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बिहार: गुमनामी में तन्हा सो रहा कश्मीर का आखिरी सुल्तान

नालंदा में कश्मीर के आखिरी सुल्तान युसूफ शाह चक की कब्र है. सरकारी उदासीनता के कारण युसूफ शाह चक के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. इतिहास के पन्नों में अमर हो चुके राजा की कब्र अपनी तन्हाई की दास्तां चीख-चीखकर सुना रही है.

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Published : Sep 4, 2019, 7:13 AM IST

नालंदा: ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाने वाले नालंदा में कई ऐसी धरोहरें भी हैं, जो गुमनामी के अंधेरे में खो रही हैं. सरकारी उदासीनता के कारण ये बदहाली की कगार पर पहुंच चुकी हैं. ऐसी ही एक धरोहर कश्मीर के आखिरी राजा से जुड़ी हुई है. यहां इस्लामपुर प्रखंड के बेशवक गांव में कश्मीर पर हुकूमत कर चुके सुल्तान युसूफ शाह चक अपनी कब्र में आराम फरमा रहे हैं. लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं.

बेशवक गांव में कश्मीर के आखिरी बादशाह युसूफ शाह चक की कब्र बनी हुई है. बदरंग और जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी कब्र की बाउंड्री वॉल और आसपास उगी हरी घास इस धरोहर की बदहाली बताने के लिए काफी है. ऐतिहासिक स्थल का विकास न होना इसे पर्यटन के नजरिये से उस मुकाम तक नहीं ले जा सका, जिसका ये स्थल हकदार था.

कश्मीर का राजा (पूरी जानकारी)
कश्मीर का राजा (पूरी जानकारी)

चक वंश के राजा...
कौन हैं राजा युसूफ शाह चक, ये शायद इस पर्यटन स्थल की बदहाली की वजह से ज्यादा कोई नहीं जानता. मुगलों के कश्मीर से पहले वहां की स्वतंत्र रियासत के आखिरी सुल्तान युसूफ शाह 'चक' वंश के शासक थे. इन्होंने 1578 से 1586 ईस्वी तक कश्मीर पर हुकूमत की.

आसपास पीरों की कब्र
आसपास पीरों की कब्र

अकबर ने कर लिया था कैद
1586 को मुगल बादशाह अकबर ने राजा युसूफ शाह चक को कैद कर लिया. अकबर ने उन्हें 30 महीने तक कैद में रखा. इसके बाद मुगल बादशाह ने उन्हें निर्वासित कर दिया. अकबर ने अपने सेनापति मानसिंह के सहायक के तौर पर कश्मीर के आखिरी राजा को एक विशेष ओहदे के रूप में 500 मनसब देकर नालंदा भेजा.

कश्मीर के सुल्तान पर खास रिपोर्ट

इतिहास के ये पन्ने
इतिहास के पन्नों में युसूफ शाह चक का जिक्र किया गया है. अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी के साथ-साथ पांडुलिपि फारसी में बहारिस्तान-ए-शाही में उनका जिक्र है. मध्ययुगीन ये दस्तावेज कश्मीर की राजनीतिक उठापटक के गवाह हैं. इनके मुताबिक युसूफ जब अपने विद्रोही सामंतों से बहुत परेशान हो गए, तो उन्होंने 1980 को अकबर से मदद मांगी.

ये रही बदहाली की तस्वीर
ये रही बदहाली की तस्वीर

समझौते से नाराज हुए अकबर
मदद करने के लिए अकबर ने राजा मान सिंह को युसूफ के पास भेजा. लेकिन मुगल सेना, जब तक कश्मीर पहुंचती युसूफ शाह चक और उनके विद्रोही सामंत अब्दाल भट्ट के बीच समझौता हो गया. इसके परिणाम स्वरूप मुगल सेना को कश्मीर के बाहर से ही लौटना पड़ा. इससे अकबर युसूफ से बेहद नाराज हो गए.

सुल्तान के पूरे खानदान की कब्र
सुल्तान के पूरे खानदान की कब्र

फिर कर लिया कैद
1586 को अकबर के आदेश पर राजा भगवान सिंह ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया. इस आक्रमण के बाद युसूफ और भगवान सिंह के बीच समझौता हो गया. समझौते के बाद युसूफ शाह चक को लाहौर में अकबर के सामने पेश किया गया. अपनी नाराजगी दिखाते हुए अकबर ने कश्मीर के सुल्तान को कैद कर लिया.

