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'मगध की शान' मगही पान पर शीतलहर की मार, सालों से नहीं मिल रहा किसानों को अनुदान

मगध की शान मगही पान की फसल लगातार बर्बाद हो रही है. जिससे किसानों की पारिवारिक हालात दयनीय होती जा रही है. ऐसे में किसानों को अगर अनुदान मिलने लगे तो कुछ हद तक स्थिति बदलने की उम्मीद है.

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मगही पान
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Published : Jan 8, 2020, 12:26 PM IST

नवादाः जिले में मगहिया संस्कृति की पहचान मगही पान अब खत्म होने की कागार पर है. जिले में पड़ रही ठंड के कारण पकरीबरावां प्रखंड के छतरवार और डोला गांव के किसान परेशान हैं. किसानों के जरिए की गई मगही पान की खेती ठंड और शीतलहर के कारण बर्बाद हो गई है. वहीं, पिछले 3 सालों से इन्हें सरकारी अनुदान भी नहीं मिल रहा है.

50 एकड़ में लगे पान बर्बाद
जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर पकरीबरावां प्रखंड के छतरवार और डोला गांव में किसानों के जरिए की गई मगही पान की खेती बर्बाद हो गई है. दोनों गांव के किसान मिलकर करीब सौ एकड़ में पान की खेती करते हैं. उसी से होने वाली आमदनी से परिवार की रोजी-रोटी चलती है. लेकिन प्राकृतिक प्रकोप के कारण पिछले 3-4 सालों से लगातार फसलें बर्बाद हो रही हैं. इस बार भी लगभग 50 एकड़ में लगे पान बर्बाद हो चुके हैं. जिसके नुकसान की राशि करोड़ों में आंकी जा रही है.

nawada
खेतों में लगे मगही पान

मगध की शान है मगही पान
भारत में पान की खेती कई जगहों पर होती है. लेकिन मगध का मगही पान सर्वोत्तम माना जाता है. यह मग्ध की पहचान है. आर्थिक दृष्टिकोण से भी मगही पान की कीमत अन्य जगहों की पान की अपेक्षा अधिक है. बिहार के तीन जिलों नालन्दा औरंगाबाद और नवादा में मगही पान की खेती होती है. नवादा के मंझवे, तुंगी, बेलदारी, ठियौरी, कैथी हतिया, पचिया, नारदीगंज, छत्तरवार डोला और डफलपुरा में इसकी अच्छी खोती होती है. नवादा का मगही पान मगध की शान है.

विदेशों में भी हैं इसके शौकीन
पान उत्पादक कृषक, उनके परिजनों के साथ-साथ पान के थोक और खुदरा बिक्री से भी बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं. बीड़ा ,गीलोरी और अन्य कई नामों से पहचाने जाने वाला ये पान जिले के पान शौकिनों की शान है. इसके शौकीन तो वारणसी, पश्चिम बंगाल के अलावा नेपाल, बंगलादेश और पाकिस्तान तक में मौजूद हैं.

जानकारी देते संवाददाता

देश भर में जाता है मगही पान
देश में मगही पान का अपना अलग महत्व है. यही वजह है कि यहां के पान की बिक्री बनारस सहित देश के कई हिस्सों में होती है. किसानों की माने तो एक कट्टा में करीब 15-20 हजार रुपए की पूंजी लगती है. और फसल अच्छी हुई तो उससे 25-30 हजार कमा लेते हैं. मगही पान की कीमत अन्य पान से ज्यादा होती है.

3 वर्षों से नहीं मिल रहा अनुदान
किसानों ने बताया कि पहले सरकार की ओर से अनुदान की राशि मिलती थी, तो उससे नुकसान की भरपाई हो जाती थी. लेकिन अब अनुदान भी पिछले 3 सालों से बंद है. जिसके बाद से पान के खेती करनेवाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ेंः पटनाः छुट्टियों के दिन में आम पर्यटकों के लिए खुलेगा बिहार का मुख्य सचिवालय

'अब तो सरकारी अनुदान का ही सहारा'
किसान महेश प्रसाद चौरसिया ने बताया कि एक कट्ठा में खेती करने के लिए 15 से 20 हजार पूंजी लग जाती है. अब इस ठंड के वजह से ऐसा नहीं लग रहा है कि 5000 की भी कमाई हो पाएगी. अब हमलोग को अनुदान का ही सहारा है. अनुदान मिलेगा तो बाल बच्चे का पालन-पोषण अच्छे ढंग से हो जाएगा.

nawada
मगही पान

खेत पट्टे पर लेकर होती है पान की खेती
पान के फसल के बारे में कहा जाता है कि जिस खेत में एक बार पान की फसल हो गई फिर उसके अगले साल उसमें फसल नहीं लगा सकते हैं. जिसके कारण किसान खेत पट्टे पर लेकर पान की खेती करते हैं, ऐसे में अगर फसल नुकसान हो जाए तो उनके लिए परेशानी बढ़ जाती है. यही वजह की इन किसानों की हालत दिनों दिन दयनीय होती जा रही है.

