नालंदा: विश्व को शांति और अहिंसा का संदेश देने वाला विश्व शांति स्तूप के 50वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा फर्स्ट लेडी सविता कोविंद, राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि मौजूद रहे.
कई देशों के पहुंचे थे बौद्ध धर्मावलंबी
कार्यक्रम के दौरान बौद्ध धर्मावलंबियों की तरफ से पूजा का आयोजन किया गया. यहां बौद्ध मंत्रों के उच्चारण के साथ ही पूजा अर्चना की शुरुआत की गई. इस दौरान भारत, जापान, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड सहित कई देशों के बौद्ध धर्मावलंबी पहुंचे थे. विश्व में शांति और अहिंसा का वातावरण बना रहे इसके लिए प्रार्थना की गई.
'शील, समाधि और प्रज्ञा की है आवश्यकता'
बौद्ध धर्मावलंबी वसंगु दोरनेगी ने कहा कि महात्मा गांधी की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर विश्व शांति के लिए राजगीर के रत्नागिरी पर्वत पर विश्व शांति स्तूप का निर्माण कराया गया था, जो कि अभूतपूर्व कार्य था. उन्होंने कहा कि व्यक्ति का व्यक्तित्व जड़ से नहीं बना है. जड़ और चैतन्य रूप है. जिस प्रकार शरीर के लिए रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत है. उसी प्रकार शांति के लिए शील, समाधि और प्रज्ञा की आवश्यकता है.
'शांति की स्थापना'
वसंगु दोरनेगी ने कहा कि दोनों के समानांतर रूप से विचार नहीं करने पर वास्तविक शांति की कामना नहीं की जा सकती है. दुनिया में हवा और जल प्रदूषण की बात की जाती है. लेकिन जब तक हम तृष्णा और स्वार्थ की भावना का त्याग नहीं करेंगे, तब तक वाह्य रूप से किसी प्रकार के प्रदूषण का समाधान नहीं निकाला जा सकता है. तृष्णा के परित्याग कर संपूर्ण प्राणी मात्र को सोचना होगा. तभी शांति की स्थापना की जा सकती है.