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नवादा: 12 साल बाद भी निर्माण कार्य अधूरा, टूटी सड़कों पर सफर को मजबूर हैं लोग

जिले की मोरमा-बजवाड़ा सड़क का निर्माण अधूरा है. जिससे यहां के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. राहगीर अक्सर यहां दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं. इसका निर्माण कार्य 12 साल से अधूरा है.

मोरमा-बजवाड़ा सड़क की जर्जर स्थिति
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Published : Aug 6, 2019, 2:27 PM IST

नवादा: जिले में सड़क की बदहाली यहां के लोगों के लिए परेशानियों का कारण बनी हुई है. रोह प्रखंड के अंतर्गत कई ऐसी सड़कें हैं, जो सालों से जर्जर स्थिति में हैं. जिनमें से एक रोह की मोरमा-बजवाड़ा सड़क है. इसका निर्माण अधूरा है. यह सीधे रोह प्रखंड मुख्यालय को जोड़ती है, जो फिलहाल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इस सड़क को आज भी अपने उद्धारक का इंतजार है.

मोरमा-बजवाड़ा सड़क की जर्जर स्थिति

12 साल से अधूरा है निर्माण कार्य
स्थानीय ने बताया कि 2006 में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से 3 किमी तक की सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ था. कुछ जगहों पर मिट्टीकरण और गिट्टी भी बिछाने का काम हुआ था, जो 2007 तक बंद हो गया. जिसके बाद से आज तक यह सड़क नहीं बन पाई है. इस पथ से जुड़े लगभग आधे दर्जन गांवों के हजारों लोग प्रतिदिन सफर करते हैं. इस रास्ते से गुजरते वक्त दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है. राहगीर अक्सर यहां दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं. अगर यह सड़क बन जाती है तो लोगों को पकरीबरावां जाने में अधिक समय नहीं गंवाना पड़ेगा. इससे समय के साथ-साथ पैसे की बचत भी होगी. अभी पकरीबरावां जाने के लिए लोगों को कादिरगंज होते हुए लगभग 23 किमी का सफर तय करना पड़ता है. सड़क बन जाने पर महज 10 किमी की दूरी तय करनी होगी.

जल्द से जल्द सड़क और नाले का निर्माण हो
स्थानीय सरोज कुमार का कहना है कि जब से उन्होंने होश संभाला है, तब से इसे ऐसे ही देख रहे हैं. बरसात में यह सड़क नजर हीं नहीं आती है. यहां सिर्फ पानी और कीचड़ नजर आता है. वहीं, अन्य लोगों का कहना है कि यह सड़क काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. बाहर थोड़ा ठीक रहता है लेकिन गांव में पहुंचते हीं पूरे गाड़ी में कचड़ा फैल जाता है. यहां जल्द से जल्द सड़क और नाले का निर्माण होना चाहिए. यहां के ग्रामीण कार्य विभाग के जेई रविन्द्र कुमार का कहना है कि सड़क का काम प्रकिया में है. लेकिन अभी इसमें थोड़ा समय लगेगा.

नवादा: जिले में सड़क की बदहाली यहां के लोगों के लिए परेशानियों का कारण बनी हुई है. रोह प्रखंड के अंतर्गत कई ऐसी सड़कें हैं, जो सालों से जर्जर स्थिति में हैं. जिनमें से एक रोह की मोरमा-बजवाड़ा सड़क है. इसका निर्माण अधूरा है. यह सीधे रोह प्रखंड मुख्यालय को जोड़ती है, जो फिलहाल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इस सड़क को आज भी अपने उद्धारक का इंतजार है.

मोरमा-बजवाड़ा सड़क की जर्जर स्थिति

12 साल से अधूरा है निर्माण कार्य
स्थानीय ने बताया कि 2006 में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से 3 किमी तक की सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ था. कुछ जगहों पर मिट्टीकरण और गिट्टी भी बिछाने का काम हुआ था, जो 2007 तक बंद हो गया. जिसके बाद से आज तक यह सड़क नहीं बन पाई है. इस पथ से जुड़े लगभग आधे दर्जन गांवों के हजारों लोग प्रतिदिन सफर करते हैं. इस रास्ते से गुजरते वक्त दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है. राहगीर अक्सर यहां दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं. अगर यह सड़क बन जाती है तो लोगों को पकरीबरावां जाने में अधिक समय नहीं गंवाना पड़ेगा. इससे समय के साथ-साथ पैसे की बचत भी होगी. अभी पकरीबरावां जाने के लिए लोगों को कादिरगंज होते हुए लगभग 23 किमी का सफर तय करना पड़ता है. सड़क बन जाने पर महज 10 किमी की दूरी तय करनी होगी.

