नवादा: ये बात पुरानी हो गई जब सिर्फ बेटे ही परिवार के सदस्यों को मुखाग्नि देते थे. बदलते दौर में समय के साथ लोगों की सोच भी बदलने लगी है. अब महिलाएं रूढ़िवादी परंपरा को दरकिनार कर महिला सशक्तिकरण की ओर अपना कदम बढ़ा रही हैं.
ससुर की अर्थी को दी मुखाग्नि
दरअसल, कुछ ऐसा ही वाकया जिले के रोह प्रखंड के सुंदरा गांव की है. जहां बहु ने अपने ससुर की अर्थी को कंधा देने के साथ ही मुखाग्नि भी दी. बता दें कि रविवार को जिले के प्रसिद्ध होम्योपैथी डॉक्टर सुधीर कुमार के पिता दशरथ प्रसाद का देहांत हो गया. स्व. दशरथ प्रसाद पेशे से स्कूल शिक्षक थे.
'रूढ़िवादिता खत्म करने के लिए की पहल'
दशरथ प्रसाद के देहांत पर उनकी तीनों बहुओं ने गांव की महिलाओं के साथ शव यात्रा निकाला. सभी ने श्मशान घाट पहुंचने तक बारी-बारी से अर्थी को कंधा दिया. साथ ही तीनों बहुओं में एक ललिता सिन्हा ने हिन्दू परंपरा के मुताबिक मृतक शिक्षक को मुखाग्नि भी दी. ललिता सिन्हा ने बताया कि जब महिलाओं की हर क्षेत्र में समानता की बात हो रही है तो यहां क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि रूढ़िवादिता को खत्म करने के लिए हमलोगों ने पहल की है.