नवादाः विद्या की देवी मां सरस्वती का पूजनोत्सव आगामी 30 जनवरी को होने वाला है. इसको लेकर मूर्तिकार अपने दिन रात मां वीणा वादिनी की प्रतिमाओं को आकर्षक और खूबसूरत रूप देने में लगे हैं. फिलहाल मूर्ती को अंतिम टच दिया जा रहा है. लेकिन मूर्तिकार को अफसोस है कि उन्हें मेहनत के मुताबिक दाम नहीं मिल रहे हैं. जिससे मूर्तिकार परेशान हैं.
पुस्तैनी धंधा से नहीं मिल रहा उचित मजदूरी
मूर्तिकार शिवनंदन पंडित का कहना है अब मूर्ति के कार्य में उचित मजदूरी नहीं मिल पाता. अगर देखें तो 3 सौ रुपये प्रतिदिन भी नहीं पड़ता. यहां आज से मूर्तियां नहीं बनाई जाती. पुश्तैनी से बनती आ रही है. हम लोग को उचित मजदूरी नहीं मिलती, जिससे हम अपने परिवार का पालन पोषण भी सही से नहीं कर पाते हैं.
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एक मूर्ति की सजावट में लग जाते हैं 2 हजार या 25 सौ रुपये
वहीं, एक पैर से दिव्यांग मूर्तिकार उमेश का कहना है कि रंग बनारस और गया से मंगाते हैं. लेकिन सजावट का सारा सामान कोलकाता से लाते हैं. महंगाई इतनी बढ़ गई है कि एक मूर्ति पर 2 हजार या 25 सौ रुपये तक की सजावट के सामान लग जाते हैं. वहीं, उमेश का यह भी कहना है कि दो-ढाई महीने तक पूरे परिवार के लोग मिलकर मूर्ति बनाते हैं. लेकिन इससे जो दाम मिलनी चाहिए, वो नहीं मिल पाती है. इससे आगे बढ़ने का कोई विकल्प हमें नहीं दिख रहा है.