नालंदाः जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने नाबालिग किशोर और किशोरी के भागकर शादी करने के मामले में चल रहे केस को बंद करने का आदेश दिया है. दरअसल दोनों ने भागकर शादी की थी. जिससे नाराज लड़की के परिजनों ने अपहरण कर शादी करने का मुकदमा दर्ज कराया था. लड़की के मां बनने पर दंडाधिकारी ने उसके बच्चे को ध्यान में रखते हुए दोषमुक्त कर दिया.
क्या था मामला
नूरसराय थाना में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार आरोपी किशोर समेत उसके मां बाप और दो बहन को भी आरोपी बनाया गया था. जिसके अनुसार 2 अप्रैल 19 को 17 वर्षीय नाबालिग आरोपी बहला फुसलाकर शादी के नियत से 16 वर्षीय नाबालिग से शादी की. अन्य चार आरोपियों को आरोप से मुक्त कर आरोप पत्र सिर्फ किशोर के खिलाफ जेजेबी कोर्ट में दाखिल किया गया था. लड़की ने स्वयं कोर्ट में 164 के तहत बयान दिया था कि वह स्वेच्छा से आरोपी के साथ भागकर शादी की थी और दोनों पति-पत्नी के रूप में रह रहे हैं.
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किया गया दोषमुक्त
किशोर को दोषी होने के बावजूद भी उसे दोषमुक्त करने का फैसला देते हुए न्यायधीष ने आदेश पारित किया कि सवाल किशोर के दोष का नहीं है. उसने दंडनीय अपराध किया है. परंतु बड़ा सवाल नाबालिग मां और नवजात शिशु के संरक्षण और जरूरतों की पूर्ति का है. यदि आरोपी को सजा दिया जाता है तो इसका संरक्षण और जिंदगी दोनों ही खतरे में पड़ जाएगी. हालांकि आरोपी अभी 19 वर्ष का ही है और एक बच्चे का पिता है. इसलिए इन दोनों के बेहतर संरक्षण और जीवन के लिए किशोर को दोषमुक्त करना ही सर्वोत्तम न्याय है. क्योंकि अंर्तजातिय विवाह के कारण लड़की के पिता लोक लाज से अपनाने से इंकार कर दिया है.
आरोपी के अभिभावक को भी यह निर्देश दिया कि वे इन दोनों के संरक्षण करें. इसके साथ ही संबंधित बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी से दो साल तक प्रत्येक 6 माह में रिपोर्ट कोर्ट में सौंपने का आदेश दिया गया है. इसका अर्थ यह नहीं कि इस अपराध की मान्यता दंड संविधान में कम दी गई और इसका उदाहरण देकर अन्य मामलों में लाभ लेने का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.