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नवादा में बालू की किल्लत: फरवरी-मार्च में खनन शुरू होने की उम्मीद - ईटीवी भारत न्यूज

बिहार में पीला सोना के नाम से प्रसिद्ध बालू की किल्लत से नवादा जूझ रहा है. अभी तक यहां बालू खनन का काम शुरू नहीं हो सका है. खनन के पहले की प्रक्रिया में निविदा धारी उलझे हुए हैं. पढ़ें कारण.. (sand shortage in nawada)

sand shortage in nawada
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Published : Dec 26, 2022, 1:35 PM IST

नवादा: जिले में बालू घाटों का अरबों रुपए का टेंडर होने के बावजूद बालू खनन शुरू होने में कई मुश्किलें हैं. निविदा धारियों को स्वीकृति का आदेश तो मिल गया, लेकिन बालू खनन शुरू कराने से पहले कई प्रक्रिया पूरी करनी है. निविदा धारियों को पहले माइनिंग प्लान बना कर विभाग को सौंपना होगा. स्वीकृति मिल जाने के बाद फिर पर्यावरणीय स्वीकृति मिलेगी, उसके बाद बालू खनन होगा. ऐसे में बालू खनन फरवरी-मार्च तक अटका रहेगा ये बात तय मानी जा रही है. (nawada sand mining ) (sand mining will start from february march)

इसे भी पढ़ें: खनन विभाग ने बालू कारोबारियों पर कसा शिकंजा, 4 पोकलेन मशीन जब्त

नहीं मिली पर्यावरणीय स्वीकृति: बता दें कि जिले में 31 दिसंबर 2021 से ही बालू खनन बंद है. यानी 1 साल से बालू खनन बंद है. हालांकि अब तक दो बार निविदा हो चुकी है. इस बार फिर से बालू खनन के लिए नई बंदोबस्ती हो गई है लेकिन पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने के चलते अब तक खनन शुरू नहीं हुआ है. पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिल पाई है. हालांकि कुछ निविदा धारियों ने माइनिंग प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अगर जल्दी बाजी हुई तो जनवरी के अंत या फरवरी के मध्य में बालू खनन शुरू हो सकता है.

निर्माण कार्यो, योजनाओं और कारोबार पर असर: बालू की किल्लत होने लगी है. इसका सीधा असर मकान निर्माण पर तो पड़ा ही है साथ ही कई विकास योजनाओं पर ब्रेक लगने की स्थिति आ गई है. कई पुल निर्माण, एनएच-31 और एनएच-82 फोरलेन, समेत जिले में चल रहे कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए भी मुश्किलें आ रही हैं. चोरी की बालू के भरोसे काम हो रहा है या फिर काम अटका हुआ है. जिले विभिन्न स्टेशन पर भवनों का निर्माण हो रहा है. कई जगह सौंदर्यीकरण और नए प्लेटफॉर्म निर्माण कार्य पर भी बालू की किल्लत का असर हो रहा है.

हर दिन लाखों की बालू चोरी: जिले में जब से बालू खनन बंद हुआ है तब से बड़े पैमाने पर अवैध बालू खनन हो रहा है. सभी नदी के बालू घाटों पर अवैध बालू खनन माफियाओं का कब्जा है. हर महीने बड़ी संख्या में करवाई होने के बावजूद माफिया मान नहीं रहे हैं और हर दिन लाखों रुपए की बालू की लूट हो रही है. माफिया के खिलाफ कार्रवाई में खनन विभाग अकेला पड़ रहा है और स्थानीय प्रशासन का सहयोग नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते खनन माफिया हावी है.

इन नदियों पर माफियाओं की काली नजर: सकरी नदी के कादिरगंज, मसनखामां, दरियापुर, मिल्की, हाजीपुर ,सुल्तानपुर , कौआकोल के नाटी नदी का मलाही, भोरमबाग, खड़सारी, मननियांतरी व सरौनी, नगर थाने के खुरी नदी का लोहानी बिगहा, कादिरगंज के सकरी नदी का पौरा, सिरदला के धनार्जय नदी का खजपुरा, नरहट का तिलैया, अकबरपुर का लखपतबिगहा, साहेबगंज मदैनी, गोविन्दपुर के सकरी नदी का बकसोती लखपत बिगहा, खनवां का धनार्जय नदी घाट व तिलैया नदी घाट पर बड़े पैमाने पर बालू चोरी हो रही है.

हजारों लोगों के समक्ष रोजगार का संकट: बालू बंद होने से सबसे ज्यादा असर मजदूरों पर पड़ रहा है. बालू के अभाव में कई जगह निर्माण कार्य बंद हुए हैं और दिहाड़ी मजदूरों को काम मिलना कम हो गया है. ऐसे लोग काम की तलाश में भटक रहे हैं. ट्रैक्टर मालिक और ट्रक मालिकों पर भी इसका बुरा असर हो रहा है. निर्माण सामग्री की बिक्री पर भी काफी असर हो रहा है और जनवरी के बाद से ईंट सीमेंट सरिया और गिट्टी की बिक्री चौपट हो गई है.

हालांकि चोरी कर अवैध बालू की ढुलाई करने वाले ट्रैक्टर और ट्रक संचालकों की चांदी कट रही है. पिछले साल भी पर्यावरणीय स्वीकृति के चलते ही बालू खनन अटका था. भारी-भरकम राशि पर बंदोबस्ती के बावजूद पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली थी. इस बार मामला थोड़ा अलग है और अगले एक डेढ़ महीने में पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने की पूरी उम्मीद है. इस बार सरकार ने पर्यावरण स्वीकृति देने को लेकर नियम को थोड़ा लचीला किया है.