बदरंग बाउंड्री वॉल
बदरंग बाउंड्री वॉल

अकबर के लिए लड़ते हुए पड़ गए थे बीमार
अकबर के लिए लड़ते हुए ओडिशा पर फतह हासिल कर युसूफ शाह चक की तबीयत खराब हो गई. इसके चलते 1592 में उनकी मौत हो गई. दस्तावेजों के मुताबिक शाह के शव को बेशवक लाने में दो महीने का समय लगा और उन्हें यहीं दफना दिया गया. ऐसा कहा जाता है कि शाह की याद में यहां बहुत बड़े बगीचे का निर्माण भी करवाया गया था.

सुल्तान के नाम का शिलापट
सुल्तान के नाम का शिलापट

दफ्न है पूरा खानदान
युसूफ शाह चक की कब्र के साथ कई कब्रें हैं. स्थानीय मौलाना के मुताबिक ये कब्रें उनके खानदान की हैं. मां को छोड़कर यहां उनकी पत्नी हब्बा खातून, भाई और बेटे की कब्र हैं. ये कब्र राजा के चारों ओर हैं. यहां उनका पूरा का पूरा खानदान दफ्न है.

मिल चुकी है भगवान बुद्ध की प्रतिमा...
वहीं, बेशवक में अब वो बगीचा नहीं है. हालांकि, स्थानीय लोगों की माने तो यहां बोरिंग के समय भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी मिल चुकी है. लोगों का कहना है कि सरकार को इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में सोचना चाहिए. पुरातत्व विभाग को इस बारे में पूरी जानकारी है. बावजूद इसके किसी प्रकार का कोई निर्माण कार्य नहीं करवाया गया है. जो बाउंड्री वॉल थी. वो भी जर्जर हो चुकी है. यहां निर्माण कार्य होना चाहिए और इसके बारे में आम जनता को ज्यादा से ज्यादा अवगत कराना चाहिए.

दरवाजे पर उगी घास
दरवाजे पर उगी घास

राजा को रहनुमाओं का इंतजार
कश्मीर के शंहशाह तो कब्र में आराम फराम रहे हैं. गहरी नींद में सो गए हैं. लेकिन, अब के सियासी रहनुमाओं को इस ओर कौन लाएगा. उन्हें कौन बताएगा कि खंडहर में तब्दील हुए किसी राजा के कब्र की देखभाली की जाए. उसे टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर डेवलप किया जाए.

नालंदा: ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाने वाले नालंदा में कई ऐसी धरोहरें भी हैं, जो गुमनामी के अंधेरे में खो रही हैं. सरकारी उदासीनता के कारण ये बदहाली की कगार पर पहुंच चुकी हैं. ऐसी ही एक धरोहर कश्मीर के आखिरी राजा से जुड़ी हुई है. यहां इस्लामपुर प्रखंड के बेशवक गांव में कश्मीर पर हुकूमत कर चुके सुल्तान युसूफ शाह चक अपनी कब्र में आराम फरमा रहे हैं. लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं.

बेशवक गांव में कश्मीर के आखिरी बादशाह युसूफ शाह चक की कब्र बनी हुई है. बदरंग और जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी कब्र की बाउंड्री वॉल और आसपास उगी हरी घास इस धरोहर की बदहाली बताने के लिए काफी है. ऐतिहासिक स्थल का विकास न होना इसे पर्यटन के नजरिये से उस मुकाम तक नहीं ले जा सका, जिसका ये स्थल हकदार था.

कश्मीर का राजा (पूरी जानकारी)
कश्मीर का राजा (पूरी जानकारी)

चक वंश के राजा...
कौन हैं राजा युसूफ शाह चक, ये शायद इस पर्यटन स्थल की बदहाली की वजह से ज्यादा कोई नहीं जानता. मुगलों के कश्मीर से पहले वहां की स्वतंत्र रियासत के आखिरी सुल्तान युसूफ शाह 'चक' वंश के शासक थे. इन्होंने 1578 से 1586 ईस्वी तक कश्मीर पर हुकूमत की.

