नालंदा: बिहारशरीफ के डाकबंगला मोड़ स्थित एक निजी क्लीनिक के डॉक्टर ने इलाज के नाम पर मरीज के परिजनों से ब्लैकमेल किया है. डॉक्टर को मनमाना पैसा न देने पर मरीज को एक कमरे में बंद रखा. हद तो तब हो गई जब मरीज को बगैर ऑक्सीजन के मरता छोड़ दिया. इतना ही नहीं, परिजनों को मरीज से मिलने भी नहीं दिया गया. इसके बाद इसकी शिकायत एसडीओ से की गई.
इसे भी पढ़ें: पटना में कालाबाजारी का 'खेला', PMCH का डॉक्टर 45 हजार में बेच रहा 1 रेमडेसिविर!
2 मई को लेकर गए अस्पताल
तेल्हाड़ा के धर्म बिगहा गांव निवासी रामाशंकर कुमार ने बताया कि वे मरीज रेणु देवी को लेकर 2 मई को अस्पताल गए थे. उस समय मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम था. वहां ले जाने पर डॉक्टर ने कहा कि वे इसका इलाज तो करेंगे, लेकिन उसके बदले हर दिन उन्हें 25 हजार रुपये देने होंगे. उन्होंने आनन-फानन में मरीज को भर्ती करा दिया. इस दौरान वे हर दिन 25 हजार अस्पताल चार्ज देने के साथ ही दवा और जांच का खर्च भी देते रहे.
ये भी पढ़ें: बेतिया: सहोदरा के जमुनिया, देवाढ़ व बैरीया डिह में 245 सैंपलों की जांच, 14 में कोरोना की पुष्टि
मरीज को डिस्चार्ज करने से किया इनकार
बीते गुरुवार को तीसरे दिन उन्होंने कहा कि अब उनके पास पैसे नहीं है. उन्होंने डॉक्टर से पैसे लेकर मरीज को डीस्चार्ज करने की बात कही. इस बात पर डॉक्टर ने कहा कि अभी मरीज को नहीं छोड़ा जा सकता है. यदि मरीज को ले जाना चाहते हैं तो पहले एक लाख 42 हजार रुपये जमा करना होगा. इस बात से परेशान होकर रामाशंकर ने एसडीओ को आवेदन देकर इसकी शिकायत की.
मजबूरी का उठा रहे फायदा
एएसडीओ मुकुल पंकजमणि ने बताया कि जब वे क्लिनिक पहुंचे तो डॉक्टर्स, नर्स, कम्पाउंडर और अन्य सभी कर्मी क्लीनिक छोड़कर भाग गए थे. जांच के दौरान पता चला कि आवेदक के माध्यम से लगाया गया आरोप बिल्कुल सही है. नालंदा के सीएस ने कहा कि अधिकतर डॉक्टर जान हथेली पर लेकर इन दिनों लोगों की सेवा कर रहे हैं. वहीं कुछ लोगों की मजबूरी का फायदा भी उठा रहे हैं.
'इस पूरे मामले की जांच-पड़ताल कर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. बिना अनुमति के कोरोना मरीज का इलाज करना गलत है. इसके लिए शहर के कई अस्पतालों को अधिकृत किया गया है. मैं जिलावासियों से अधिकृत अस्पतालों में ही इलाज कराने की अपील करता हूं.' -योगेन्द्र सिंह, डीएम