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नवादा: स्कूल 2013 में ही हुआ उत्क्रमित पर अबतक नहीं हुई शिक्षक की बहाली, परेशान हैं छात्र

कोल्हुआवर गांव स्थित मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर +2 कर दिया गया. इस विद्यालय के भवन बने हुए भी 5 साल से ज्यादा हो गए. लेकिन, अबतक यहां एक भी उच्च विद्यालय के शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है.

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Published : Oct 13, 2019, 11:41 PM IST

नवादा: सरकार की ओर से शिक्षा व्यवस्था को लेकर ढ़ेरों दावे किये जाते हों. लेकिन धरातल पर इसकी हालत कुछ और ही है. कहीं, बच्चों के पढ़ने के लिए विद्यालय भवन नहीं है तो कहीं शिक्षकों की बहाली ही नहीं हुई है. यही हाल है जिले के कौआकोल प्रखंड में कोल्हुआवर गांव स्थित +2 विद्यालय का.

बता दें कि कोल्हुआवर गांव के मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर +2 कर दिया गया. इस विद्यालय के भवन बने हुए भी 5 साल से ज्यादा हो गए. लेकिन अबतक यहां एक भी उच्च विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई. जिससे यहां के बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में काफी दिक्कतें होती हैं.

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मध्य विद्यालय कोल्हुआवर

2013 में हुआ था अपग्रेड
शिक्षा विभाग ने 2013 में मध्य विद्यालय को अपग्रेड कर +2 कर दिया था. सालभर के अंदर भवन भी बनकर तैयार हो गए. हाई स्कूल तक कि पढ़ाई भी शुरू हो गई. लेकिन हाई स्कूल तक की पढ़ाई करवाने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई. इसकी वजह से बच्चों को सही से शिक्षा नहीं मिला पा रही है.

बच्चों को नहीं मिल रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
इस स्कूल में मिडिल और हाई स्कूल मिलाकर कुल 225 बच्चे हैं. जिसको पढ़ाने लिए महज 4 शिक्षक ही हैं. विषयवार शिक्षक नहीं होने के कारण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती है. वहीं, 9वीं कक्षा के छात्र कौशल कुमार ने बताया कि शिक्षकों के नहीं होने से हमारी पढ़ाई ढंग से नहीं हो पाती है. हाई स्कूल के एक भी टीचर नहीं है. उसने सरकार से स्कूल में शिक्षकों की बहाली की मांग की है.

पेश है रिपोर्ट

'सीमित संसाधन में पढ़ रहे हैं बच्चे'
विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुनील कुमार का कहना है कि +2 तक अपग्रेड 2013 में ही हो गया था. उसके एक साल के भीतर भवन भी बन गया. लेकिन, अबतक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है. 225 बच्चों पर सिर्फ 4 हीं शिक्षक हैं. किसी तरह हम सीमित संसाधन में पढ़ा रहे हैं. हमने हाई स्कूल तक का ही कोड लिया है. क्योंकि जब हाई स्कूल का शिक्षक ही नहीं है तो +2 का कहां से कर पाते.

'जल्द ही होंगे शिक्षक पदस्थापित'
जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार चौधरी ने इस मामले पर कहा कि अभी स्कूलों में नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. जल्द ही इस स्कूल में भी शिक्षक पदस्थापित हो जाएंगे. वहीं, स्कूल में शिक्षकों के नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई मध्य विद्यालय के शिक्षकों के भरोसे है. उसका भविष्य दांव पर लगा हुआ है. लेकिन इन ग्रामीण बच्चों की सुध लेनेवाला कोई नहीं है.

नवादा: सरकार की ओर से शिक्षा व्यवस्था को लेकर ढ़ेरों दावे किये जाते हों. लेकिन धरातल पर इसकी हालत कुछ और ही है. कहीं, बच्चों के पढ़ने के लिए विद्यालय भवन नहीं है तो कहीं शिक्षकों की बहाली ही नहीं हुई है. यही हाल है जिले के कौआकोल प्रखंड में कोल्हुआवर गांव स्थित +2 विद्यालय का.

बता दें कि कोल्हुआवर गांव के मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर +2 कर दिया गया. इस विद्यालय के भवन बने हुए भी 5 साल से ज्यादा हो गए. लेकिन अबतक यहां एक भी उच्च विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई. जिससे यहां के बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में काफी दिक्कतें होती हैं.

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मध्य विद्यालय कोल्हुआवर

2013 में हुआ था अपग्रेड
शिक्षा विभाग ने 2013 में मध्य विद्यालय को अपग्रेड कर +2 कर दिया था. सालभर के अंदर भवन भी बनकर तैयार हो गए. हाई स्कूल तक कि पढ़ाई भी शुरू हो गई. लेकिन हाई स्कूल तक की पढ़ाई करवाने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई. इसकी वजह से बच्चों को सही से शिक्षा नहीं मिला पा रही है.

