नालंदा: बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपने पैतृक गांव मुस्तफापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात का 101वां संस्करण को सुना. इस दौरान बीजेपी नेता आरसीपी सिंह ने मंत्री श्रवण कुमार को पहचानने से इंकार करते हुए कहा कि मैं इनलोगों को नहीं जानता हूं. येलोग मान रहे हैं न मेरे समय में बूथ स्तर तक पार्टी मजबूत हुई थी. हमारे समय में 43 सीट आ भी गया था. इस बार अपना नालंदा जाकर दिखाएं, वहां के लोग तो खड़ें हैं इनलोगों के इंतजार में.
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आरजेडी के बयान से उसकी सोच झलकती है: आरसीपी सिंह ने श्रवण कुमार को अपनी सीट बचाकर दिखाने की चुनौती तक दे डाली. उन्होंने कहा कि मैंने तो पार्टी को बूथस्तर पर मजबूत कर दिया था. तब तो इतनी सीट भी आई. इनलोगों ने क्या किया था. इसके अलावा उन्होंने आरजेडी के द्वारा नई संसद भवन को ताबूत कहने के सवाल पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह तो अपनी-अपनी सोच है. भारत वर्ष में लोकतंत्र पूरी तरह से जीवंत है. संसद भवन के अंदर हमारे जितने भी सांसद हैं, देश के मुद्दों पर चर्चा करते हैं. ऐसे में इसे आरजेडी ताबूत के नजरिए से देखती है तो उसकी सोच साफ साफ झलक रही है.
"मैं इनलोगों को नहीं जानता हूं. येलोग मान रहे हैं न मेरे समय में बूथ स्तर तक पार्टी मजबूत हुई थी. हमारे समय में 43 सीट आ भी गया था. इस बार अपना नालंदा जाकर दिखाएं, वहां के लोग तो खड़ें हैं इनलोगों के इंतजार में. भारत वर्ष में लोकतंत्र पूरी तरह से जीवंत है. ऐसे में इसे आरजेडी ताबूत के नजरिए से देखती है तो उसकी सोच साफ साफ झलक रही है. आने वाले चुनाव में जनता इन्हें हैसियत बता देगी" - आरसीपी सिंह, बीजेपी नेता
आरजेडी को जनता उसकी हैसियत बता देगी: आरसीपी सिंह ने कहा कि अगर आरजेडी की सोच अभी यही है तो आने वाले चुनाव में बिहार की जनता इनको बता देगी कि इनकी हैसियत क्या है? उन्होंने आरजेडी के बयान की कड़ी निंदा की. आरजेडी का इस तरह का बयान देना गलत है और लोकतंत्र का अपमान है. इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है. नए संसद भवन और नीति आयोग से बायकाट करने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए आरसीपी सिंह ने कहा इन दिनों बिहार की सरकार बहिष्कार की राजनीति कर रही है.
विकास के बदले राजनीति कर रहे नीतीश कुमार: आरसीपी ने कहा कि विगत दो वर्षों से लगातार दिल्ली का दौरा कर रहे हैं, लेकिन विकास की चर्चा तो दूर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग सार्वजनिक सभा या फिर सीएम हाउस में उठाते हैं, जबकि उन्हें नीति आयोग की बैठक में शामिल होकर अपनी मांग को मजबूती से रखना चाहिए, तो यह बिहार के विकास पर ध्यान न देकर देश की राजनीति पर दे रहे हैं जो ठीक नहीं है. विपक्षी एकता बनाने दिल्ली जाते हैं उससे क्या होगा?