नवादाः जिले में प्रतिभा की कमी नहीं है. भले हि वो 10/12 के कमरे में क्यूं न रह रहा हो, लेकिन उसके हौसले बुलंद होते हैं. ऐसे ही प्रतिभावान व्यक्ति नवादा के युवा सम्पूर्ण ऑर्गन डोनर, समाजसेवी, लेखक और प्लुरल्स पार्टी की प्रेसिडेंट पुष्पम प्रिया चौधरी के हाथों सदस्यता ग्रहण करनेवाले डॉ. अभिषेक राज हैं. ईटीवी भारत संवाददाता ने उनसे कई मुद्दों पर बात की.
प्रश्न-1. जिस उम्र में कुछ लोग खुद के बारे में सही से सोच नहीं पाते हैं, उस उम्र में आपने सामाजसेवा करना शुरू कर दिया ऐसा ख्याल मन में कैसे आया?
उत्तर- जब मैं आठवीं क्लास में था, तब विद्यार्थी परिषद से जुड़ा और मैं अक्सर अंकित भैया के साथ अस्पताल में जाया करता था. वहां देखता था कि लोग ब्लड के लिए कितना जूझ रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए हमलोगों ने सबसे पहले हेल्पर्स ग्रुप के जरिए नवादा में ब्लड डोनेशन का कार्य शुरू किया. अब नतीजा यह है कि आज नवादा में 20-25 यूनिट ब्लड मिल जाते हैं जबकि पहले इसकी स्थिति नगण्य थी.
प्रश्न-2. समाज सेवा में आने के बाद आपने डॉक्टरी की पढ़ाई का सोचा या फिर उससे पहले ही डॉक्टर बनने का सोच रखा था?
उत्तर - मैं आठवीं क्लास में जब था तभी से समाज सेवा कर रहा हूं और रही बात मेडिकल की तो इसकी तैयारी का ख्याल 4 साल पहले मेरे मन में आया था.
प्रश्न- 3. फिलहाल किन-किन संस्थाओं से जुड़े हुए हैं और क्या कुछ कर रहे हैं?
उत्तर- सबसे पुराना हेल्पर्स ग्रुप ऑफ नवादा जिसके जरिए ब्लड डोनेशन का कार्य करते हैं दूसरा, ग्रीन नवादा जिसके तहत पौधारोपण का कार्य चल रहा है और रूबी एनिमल केअर फाउंडेशन के तहत जानवरों की हिफाजत कर रहे हैं.
प्रश्न- मेडिकल की पढ़ाई आसान नहीं है घर की क्या स्थिति है? मम्मी-पापा क्या करते हैं?
उत्तर- पापा शोरूम में क्लर्क का काम करते थे. पापा अब जनरल स्टोर की दुकाने चला रहे हैं. मां शिक्षिका हैं. एक एजुकेटेड फैमिली होने की वजह से मुझे पढ़ाई और समाजसेवा में मोरल सपोर्ट मिलता रहा है.
प्रश्न- इतने कम उम्र में डॉक्टरेट की मानद उपाधि कैसे मिली?
उत्तर- मैंने लिटरेचर में भी काम किया है. बुक भी लिखता हूं अब तक मैंने दो किताबें लिखी हैं. दोनों अमेजन पर उपलब्ध है. यह उपाधि उन्हें दी जाती है जो बीस साल से कम उम्र के हो और साहित्य और समाजसेवा के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहा हो. मुझे यह उपाधि यूनिवर्सिटी ऑफ साउ से प्राप्त हुई है.
प्रश्न- मेडिकल पढ़ाई करने के बाद आगे क्या करना चाहते हैं?
उत्तर- मेंटल इलनेस को लेकर काम करना है. लोगों में यह धारणा है कि अगर कोई साइकेट्रिस्ट के पास जाता है तो वह पागल है. इसको दूर करने के लिए हमारे पास प्लान है. जिससे जितने भी लोग हमारे पास पहुंचेंगे उनकी हम निशुल्क काउंसलिंग कर सकेंगे.
प्रश्न- राइटर समाजसेवी और अब पॉलिटिक्स की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. इससे से लगाव कैसे हुआ?
उत्तर- जब मैं नौवीं-दसवीं में था तभी से पॉलिटिक्स से लगाव रहा है. हमारी यह सोच रही है कि देश और राज्य का कल्याण तब तक नहीं होगा जब तक युवा पॉलिटिक्स में नहीं आएगा. इसके लिए थोड़ा पॉलिटिकल इंटरेस्ट भी होना चाहिए ताकि उनका नेतृत्वकर्ता नेतृत्व करे न की नेतागिरी.
प्रश्न- आपसे पुष्पम प्रिया चौधरी कैसे जुड़ींं, यह संभव कैसे हो पाया?
उत्तर- उनके सेक्रेटरी का मेरे पास कॉल आया था. मैंने उन्हें कहा कि अगर प्रेसिडेंट मेम आएंगी और मैं उनसे कन्विंस हो जाऊंगा तो मैं उनके साथ जुड़ जाऊंगा.
प्रश्न- उनसे क्या कुछ बातें हुई?
उत्तर- पहले व्यक्तिगत बातें हुई फिर उनके विजन पर बातें हुई. विजन को लेकर उनका यह कहना था कि हमारे राज्य में जो भी संसाधन है, उसी से अच्छा कर सकते हैं. बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी जो कि मुझे काफी अच्छा लगा.
प्रश्न- क्या आपको लगता है कि पुष्पम प्रिया चौधरी का सीएम बनने का सपना पूरा हो पाएगा?
उत्तर- जी, बिल्कुल लोग काफी तेज गति से जुड़ रहे हैं. चुनाव आते-आते हमलोग इस तरह का रूख अख्तियार करेंगे जो लोगों को सकारात्मक राजनीति की ओर ले जाएगी.