नालंदा: बिहारशरीफ शहर के पुल पर 8 फरवरी 2019 की रात ब्लेड से गला काटकर युवक जितेन्द्र कुमार की नृशंस हत्या के मामले में जिले की व्यवहार न्यायालय ने सोमवार को सजा सुनाई है. किशोर न्याय परिषद प्रधान के दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने तीनों किशोर आरोपियों के खिलाफ साक्ष्यों को सही पाते हुए जघन्य अपराध का दोषी करार दिया है.
ये भी पढ़ें:- पटना: पटना समेत उत्तर बिहार के कई जिलों में भूकंप के झटके
इस मामले में सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए आईपीसी की धारा 302, 411, 379, 120बी के तहत तीन वर्ष आवासित रखने का आदेश दिया है. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी. सजा में आरोपियों द्वारा बिताए गए न्यायिक अभिरक्षा की अवधि को भी गुजारने का आदेश दिया गया है. एपीपी राजेश पाठक ने अभियोजन पक्ष से 6 गवाहों का परीक्षण करते हुए बहस की और आरोपियों के खिलाफ साक्ष्यों को प्रमाणित करते हुए सजा दिलाई.
फोन पर बुलाकर पैसे लूटे फिर की हत्या
बता दें कि मृतक जितेन्द्र कुमार को घर से आरोपियों ने फोन कर बुलाया. घटना के दिन 10 बजे रात उसे पुल पर ले गए और वहां शराब पिलाकर जितेन्द्र कुमार के जेब में रखा 24 हजार रुपया छीन लिया. बाद में उन्होंने ब्लेड से मृतक की गला काटकर हत्या कर दी. जब जितेन्द्र कुमार घर नहीं लौटा तो परिवार वाले उसे 1 बजे रात में खोजने निकले, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला. सुबह में एक लड़के ने घर में आकर बताया कि जितेन्द्र कुमार को मारकर पुल पर फेंक दिया गया है. 9 फरवरी 2019 को जितेन्द्र कुमार को परिजन बिहारशरीफ सदर अस्पताल से रेफर कर पीएमसीएच ले गये, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. 10 फरवरी को लहेरी थाना में सूचक मनोज कुमार के फर्द ब्यान पर तीनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.
ये भी पढ़ें:- मुजफ्फरपुर: खबरा से युवक का शव बरामद, गैंगवॉर में हत्या की आशंका
जानबूझ कर घटना को दिया अंजाम
इस मामले में आरोपियों ने अपराध की स्वीकृति बयान में अपराध करने की बात स्वयं स्वीकार की थी. उनके ही निशानदेही पर एक किशोर आरोपी के घर के आलमारी से 10 हजार रुपए, मृतक का जला हुआ जैकेट और हत्या में प्रयुक्त ब्लेड बरामद किया गया था. मृतक के साथ अंतिम बार मोबाइल पर बात इन्ही आरोपियों के साथ बात हुई थी. उसके बाद मृतक जितेन्द्र कुमार तीनों आरोपियों के साथ प्रथम पुल की ओर जाते हुए सड़क पर लगे सीसीटीवी फुटेज में देखा गया. जानकारी के अनुसार, किशोर आरोपी अर्थाभाव में थे और अनपढ़ थे. लेकिन उन्होंने जान बूझकर पकड़े जाने के भय से इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया था. पर्यवेक्षण गृह में भी इनका व्यवहार हिंसक था और अन्य रह रहे बच्चों को गलत कार्यों की ओर प्रेरित करने वाला था. इसलिए इन्हें शेखपुरा स्थानांतरित किया गया था.