में उन्होंने ने बताया कि हमारे पास कल रात तक उपलब्ध हो जाएगा। फिर रात को ही हमने उसे मंगबया सुबह ठीक कर चालू कर दिया गया है।

हालांकि, चालू होने की बात तो कह दिए लेकिन जब वो ख़ुद निरीक्षण करने गये तब तक एसएनसीयू वार्ड काम करना चालू नहीं किया था। वहां एसएनसीयू में ईलाज़ के लिए अपने नवजात शिशु को लेकर आई परिजन उसके गेट पर ही इंतजार कर रही थी जिसे वहां से हटकर कुछ समय और इंतजार करने को कहा गया है अब देखना है कि, यह कब तक शुरू हो पाती है? या फिर अन्य तकनीकी बहाना बनाकर ऐसे ही छोड़ दिया जाता है?







Conclusion:
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