आसपास पीरों की कब्र
आसपास पीरों की कब्र

अकबर ने कर लिया था कैद
1586 को मुगल बादशाह अकबर ने राजा युसूफ शाह चक को कैद कर लिया. अकबर ने उन्हें 30 महीने तक कैद में रखा. इसके बाद मुगल बादशाह ने उन्हें निर्वासित कर दिया. अकबर ने अपने सेनापति मानसिंह के सहायक के तौर पर कश्मीर के आखिरी राजा को एक विशेष ओहदे के रूप में 500 मनसब देकर नालंदा भेजा.

कश्मीर के सुल्तान पर खास रिपोर्ट

इतिहास के ये पन्ने
इतिहास के पन्नों में युसूफ शाह चक का जिक्र किया गया है. अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी के साथ-साथ पांडुलिपि फारसी में बहारिस्तान-ए-शाही में उनका जिक्र है. मध्ययुगीन ये दस्तावेज कश्मीर की राजनीतिक उठापटक के गवाह हैं. इनके मुताबिक युसूफ जब अपने विद्रोही सामंतों से बहुत परेशान हो गए, तो उन्होंने 1980 को अकबर से मदद मांगी.

ये रही बदहाली की तस्वीर
ये रही बदहाली की तस्वीर

समझौते से नाराज हुए अकबर
मदद करने के लिए अकबर ने राजा मान सिंह को युसूफ के पास भेजा. लेकिन मुगल सेना, जब तक कश्मीर पहुंचती युसूफ शाह चक और उनके विद्रोही सामंत अब्दाल भट्ट के बीच समझौता हो गया. इसके परिणाम स्वरूप मुगल सेना को कश्मीर के बाहर से ही लौटना पड़ा. इससे अकबर युसूफ से बेहद नाराज हो गए.

सुल्तान के पूरे खानदान की कब्र
सुल्तान के पूरे खानदान की कब्र

फिर कर लिया कैद
1586 को अकबर के आदेश पर राजा भगवान सिंह ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया. इस आक्रमण के बाद युसूफ और भगवान सिंह के बीच समझौता हो गया. समझौते के बाद युसूफ शाह चक को लाहौर में अकबर के सामने पेश किया गया. अपनी नाराजगी दिखाते हुए अकबर ने कश्मीर के सुल्तान को कैद कर लिया.

बदरंग बाउंड्री वॉल
बदरंग बाउंड्री वॉल

अकबर के लिए लड़ते हुए पड़ गए थे बीमार
अकबर के लिए लड़ते हुए ओडिशा पर फतह हासिल कर युसूफ शाह चक की तबीयत खराब हो गई. इसके चलते 1592 में उनकी मौत हो गई. दस्तावेजों के मुताबिक शाह के शव को बेशवक लाने में दो महीने का समय लगा और उन्हें यहीं दफना दिया गया. ऐसा कहा जाता है कि शाह की याद में यहां बहुत बड़े बगीचे का निर्माण भी करवाया गया था.

सुल्तान के नाम का शिलापट
सुल्तान के नाम का शिलापट

दफ्न है पूरा खानदान
युसूफ शाह चक की कब्र के साथ कई कब्रें हैं. स्थानीय मौलाना के मुताबिक ये कब्रें उनके खानदान की हैं. मां को छोड़कर यहां उनकी पत्नी हब्बा खातून, भाई और बेटे की कब्र हैं. ये कब्र राजा के चारों ओर हैं. यहां उनका पूरा का पूरा खानदान दफ्न है.

मिल चुकी है भगवान बुद्ध की प्रतिमा...
वहीं, बेशवक में अब वो बगीचा नहीं है. हालांकि, स्थानीय लोगों की माने तो यहां बोरिंग के समय भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी मिल चुकी है. लोगों का कहना है कि सरकार को इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में सोचना चाहिए. पुरातत्व विभाग को इस बारे में पूरी जानकारी है. बावजूद इसके किसी प्रकार का कोई निर्माण कार्य नहीं करवाया गया है. जो बाउंड्री वॉल थी. वो भी जर्जर हो चुकी है. यहां निर्माण कार्य होना चाहिए और इसके बारे में आम जनता को ज्यादा से ज्यादा अवगत कराना चाहिए.

