नालंदा: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण सभी सरकारी अस्पताओं पर काफी दबाव है. स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में संविदा पर कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है. अपनी 17 सूत्री मांगों को लेकर संविदा पर कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों ने सोमवार को सांकेतिक हड़ताल किया. लेकिन सरकार द्वारा मांगे पूरी नहीं किए जाने मंगलवार से ये लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
स्वास्थ्य संविदा कर्मियों का कहना है कि विगत 10 वर्षों से ये लोग अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रयासरत हैं. लेकिन सरकार द्वारा लगातार इनकी मांगे को अनसुना किया जाता रहा है. जिसके कारण विवश होकर ये लोग हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं. स्वास्थ संविदा कर्मी संघ के जिला अध्यक्ष प्रभात कुमार ने कहा कि हम लोग भी नहीं चाहते कि कोरोना जैसी महामारी के बीच हड़ताल किया जाए. लेकिन सरकार द्वारा हमारी मांगे पर किसी प्रकार का कोई विचार नहीं किया जा रहा है. जिसके कारण हड़ताल पर जाने को हम मजबूर हुए. उन्होंने कहा कि इस हड़ताल से कोरोना का डाटा अपलोड करने में परेशानी होगी. साथ ही कोरोना संक्रमित लोगों की लिस्टिंग, ओर कांटेक्ट ट्रेसिंग पर भी असर पड़ सकता है.
सीएस ने की हड़ताल वापस लेने की अपील
वहीं सिविल सर्जन भी बताते हैं कि सांकेतिक हड़ताल के कारण काफी समस्या हुई है. इस दौरान कोरोना संक्रमित मरीजो का डाटा पोर्टल पर अपलोड करने में दिक्कतें हुई. हालांकि उन्होंने कहा कि हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा, सिर्फ डाटा अपलोड करने को लेकर कुछ समस्याएं हो सकती है. बावजूद इसके उन्होंने हड़ताली कर्मचारियों से कोरोना को देखते हुए हड़ताल वापस लेने की अपील की.