नालंदा: बिहार की स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Facilities In Bihar) को लेकर सरकार और उनके मंत्री भले ही बड़े बड़े दावें करते हो, लेकिन उसकी जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है. ताजा मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा का है. जहां के सदर अस्पताल में इलाज कराने आई गर्भवती महिला की दर्द का इंजेक्शन देते ही मौत हो गयी. बच्चे को भी नहीं बचाया जा सका. मृत महिला के परिजनों का आरोप है कि इलाज में लापरवाही से ऐसा हुआ है.
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जच्चा-बच्चा दोनों की मौत: नालंदा सदर अस्पताल आईएसओ प्रमाणित अस्पताल है. जहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने मरीज आते हैं, लेकिन उन्हें निराश हाथ लगती है. बख्तियारपुर के करनौती से एक प्रसूता भी इलाज के लिए आई थी. लेकिन इलाज में लापरवाही के कारण जच्चा बच्चा दोनों की मौत हो गई. जैसे ही इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधक को लगी, उन्होंने मामले को रफा दफा करने शव परिजनों को सौंप घर भेजवा दिया.
दर्द का इंजेक्शन देते ही मौत: मृतक की पहचान प्रियंका कुमारी के रूप में हुई है. उसके परिजनों ने देर शाम प्रसव पीड़ा होने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया था. डॉक्टरों ने महिला को दर्द का एक इंजेक्शन दिया. इंजेक्शन देने के कुछ देर बाद ही महिला की मौत हो गयी. मौत की खबर मिलते ही परिजन हंगामा मचाने लगे. जिसे अस्पताल प्रबंधन महिला के शव को परिजनों को सौंपा दिया और मामले से पल्ला झाड़ लिया.
यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि सदर अस्पताल में आए दिन देखने और सुनने को मिलता है. बावजूद इसके कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर मामले को दबा दिया जाता है.
"डिलीवरी के लिए आए थे. रात में दर्द शुरू हो गया, जिसके बाद इलाज के लिए नालंदा अस्पताल में भर्ती कराया गया. हमलोग बख्तियापुर से यहां आए थे. आज उसकी मौत हो गयी. अस्पताल प्रबंधन ने शव सौंप दिया है" - मृतक के परिजन
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