नालंदा: वैश्विक महामारी कोरोना के बीच बिहार में एक और खतरा मंडरा रहा है. स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत संविदा कर्मियों का आंदोलन शुरू हो जाने से स्वास्थ्य सेवा पर बुरा असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
21 जुलाई से होगा अनिश्चितकालीन हड़ताल
बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के आह्वान पर नालंदा जिला अंतर्गत सभी एनएचएम कर्मी के द्वारा सोमवार को काला बिल्ला लगाकर कार्य संपादित किया गया. मालूम हो कि बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के द्वारा 13 जुलाई से 19 जुलाई तक अपनी मांगों को लेकर काला बिल्ला लगाकर कार्य करेंगे एवं 20 जुलाई को सांकेतिक हड़ताल तथा 21 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. इसकी सूचना वरीय पदाधिकारी को भी दे दी गई है.
15 वर्ष कार्य करने के बावजूद भी नहीं मिला सरकारी दर्जा
जिला अध्यक्ष प्रभात कुमार द्वारा बताया गया कि 15 वर्ष कार्य करने के बावजूद भी सरकार तथा विभाग के द्वारा एनएचएम कर्मी को सरकारी कर्मी का दर्जा नहीं दिया गया है, जो कि खेदजनक है. सरकार एवं विभाग के द्वारा अविलंब 16 सूत्री मांगों को पूरा करने की मांग की गई. आंदोलन के माध्यम से कहा गया कि कर्मियों का काम करते हुए 15 वर्ष से अधिक हो गया पर अभी तक उनके अनुबंध को नियमित नहीं किया गया. ऐसे में कर्मियों का भविष्य पूरी तरह से अंधकारमय हो गया है.
यह है मांगें
राज्य से लेकर स्वास्थ्य उपकेंद्र तक प्रबंधकीय कर्मी कैडर कर्मियों का एक माह का समतुल्य प्रोत्साहन राशि देने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत सभी संविदा पर कार्यरत कर्मी जो राज्य स्तर से स्वास्थ्य उपकेंद्र तक कार्यरत हैं, उनको पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट कैडर लागू कर समायोजन करते हुए नियमित करने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत राज्य से लेकर स्वास्थ्य उपकेंद्र तक सभी संविदा कर्मी का जिनका वर्ष 2011 से अब तक मानदेय पुनरीक्षण लंबित है उनको शीध्र पुनरीक्षित करने, फिटमेंट कमिटी की अनुशंसा को लागू करने, एनएचएम अंतर्गत सभी संविदा कर्मियों को 15 प्रतिशत प्रति वर्ष वार्षिक वृद्धि करने, एनएचएम अंतर्गत सभी संविदा कर्मी को नियमितकरण प्रक्रिया होने तक एचआर पाॅलिसी लागू करने, संविदा पर कार्यरत पदाधिकारी और कर्मी को अतिरिक्त प्रभार के लिए प्रोत्साहन राशि देने, एनएचएम अंतर्गत चयनमुक्त सभी संविदा कर्मियों को बिना शर्त वापस लेने, किसी भी कर्मी कोग अपरिहार्य कारणों से टरमिनेट नहीं करने, राज्य से लेकर प्रखंड स्तर तक आउटसोर्स प्रथा को बंद करने एवं पूर्व से बहाल सभी आउटसोर्स कर्मियों को एएनएचएम में समायोजित करने आदि मांगे शामिल है.