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नवादा में भारत बंद के समर्थन में विरोध जुलूस, कार्यकर्ताओं ने महंगाई के खिलाफ की नारेबाजी

राज्य के विभिन्न जिलों में भारत बंद का असर देखने को मिल रहा है. वहीं नवादा जिले के शहरी इलाकों में नेता और कार्यकर्ता सड़क पर विरोध प्रदर्शन करते हुए देखे गए. इनमें सबसे ज्यादा वाम दलों की सक्रियता रही. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

नवादा में भारत बंद के समर्थन में विरोध जुलूस
नवादा में भारत बंद के समर्थन में विरोध जुलूस
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Published : Sep 27, 2021, 5:48 PM IST

पटना: सोमवार को किसान नेताओं द्वारा बुलाए गए भारत बंद (Bharat Bandh) को प्रदेश में पूरे विपक्ष ने अपना समर्थन दिया. नवादा (Nawada) जिले के सदभावना चौक पर महागठबंधन और वाम दलों के किसान संगठन समेत अन्य विपक्षी पार्टियां भी पहुंची और भारत बंद को लेकर प्रदर्शन में अपनी भागीदारी निभाई. सर्वाधिक सक्रियता वामदलों की देखने को मिली. भीड़ में लाल झंडे खूब नजर आए.

इसे भी पढ़ें : भारत बंद के समर्थन में विरोध जुलूस, सड़कों पर केंद्र सरकार के खिलाफ लगे नारे

शहर के सदभावना चौक पर प्रदर्शन के दौरान विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग करते हुए आंदोलनरत किसानों से वार्ता करने की मांग की है.

देखें वीडियो

'आज केंद्र की मोदी सरकार उद्योगपतियों के इशारे पर चलती है. इसी वजह से सार्वजनिक क्षेत्रों को निजीकरण किया जा रहा है. छात्र आज बेरोजगार हैं. उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है. इन सभी मांगों को लेकर आज भारत बंद किया गया है.' :- जगदीश चौहान, किसान नेता

ये भी पढ़ेंः मुजफ्फरपुर में भारत बंद का असर, RJD ने NH 28 और 57 को किया जाम

बता दें कि किसान संगठनों के भारत बंद को कांग्रेस समेत तमाम गैर-एनडीए दलों ने समर्थन दिया है. बिहार में भी राजद, कांग्रेस और तमाम वामदलों ने पटना के बुद्ध स्मृति पार्क से लेकर डाकबंगला चौराहे तक मार्च किया. डाकबंगला चौराहे को जाम करते हुए उन्होंने कृषि कानून के खिलाफ नारे भी लगाए. इस दौरान बंद समर्थकों ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को लाकर केंद्र सरकार ने किसानों की कमर तोड़ने की कोशिश की है.

जानें क्या हैं तीनों कृषि कानून जिसका किसान विरोध कर रहे हैं:

1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020: इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे रोज्यों में फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब एपीएमसी (एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी -Agriculture Marketing Produce Committee) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकती है. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.

2. मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा कानून 2020: देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज ख्त्म होगा.

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020: आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है. बहुत जरूरी होने पर ही स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

पटना: सोमवार को किसान नेताओं द्वारा बुलाए गए भारत बंद (Bharat Bandh) को प्रदेश में पूरे विपक्ष ने अपना समर्थन दिया. नवादा (Nawada) जिले के सदभावना चौक पर महागठबंधन और वाम दलों के किसान संगठन समेत अन्य विपक्षी पार्टियां भी पहुंची और भारत बंद को लेकर प्रदर्शन में अपनी भागीदारी निभाई. सर्वाधिक सक्रियता वामदलों की देखने को मिली. भीड़ में लाल झंडे खूब नजर आए.

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शहर के सदभावना चौक पर प्रदर्शन के दौरान विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग करते हुए आंदोलनरत किसानों से वार्ता करने की मांग की है.

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'आज केंद्र की मोदी सरकार उद्योगपतियों के इशारे पर चलती है. इसी वजह से सार्वजनिक क्षेत्रों को निजीकरण किया जा रहा है. छात्र आज बेरोजगार हैं. उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है. इन सभी मांगों को लेकर आज भारत बंद किया गया है.' :- जगदीश चौहान, किसान नेता

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बता दें कि किसान संगठनों के भारत बंद को कांग्रेस समेत तमाम गैर-एनडीए दलों ने समर्थन दिया है. बिहार में भी राजद, कांग्रेस और तमाम वामदलों ने पटना के बुद्ध स्मृति पार्क से लेकर डाकबंगला चौराहे तक मार्च किया. डाकबंगला चौराहे को जाम करते हुए उन्होंने कृषि कानून के खिलाफ नारे भी लगाए. इस दौरान बंद समर्थकों ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को लाकर केंद्र सरकार ने किसानों की कमर तोड़ने की कोशिश की है.

जानें क्या हैं तीनों कृषि कानून जिसका किसान विरोध कर रहे हैं:

1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020: इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे रोज्यों में फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब एपीएमसी (एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी -Agriculture Marketing Produce Committee) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकती है. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.

2. मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा कानून 2020: देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज ख्त्म होगा.

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020: आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है. बहुत जरूरी होने पर ही स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

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