'शिकायत आई तो कराई जाएगी जांच'
वहीं, जिला सहायक उद्यान पदाधिकारी शम्भू प्रसाद का कहना है कि, अभी तक तो हमारे यहां लिखित में कोई सूचना नहीं मिली है. कि ठंड से कुछ नुकसान हुआ है. अगर हुवा है तो हम लोग उसकी जांच करेंगे. अगर 25% से ज्यादा का नुकसान हो गया है तो जांच कराकर रिपोर्ट आपदा को भेजेंगे. जहां से उसकी क्षतिपूर्ति किया जाएगी.

नवादाः जिले में मगहिया संस्कृति की पहचान मगही पान अब खत्म होने की कागार पर है. जिले में पड़ रही ठंड के कारण पकरीबरावां प्रखंड के छतरवार और डोला गांव के किसान परेशान हैं. किसानों के जरिए की गई मगही पान की खेती ठंड और शीतलहर के कारण बर्बाद हो गई है. वहीं, पिछले 3 सालों से इन्हें सरकारी अनुदान भी नहीं मिल रहा है.

50 एकड़ में लगे पान बर्बाद
जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर पकरीबरावां प्रखंड के छतरवार और डोला गांव में किसानों के जरिए की गई मगही पान की खेती बर्बाद हो गई है. दोनों गांव के किसान मिलकर करीब सौ एकड़ में पान की खेती करते हैं. उसी से होने वाली आमदनी से परिवार की रोजी-रोटी चलती है. लेकिन प्राकृतिक प्रकोप के कारण पिछले 3-4 सालों से लगातार फसलें बर्बाद हो रही हैं. इस बार भी लगभग 50 एकड़ में लगे पान बर्बाद हो चुके हैं. जिसके नुकसान की राशि करोड़ों में आंकी जा रही है.

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खेतों में लगे मगही पान

मगध की शान है मगही पान
भारत में पान की खेती कई जगहों पर होती है. लेकिन मगध का मगही पान सर्वोत्तम माना जाता है. यह मग्ध की पहचान है. आर्थिक दृष्टिकोण से भी मगही पान की कीमत अन्य जगहों की पान की अपेक्षा अधिक है. बिहार के तीन जिलों नालन्दा औरंगाबाद और नवादा में मगही पान की खेती होती है. नवादा के मंझवे, तुंगी, बेलदारी, ठियौरी, कैथी हतिया, पचिया, नारदीगंज, छत्तरवार डोला और डफलपुरा में इसकी अच्छी खोती होती है. नवादा का मगही पान मगध की शान है.

विदेशों में भी हैं इसके शौकीन
पान उत्पादक कृषक, उनके परिजनों के साथ-साथ पान के थोक और खुदरा बिक्री से भी बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं. बीड़ा ,गीलोरी और अन्य कई नामों से पहचाने जाने वाला ये पान जिले के पान शौकिनों की शान है. इसके शौकीन तो वारणसी, पश्चिम बंगाल के अलावा नेपाल, बंगलादेश और पाकिस्तान तक में मौजूद हैं.

जानकारी देते संवाददाता

देश भर में जाता है मगही पान
देश में मगही पान का अपना अलग महत्व है. यही वजह है कि यहां के पान की बिक्री बनारस सहित देश के कई हिस्सों में होती है. किसानों की माने तो एक कट्टा में करीब 15-20 हजार रुपए की पूंजी लगती है. और फसल अच्छी हुई तो उससे 25-30 हजार कमा लेते हैं. मगही पान की कीमत अन्य पान से ज्यादा होती है.

3 वर्षों से नहीं मिल रहा अनुदान
किसानों ने बताया कि पहले सरकार की ओर से अनुदान की राशि मिलती थी, तो उससे नुकसान की भरपाई हो जाती थी. लेकिन अब अनुदान भी पिछले 3 सालों से बंद है. जिसके बाद से पान के खेती करनेवाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ेंः पटनाः छुट्टियों के दिन में आम पर्यटकों के लिए खुलेगा बिहार का मुख्य सचिवालय

'अब तो सरकारी अनुदान का ही सहारा'
किसान महेश प्रसाद चौरसिया ने बताया कि एक कट्ठा में खेती करने के लिए 15 से 20 हजार पूंजी लग जाती है. अब इस ठंड के वजह से ऐसा नहीं लग रहा है कि 5000 की भी कमाई हो पाएगी. अब हमलोग को अनुदान का ही सहारा है. अनुदान मिलेगा तो बाल बच्चे का पालन-पोषण अच्छे ढंग से हो जाएगा.

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मगही पान

खेत पट्टे पर लेकर होती है पान की खेती
पान के फसल के बारे में कहा जाता है कि जिस खेत में एक बार पान की फसल हो गई फिर उसके अगले साल उसमें फसल नहीं लगा सकते हैं. जिसके कारण किसान खेत पट्टे पर लेकर पान की खेती करते हैं, ऐसे में अगर फसल नुकसान हो जाए तो उनके लिए परेशानी बढ़ जाती है. यही वजह की इन किसानों की हालत दिनों दिन दयनीय होती जा रही है.

