नवादा: कोरोना संक्रमण के दौरान भारी फजीहत झेलने के बाद बिहार सरकार ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आमूल बदलाव का दावा किया था. स्वास्थ्य विभाग ने आधुनिक मशीनों के साथ ही एम्बुलेंस की व्यवस्था की घोषणा की थी लेकिन यह खोखला साबित हो रहा है. नवादा सदर अस्पताल में प्रबंधन की खामियां (Health system in Nawada Sadar Hospital) देखने को मिल रही हैं. रोजाना अस्पताल की कुव्यवस्था (Nawada Sadar Hospital is in disarray) से आम लोगों को रूबरू होना पड़ रहा है. किसी को स्ट्रेचर नहीं मिलता तो किसी जरुरतमंद को समय पर एम्बुलेंस उपल्बध नहीं हो पाता.
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शव रखने को नहीं मिला स्ट्रेचर: नवादा में कुछ ऐसा ही मामला देखने को मिला जब पकरीबरावां के देवी बिगहा की एक महिला मरीज का शव लेकर उसके परिजन इधर-उधर भटकते रहे लेकिन उन्हें एम्बुलेंस नहीं मिल पाया. उक्त महिला को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था लेकिन उसकी पहले ही मौत हो गयी थी. इस दौरान अस्पताल कर्मियों द्वारा ना तो शव को रखने के लिए स्ट्रेचर मुहैया कराया गया और ना ही उसे घर जाने के लिए उसे एंबुलेंस उपलब्ध हुआ. परिजनों को खुद ही शव लेकर घर जाना पड़ा. नियम के अनुसार अस्पताल प्रबंधन को एम्बुलेंस के जरिये डेड बॉडी को उसके घर तक भिजवाना है मगर नवादा सदर अस्पताल में ऐसी घटनाएं आम हैं.
सिविल सर्जन ने एंबुलेंस की कमी का रोना रोया: इस मामले पर पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉ. निर्मला कुमारी से कहा कि अस्पताल में एंबुलेंस की कमी है. स्ट्रेचर की बात पर उन्होंने कहा कि कर्मियों जवाब-तलब किया जायेग. हालांकि, इन सभी व्यवस्था को देखने के लिए अस्पताल उपाधीक्षक और अस्पताल मैनेजर का पद सृजित है मगर दोनों अधिकारी कहीं भी ऐसे मामलों में नजर नहीं आते हैं. अस्पताल की सारी व्यवस्था का जायजा अस्पताल उपाधीक्षक और अस्पताल मैनेजर को रखना है लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया जाता है.
'अस्पताल में एंबुलेंस की कमी है. आए दिन एम्बुलेंस अलग-अलग स्थानों पर भेजा जाता है. आज भी मुख्य सचिव के कार्यक्रम में एम्बुलेंस गया है.'-सिविल सर्जन डॉ. निर्मला कुमारी
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