नालंदा: एक ओर पूरा देश कोरोना संक्रमण का दंश झेल रहा है. देश में सभी न्यायालय कोरोना संक्रमण को लेकर बंद हैं. ऐसे में जज की मानवीय संवेदनाओं ने एक महिला बंदी को जेल से रिहा कराने में अहम भूमिका निभाई है. इस पूरे मामले में नालंदा किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र और नालंदा जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव आदित्य पांडेय ने अहम भूमिका निभाई. अलीगढ़ के तत्कालीन सचिव एसडीएम दीपक कुमार और वर्तमान सचिव महेंद्र कुमार ने भी इसमें अहम योगदान निभाया है.
गिरफ्तारी के वक्त गर्भवती थी महिला
नालन्दा जिले के थरथरी थाना क्षेत्र स्थित आस्था गांव की पुष्पलता दो साल से लापता थी. विक्षिप्त अवस्था में घर से निकली और वह अलीगढ़ पहुंच गई. वहां उसे अपहरण और चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. हालांकि, जेल में मैनुअल के अनुसार, उसका इलाज हुआ और वह स्वस्थ हो गई. इसी दौरान, विक्षिप्त अवस्था में ही उसने एक बेटे को जन्म दिया. उसकी देखरेख वहां की बाल कल्याण समिति ने की. गिरफ्तारी के वक्त वह महिला गर्भवती थी.
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पूरी हुई कागजी प्रक्रिया
कोरोना काल में बंदियों की रिहाई पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर 12 मई को अलीगढ़ जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष महेंद्र कुमार की पहल पर सीजेएम ने उन्हें दो माह की अंतरिम जमानत दी. इसके बाद कागजी प्रक्रिया पूरी कर महिला व बच्चे को उसके पिता की मौजूदगी में पति को सुपुर्द किया गया.