'शिकायत आई तो कराई जाएगी जांच'
वहीं, जिला सहायक उद्यान पदाधिकारी शम्भू प्रसाद का कहना है कि, अभी तक तो हमारे यहां लिखित में कोई सूचना नहीं मिली है. कि ठंड से कुछ नुकसान हुआ है. अगर हुवा है तो हम लोग उसकी जांच करेंगे. अगर 25% से ज्यादा का नुकसान हो गया है तो जांच कराकर रिपोर्ट आपदा को भेजेंगे. जहां से उसकी क्षतिपूर्ति किया जाएगी.

Intro:समरी- पकरीबरावां प्रखंड के छतरवार और डोला गांव में किसानों के द्वारा लगाई गई पान की खेती जिले में कड़ाके की ठंड और शीतलहर के कारण बर्बाद हो गए है पिछले कई वर्षों से3 सरकारी अनुदान भी नहीं मिल रही है।

नवादा। जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर पकरीबरावां प्रखंड के छतरवार और डोला गांव में किसानों के द्वारा लगाई गई पान की खेती जिले में कड़ाके की ठंड और शीतलहर के कारण बर्बाद हो गए हैं। दोनों गांव के किसान मिलकर करीब सौ एकड़ में पान की खेती करते हैं और उसी से होनेवाली आमदनी से परिवार का रोजी-रोटी चलाते हैं लेकिन प्राकृतिक प्रकोप के कारण पिछले 3-4 सालों से लगातार फसलें बर्बाद हो रहे हैं। इसबार भी लगभग 50 एकड़ में लगे पान का फसल बर्बाद हो चुके हैं जिसका नुकसान की राशि करोड़ों में आंकी जा रही है।

पहले सरकार की ओर से अनुदान की राशि मिलती थी तो उससे नुकसान पर मरहम का काम हो जाता था लेकिन अब अनुदान भी पिछले 3-सालों से बंद है जिससे किसानों की हालत दयनीय हो गई है। किसानों का कहना है कि, एक कट्ठा में 15 से ₹20 हजार पूंजी लग जाते हैं इस ठंड के वजह से ऐसा नहीं लग रहा है कि 5000 की भी कमाई हो पाएगी हमलोग को अनुदान मिल जाए तो बाल बच्चा का पालन-पोषण अच्छे ढंग से हो जाएगा।

बाइट- महेश प्रसाद चौरसिया
बाइट- चंदन कुमार चौरसिया
बाइट- हरिहर प्रसाद चौरसिया

वहीं, पान की खेती करनेवाले किसानों को हुए नुकसान पर जिला सहायक उद्यान पदाधिकारी शम्भू प्रसाद का कहना है कि, अभी तक तो हमारे यहां लिखित में कोई सूचना नहीं मिली है कि ठंड से कुछ नुकसान हुआ है अगर हुई है तो हम लोग उसको जांच करेंगे अगर 25% से ज्यादा का नुकसान हो गया है तो जांच कराकर रिपोर्ट आपदा को भेजेंगे जहां से उसकी क्षतिपूर्ति किया जाएगा।

बाइट- शम्भू प्रसाद, जिला सहायक उद्यान पदाधिकारी, नवादा




Body:पट्टे पर लेकर करते हैं खेती

पान के फसल के बारे में कहा जाता है कि जिस खेत में एकबार पान की फसल हो गई फिर उसके अगले साल उसमें फसल नहीं लगा सकते हैं जिसके कारण किसान खेत पट्टे पर लेकर पान की खेती करते है ऐसे में अगर फसल नुकसान हो जाए तो उनके लिए परेशानी बढ़ जाती है।

3 वर्षों नहीं मिल रहा सरकारी अनुदान

प्राकृतिक प्रकोप से नष्ट होनेवाली पान की फसल के लिए मरहम का काम करती थी सरकारी अनुदान की राशि जो पिछले 3 वर्षों से मिलना बंद हो गया जिसके बाद से पान के खेती करनेवाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

यहां से देशभर में जाती है मगही पान

देश में मगही पान अपना अलग महत्व है यही वजह है कि यहां का पान बनारस सहित देश के कई हिस्से में इसकी बिक्री होती है। किसानों की माने तो एक कट्टा में करीब 15-20 हजार रुपए की पूंजी लगती है और फसल अच्छी हुई तो उससे 25- 30 हजार कमा लेते हैं।

क्या कहते हैं उद्यान पदाधिकारी

जिला सहायक उद्यान पदाधिकारी शम्भू प्रसाद का कहना है कि, अभी तक तो हमारे यहां लिखित में कोई सूचना नहीं मिली है कि ठंड से कुछ नुकसान हुआ है अगर हुई है तो हम लोग उसको जांच करेंगे अगर 25% से ज्यादा का नुकसान हो गया है तो जांच कराकर रिपोर्ट आपदा को भेजेंगे जहां से उसकी क्षतिपूर्ति किया जाएगा।



Conclusion:इस तरह लगातार पान की फसल बर्बाद से किसानों की पारिवारिक हालात दयनीय होती जा रही है ऐसे में किसानों को मिलनेवाली अनुदान राशि मिलने लगे तो संभव है कि कुछ हद तक स्थिति बदल सकती है।
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