जल्द से जल्द सड़क और नाले का निर्माण हो
स्थानीय सरोज कुमार का कहना है कि जब से उन्होंने होश संभाला है, तब से इसे ऐसे ही देख रहे हैं. बरसात में यह सड़क नजर हीं नहीं आती है. यहां सिर्फ पानी और कीचड़ नजर आता है. वहीं, अन्य लोगों का कहना है कि यह सड़क काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. बाहर थोड़ा ठीक रहता है लेकिन गांव में पहुंचते हीं पूरे गाड़ी में कचड़ा फैल जाता है. यहां जल्द से जल्द सड़क और नाले का निर्माण होना चाहिए. यहां के ग्रामीण कार्य विभाग के जेई रविन्द्र कुमार का कहना है कि सड़क का काम प्रकिया में है. लेकिन अभी इसमें थोड़ा समय लगेगा.

Intro:नवादा। जिले में सड़क की बदहाली यहां के लोगों के लिए परेशानियों का कारण बनी हुई है। सिर्फ रोह प्रखंड अंतर्गत कई ऐसे सड़कें हैं जो वर्षों से काफी जर्जर स्थिति में है। जिनमें से एक सड़क रोह से मोरमा-बजवाड़ा सड़क जोकि कई वर्षों से अधूरी है यह सड़क सीधे रोह प्रखंड मुख्यालय से जोड़ती है जो फिलहाल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इस सड़क को आज भी अपने उद्धारक का इंतज़ार है।

12 वर्षों से है अधूरी

बताया जा रहा है कि 2006 में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से 3 किमी तक की सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ था। ठेकेदार ने कुछ जगहों पर मिट्टीकरण और गिट्टी भी बिछाने का कार्य जो 2007 आते आते बंद हो गया जिसके बाद से आज तक यह सड़क नहीं बन पाई है।

आधी दर्जनों गांवों के हजारों लोग प्रतिदिन करते हैं सफ़र

इस पथ से जुड़े लगभग आधी दर्जन गांवों के हजारों लोग प्रतिदिन सफ़र करते हैं। इस रास्ते से गुजरते वक्त दुर्घटनाओं की आशंकाएं हमेशा बनी रहती है। राहगीर अक्सर यहां दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं।

रोह-पकरीबरावां की दूरी भी होगी कम

अगर यह सड़क बन जाती है तो लोगों को पकरीबरावां जाने में अधिक समय नहीं गवांने पड़ेंगें। इससे समय के साथ-साथ धन की बचत भी होगी। अभी पकरीबरावां जाने के लिए लोगों को कादिरगंज होते हुए लगभग 23 किमी का सफ़र तय कर जाना पड़ता है अगर यह सड़क बनती है तो लोग महज 10 किमी का सफ़र तय कर पकरीबरावां जा सकते हैं।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

राहगीर सरोज कुमार का कहना है कि जब से होश हुआ है तब से ऐसे ही देख रहे हैं। बरसात में यह सड़क नज़र आती ही नहीं है यहां सिर्फ पानी और कीचड़ नज़र आती है। वहीं, अन्य लोगों का कहना है कि यह सड़क काफी जीर्णशीर्ण अवस्था में है बाहर थोड़ा ठीक रहता है लेकिन गांव में घुसने के बाद पूरे गाड़ी में कचड़ा फैल जाता है। यहां जल्द सड़क और नाले का निर्माण होनी चाहिए।

क्या कहते हैं पदाधिकारी

रोह प्रखंड के ग्रामीण कार्य विभाग के जेई रविन्द्र कुमार का कहना है कि, अभी इसमें थोड़ा समय लगेगा लेकिन प्रकिया में है।











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