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नालंदा: इस अल्पसंख्यक बालिका विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का भी है घोर अभाव - Minority girl school deprived of government school in nalanda

अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं के लिए अच्छी तालीम देने के उद्देश्य वर्ष 1984 में फैजान उल उलूम बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना की गई थी. लेकिन इस समय इसकी हालत बद से बदतर हो गई है.

सरकारी सुविधा से महरूम अल्पसंख्यक बालिका विद्यालय
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Published : Sep 3, 2019, 10:34 PM IST

नालंदा: बिहार सरकार की तरफ से शिक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं. जिसमें सरकारी विद्यालयों में भवन का निर्माण, शिक्षकों की बहाली सहित अन्य कई कदम उठाए गए हैं. लेकिन बिहार शरीफ का अल्पसंख्यक विद्यालय फैजान उल उलूम उर्दू बालिका उच्च विद्यालय आज भी सरकारी सुविधा से पूरी तरह से वंचित है.

नालंदा में सरकारी सुविधा से महरूम अल्पसंख्यक बालिका विद्यालय

मूलभूत सुविधाओं का अभाव
विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चियों के लिए मूलभूत सुविधा का पूरी तरह से अभाव है. विद्यालय में ना तो पीने की पानी की व्यवस्था है, और ना ही विद्यालय का अपना भवन है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि विद्यालय में बच्चियों के लिए शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है. जिसके कारण धीरे-धीरे बच्चियां इस विद्यालय से दूर होती जा रही हैं. हालात यह है कि इस विद्यालय में अब बच्चियों की संख्या बहुत कम हो गई है.

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बरामदे में पढ़ने को मजबूर बच्चियां

1984 में हुई थी विद्यालय की स्थापना
अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं के लिए अच्छी तालीम देने के उद्देश्य वर्ष 1984 में फैजान उल उलूम बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना की गई थी. इस विद्यालय में शुरुआती दौर में बड़ी संख्या में बच्चियां पढ़ने आई और अच्छी तालीम भी हासिल की. लेकिन समय के साथ-साथ इस विद्यालय में गिरावट होनी शुरू हो गई. वर्तमान में विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. हालात यह है कि बच्चियां कमरे में पढ़ने से डरती हैं. जिसके कारण बच्चियां कभी बरामदे तो कभी बगीचे में पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

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पूरी तरह से जर्जर हो चुका विद्यालय का भवन

खानापूर्ति के लिए चलाया जा रहा विद्यालय
विद्यालय में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 10 तक की पढ़ाई की व्यवस्था है. लेकिन कमरे का अभाव और अव्यवस्था होने के कारण पठन-पाठन के कार्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. हालांकि पूर्व में इस विद्यालय को सांसद, विधायक की मदद से पुन: निर्मित कराया गया था. लेकिन वर्तमान में स्थिति यह है कि विद्यालय को महज खानापूर्ति के रुप में चलाया जा रहा है.

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जर्जर विद्यालय में पढ़ती बच्चियां

नालंदा: बिहार सरकार की तरफ से शिक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं. जिसमें सरकारी विद्यालयों में भवन का निर्माण, शिक्षकों की बहाली सहित अन्य कई कदम उठाए गए हैं. लेकिन बिहार शरीफ का अल्पसंख्यक विद्यालय फैजान उल उलूम उर्दू बालिका उच्च विद्यालय आज भी सरकारी सुविधा से पूरी तरह से वंचित है.

नालंदा में सरकारी सुविधा से महरूम अल्पसंख्यक बालिका विद्यालय

मूलभूत सुविधाओं का अभाव
विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चियों के लिए मूलभूत सुविधा का पूरी तरह से अभाव है. विद्यालय में ना तो पीने की पानी की व्यवस्था है, और ना ही विद्यालय का अपना भवन है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि विद्यालय में बच्चियों के लिए शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है. जिसके कारण धीरे-धीरे बच्चियां इस विद्यालय से दूर होती जा रही हैं. हालात यह है कि इस विद्यालय में अब बच्चियों की संख्या बहुत कम हो गई है.

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बरामदे में पढ़ने को मजबूर बच्चियां

1984 में हुई थी विद्यालय की स्थापना
अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं के लिए अच्छी तालीम देने के उद्देश्य वर्ष 1984 में फैजान उल उलूम बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना की गई थी. इस विद्यालय में शुरुआती दौर में बड़ी संख्या में बच्चियां पढ़ने आई और अच्छी तालीम भी हासिल की. लेकिन समय के साथ-साथ इस विद्यालय में गिरावट होनी शुरू हो गई. वर्तमान में विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. हालात यह है कि बच्चियां कमरे में पढ़ने से डरती हैं. जिसके कारण बच्चियां कभी बरामदे तो कभी बगीचे में पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

nalanda
पूरी तरह से जर्जर हो चुका विद्यालय का भवन

खानापूर्ति के लिए चलाया जा रहा विद्यालय
विद्यालय में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 10 तक की पढ़ाई की व्यवस्था है. लेकिन कमरे का अभाव और अव्यवस्था होने के कारण पठन-पाठन के कार्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. हालांकि पूर्व में इस विद्यालय को सांसद, विधायक की मदद से पुन: निर्मित कराया गया था. लेकिन वर्तमान में स्थिति यह है कि विद्यालय को महज खानापूर्ति के रुप में चलाया जा रहा है.

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जर्जर विद्यालय में पढ़ती बच्चियां
Intro:नालंदा। बिहार सरकार द्वारा शिक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं जिसमें सरकारी विद्यालयों में भवन का निर्माण, शिक्षकों की बहाली सहित अन्य कई कदम उठाए गए लेकिन बिहार शरीफ के अल्पसंख्यक विद्यालय फैजान उल उलूम उर्दू बालिका उच्च विद्यालय आज भी सरकारी सुविधा से पूरी तरह से मालूम है। इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चियों के लिए मूलभूत सुविधा का पूरी तरह से अभाव है। विद्यालय में ना तो पीने की पानी की व्यवस्था है, ना ही अपना भवन है और ना ही बच्चियों के लिए शौचालय की व्यवस्था जिसके कारण धीरे-धीरे बच्चियां इस विद्यालय से दूर होती जा रही है। हालात यह है कि इस विद्यालय में अब बच्चियों की संख्या 200 से कम हो गई हैं।


Body:अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं के लिए अच्छी तालीम देने के उद्देश्य वर्ष 1984 में फैजान उल उलूम बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना की गई थी । इस विद्यालय में शुरुआती दौर में बड़ी संख्या में बच्चियां पढ़ने आई और अच्छी तालीम भी हासिल की लेकिन समय के साथ-साथ इस विद्यालय में गिरावट होना शुरू हो गया। विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है । हालात यह है कि बच्चियां कमरे में पढ़ना नहीं चाहती हैं। छत टूट के गिरता है , जिसके कारण कभी बरामदा तो कभी बगीचे में पढ़ने के लिए मजबूर है। इस विद्यालय में वर्ग 1 से लेकर वर्ग 10 तक की पढ़ाई की व्यवस्था है लेकिन कमरे का अभाव और अव्यवस्था के कारण पठन-पाठन के कार्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस विद्यालय की अपनी जमीन है और ना ही भवन होने के कारण हालत खराब है हालांकि पूर्व में इस विद्यालय को सांसद विधायक के द्वारा मदद भी किया गया लेकिन अभी स्थिति यह है कि विद्यालय किसी प्रकार चलाया जा रहा है।
बाइट। सब्बो, छात्रा
बाइट। समीमा खातून,प्रिंसिपल
बाइट। पप्पू खां रोहेला, सचिव


Conclusion:
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