दरवाजे पर उगी घास
दरवाजे पर उगी घास

राजा को रहनुमाओं का इंतजार
कश्मीर के शंहशाह तो कब्र में आराम फराम रहे हैं. गहरी नींद में सो गए हैं. लेकिन, अब के सियासी रहनुमाओं को इस ओर कौन लाएगा. उन्हें कौन बताएगा कि खंडहर में तब्दील हुए किसी राजा के कब्र की देखभाली की जाए. उसे टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर डेवलप किया जाए.

Intro:नालंदा। नालंदा जिला के इस्लामपुर प्रखंड के बेस पर गांव में कश्मीर के आखिरी बादशाह यूसुफ शाह चक आराम फरमा रहे हैं। यही वह स्थल है जहां कश्मीर के आखिरी बादशाह को दफनाया गया था लेकिन आज यह स्थल गुमनामी के अंधेरे में छिपा है। स्थल का विकास नहीं होने से जीर्ण शीर्ण अवस्था में आ चुका है । कश्मीर के आखिरी बादशाह सुल्तान यूसुफ शाह चक के इस स्थल पर दफनाया गया है, एक बड़ा भूभाग आज बेकार पड़ा है। स्थल की चाहरदीवारी की गई थी लेकिन आज पूरी तरह से चाहरदीवारी टूटा हुआ है।
यूसुफ शाह चक कश्मीर के आखरी बादशाह हुए। इन्होंने 1578 से 1586 तक कश्मीर पर अपनी हुकूमत की। 1586 को मुगल बादशाह अकबर द्वारा उन्हें कैद कर लिया गया और करीब 30 महीने तक कैद में रखा । उसके बाद अकबर ने अपने सेनापति मान सिंह के सहायक के तौर पर यूसुफ शाह चक को नालंदा के बेशवक भेज दिया, जहां 1592 में उनकी मौत हो गई। कहा जाता है कि युद्ध के दौरान उनका निधन हो गया जिसके बाद उनके शरीर को बेशवक गांव में दफनाया गया।


Body:इस्लामपुर प्रखंड का यह गांव कभी मुसलमानों की काफी आबादी हुआ करते थी, पर धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी ने पलायन करना शुरू किया जिसके बाद अब यहां मुस्लिम आबादी नहीं के बराबर है। इसी गांव के कब्रिस्तान में कश्मीर पर हुकूमत कर चुके सुल्तान यूसुफ शाह चक अपने कब्र में आराम फरमा रहे हैं । बदरंग हो चुकी चाहरदीवारी से घिरी इस कब्र के पास बरसात में उगाई हरी घास इसकी बदहाली बयां कर रही है।
कहा जाता है कि सुल्तान यूसुफ शाह चक की खूबियों का लोहा बादशाह अकबर भी मानता था इसलिए अकबर ने अपने सेनापति मानसिंह के सहायक के तौर पर युसूफ साहब जब को 500 मनसब(एक तरह का ओहदा) देकर नालंदा के बेशवक परगना में निर्वासित करके भेज दिया था। कहा जाता है कि कई वर्षों तक जिले में काम करने के बाद 1592 में उनकी मौत हो गई। उस समय शव को कश्मीर ले जाना आसान नहीं था इसलिए लोगों ने उन्हें बेशवक में ही दफना दिया गया।
वहीं गांव के मनोज पांडे का दावा है कि कब्र के नीचे मंदिर था। उनका कहना है कि मंदिर के ऊपर कब्र बनाई गई है यहां भगवान बुद्ध की एक प्रतिमा भी निकली है जो कि बोरिंग के दौरान निकला था जिससे लोगों का कहना है कि मंदिर के ऊपर ही कब्रिस्तान बना दिया गया है।
बाइट। डॉ सैयद मजहर इक़बाल, मौलाना (दाढ़ी वाले)
बाइट। मनोज पांडेय,
बाइट। तुफैल अहमद खान शूरी, पुरातत्वेत्ता (टोपी पहने बैठ कर बाइट देते हुए)


Conclusion:
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