बच्चों को नहीं मिल रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
इस स्कूल में मिडिल और हाई स्कूल मिलाकर कुल 225 बच्चे हैं. जिसको पढ़ाने लिए महज 4 शिक्षक ही हैं. विषयवार शिक्षक नहीं होने के कारण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती है. वहीं, 9वीं कक्षा के छात्र कौशल कुमार ने बताया कि शिक्षकों के नहीं होने से हमारी पढ़ाई ढंग से नहीं हो पाती है. हाई स्कूल के एक भी टीचर नहीं है. उसने सरकार से स्कूल में शिक्षकों की बहाली की मांग की है.

पेश है रिपोर्ट

'सीमित संसाधन में पढ़ रहे हैं बच्चे'
विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुनील कुमार का कहना है कि +2 तक अपग्रेड 2013 में ही हो गया था. उसके एक साल के भीतर भवन भी बन गया. लेकिन, अबतक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है. 225 बच्चों पर सिर्फ 4 हीं शिक्षक हैं. किसी तरह हम सीमित संसाधन में पढ़ा रहे हैं. हमने हाई स्कूल तक का ही कोड लिया है. क्योंकि जब हाई स्कूल का शिक्षक ही नहीं है तो +2 का कहां से कर पाते.

'जल्द ही होंगे शिक्षक पदस्थापित'
जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार चौधरी ने इस मामले पर कहा कि अभी स्कूलों में नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. जल्द ही इस स्कूल में भी शिक्षक पदस्थापित हो जाएंगे. वहीं, स्कूल में शिक्षकों के नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई मध्य विद्यालय के शिक्षकों के भरोसे है. उसका भविष्य दांव पर लगा हुआ है. लेकिन इन ग्रामीण बच्चों की सुध लेनेवाला कोई नहीं है.

Intro:नवादा। जिले के कौआकोल प्रखंड अंतर्गत आनेवाले कोल्हुआवर गांव स्थित मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर 10+2 तो कर दिया। भवन बने हुए भी 5 साल से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अभी तक यहां एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जिससे यहां के बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में काफी दिक्कतें होती है उन्हें विषयवार शिक्षक पढ़ाने बाले नहीं मिल रहे हैं। उनका भविष्य दांव पर लगा हुआ है लेकिन इन ग्रामीण बच्चों का सुध लेनेवाला कोई नहीं है।


2013 में हुआ था अपग्रेड

बिहार सरकार ने 2013 में मध्य विद्यालय को अपग्रेड कर 10+2 कर दिया। सालभर के अंदर भवन भी बनकर तैयार हो गए। हाई स्कूल तक कि पढ़ाई भी शुरू हो गई लेकिन अभी तक हाई स्कूल तक की पढ़ाई के लिए शिक्षक की नियुक्ति नहीं किया गया है इंटर की तो बात ही छोड़ दीजिए। इसके वजह से बच्चों को सभी से शिक्षा नहीं मिला पा रही है।




Body:सूबे की सरकार ने भलेहिं 10+2 तक की पढ़ाई की दावे कर रही लेकिन 5 वर्ष बाद भी इस विद्यालय में शिक्षक की नियुक्ति नहीं कर सकी है। हालांकि, शिक्षक नहीं होने के बावजूद भी यहां के बच्चे की पढ़ाई हो रही है लेकिन वो पढ़ाई कैसी हो रही होगी यह कहने की जरूरत नहीं है। बात स्पष्ट है विषयवार शिक्षक नहीं होने से अच्छी तरीके से पढ़ाई नहीं हो पाती है।


मध्य विद्यालय के शिक्षक के भरोसे से हो रही पढ़ाई

माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक नहीं होने के वजह से बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी मध्य विद्यालय के शिक्षकों के कंधे पर पड़ी हुई है। मिडिल व हाई स्कूल मिलाकर 225 बच्चे हैं जिसके लिए महज 4 शिक्षक। विषयवार शिक्षक नहीं होने के अभाव में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती।

क्या कहते हैं स्कूल के बच्चे

9वीं कक्षा के छात्र कौशल कुमार का कहना है शिक्षक नहीं होने के वजह से हमलोगों की पढ़ाई नहीं हो पाती है। ऐसे में सोचते हैं मैट्रिक के एग्जाम देने के बाद रिजल्ट क्या होगा। हाई स्कूल के एक भी टीचर नहीं है। इसलिए हम शिक्षक की मांग करते हैं।


क्या कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक

विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुनील कुमार का कहना है कि, 10+2 तक अपग्रेड 2013 में ही हो गया था। उसके एक साल के भीतर भवन भी बन गया लेकिन अभी तक एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है। 225 बच्चे हैं और सिर्फ चार शिक्षक। किसी तरह हमलोग सीमित संसाधन में पढ़ा रहे हैं। हमने हाई स्कूल तक के ही कोड लिया क्योंकि जब हाई स्कूल का शिक्षक है ही नहीं तो +2 का कहाँ से कर पाते।

क्या कहते हैं पदाधिकारी

जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार चौधरी का कहना है कि, वर्तमान में नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है उम्मिन्द करते हैं जल्द वहां शिक्षक पदस्थापित हो जाएंगे।





Conclusion:सूबे की सरकार लाख दावे कर ले लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी शिक्षकों के आभाव में कई विद्यालय चल रहे हैं ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को कैसे मिल रही होगी भगवान ही मालिक है?
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