नवादा: जिले में बालू घाटों का अरबों रुपए का टेंडर होने के बावजूद बालू खनन शुरू होने में कई मुश्किलें हैं. निविदा धारियों को स्वीकृति का आदेश तो मिल गया, लेकिन बालू खनन शुरू कराने से पहले कई प्रक्रिया पूरी करनी है. निविदा धारियों को पहले माइनिंग प्लान बना कर विभाग को सौंपना होगा. स्वीकृति मिल जाने के बाद फिर पर्यावरणीय स्वीकृति मिलेगी, उसके बाद बालू खनन होगा. ऐसे में बालू खनन फरवरी-मार्च तक अटका रहेगा ये बात तय मानी जा रही है. (nawada sand mining ) (sand mining will start from february march)

इसे भी पढ़ें: खनन विभाग ने बालू कारोबारियों पर कसा शिकंजा, 4 पोकलेन मशीन जब्त

नहीं मिली पर्यावरणीय स्वीकृति: बता दें कि जिले में 31 दिसंबर 2021 से ही बालू खनन बंद है. यानी 1 साल से बालू खनन बंद है. हालांकि अब तक दो बार निविदा हो चुकी है. इस बार फिर से बालू खनन के लिए नई बंदोबस्ती हो गई है लेकिन पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने के चलते अब तक खनन शुरू नहीं हुआ है. पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिल पाई है. हालांकि कुछ निविदा धारियों ने माइनिंग प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अगर जल्दी बाजी हुई तो जनवरी के अंत या फरवरी के मध्य में बालू खनन शुरू हो सकता है.

निर्माण कार्यो, योजनाओं और कारोबार पर असर: बालू की किल्लत होने लगी है. इसका सीधा असर मकान निर्माण पर तो पड़ा ही है साथ ही कई विकास योजनाओं पर ब्रेक लगने की स्थिति आ गई है. कई पुल निर्माण, एनएच-31 और एनएच-82 फोरलेन, समेत जिले में चल रहे कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए भी मुश्किलें आ रही हैं. चोरी की बालू के भरोसे काम हो रहा है या फिर काम अटका हुआ है. जिले विभिन्न स्टेशन पर भवनों का निर्माण हो रहा है. कई जगह सौंदर्यीकरण और नए प्लेटफॉर्म निर्माण कार्य पर भी बालू की किल्लत का असर हो रहा है.

हर दिन लाखों की बालू चोरी: जिले में जब से बालू खनन बंद हुआ है तब से बड़े पैमाने पर अवैध बालू खनन हो रहा है. सभी नदी के बालू घाटों पर अवैध बालू खनन माफियाओं का कब्जा है. हर महीने बड़ी संख्या में करवाई होने के बावजूद माफिया मान नहीं रहे हैं और हर दिन लाखों रुपए की बालू की लूट हो रही है. माफिया के खिलाफ कार्रवाई में खनन विभाग अकेला पड़ रहा है और स्थानीय प्रशासन का सहयोग नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते खनन माफिया हावी है.

इन नदियों पर माफियाओं की काली नजर: सकरी नदी के कादिरगंज, मसनखामां, दरियापुर, मिल्की, हाजीपुर ,सुल्तानपुर , कौआकोल के नाटी नदी का मलाही, भोरमबाग, खड़सारी, मननियांतरी व सरौनी, नगर थाने के खुरी नदी का लोहानी बिगहा, कादिरगंज के सकरी नदी का पौरा, सिरदला के धनार्जय नदी का खजपुरा, नरहट का तिलैया, अकबरपुर का लखपतबिगहा, साहेबगंज मदैनी, गोविन्दपुर के सकरी नदी का बकसोती लखपत बिगहा, खनवां का धनार्जय नदी घाट व तिलैया नदी घाट पर बड़े पैमाने पर बालू चोरी हो रही है.

हजारों लोगों के समक्ष रोजगार का संकट: बालू बंद होने से सबसे ज्यादा असर मजदूरों पर पड़ रहा है. बालू के अभाव में कई जगह निर्माण कार्य बंद हुए हैं और दिहाड़ी मजदूरों को काम मिलना कम हो गया है. ऐसे लोग काम की तलाश में भटक रहे हैं. ट्रैक्टर मालिक और ट्रक मालिकों पर भी इसका बुरा असर हो रहा है. निर्माण सामग्री की बिक्री पर भी काफी असर हो रहा है और जनवरी के बाद से ईंट सीमेंट सरिया और गिट्टी की बिक्री चौपट हो गई है.

हालांकि चोरी कर अवैध बालू की ढुलाई करने वाले ट्रैक्टर और ट्रक संचालकों की चांदी कट रही है. पिछले साल भी पर्यावरणीय स्वीकृति के चलते ही बालू खनन अटका था. भारी-भरकम राशि पर बंदोबस्ती के बावजूद पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली थी. इस बार मामला थोड़ा अलग है और अगले एक डेढ़ महीने में पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने की पूरी उम्मीद है. इस बार सरकार ने पर्यावरण स्वीकृति देने को लेकर नियम को थोड़ा लचीला किया है.

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