नालंदाः आर्थिक तंगी की बेबसी क्या होती है ये एक गरीब परिवार ही समझ सकता है. सीएम के गृह जिला नालंदा में आर्थिक तंगी की वजह से एक दलित परिवार शव का दाह संस्कार नहीं कर पा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ गांव के लोगों से लेकर सरकारी तंत्र के नुमाइंदे भी मदद का हाथ नहीं बढ़ा रहे हैं. मामला नालंदा के गिरियक प्रखंड का है, जहां मदद की आस में शव को खुले आसमान के नीचे रखने को मजबूर हैं.
गौरतलब है कि 13 नवंबर को गिरियक में एक सड़क दुर्घटना हुई थी. घोड़ाही गांव के पास ऑटो और ट्रक के बीच सीधी टक्कर में 6 लोगों की दर्दनाक मौत घटनास्थल पर हो गई थी. मृतकों में एक बरछी विगहा गांव का नंदू चौधरी भी शामिल था.
इस परिवार के पास दाह संस्कार के लिए पैसे तक नहीं हैं. घटना के 36 घंटे बीत जाने के बावजूद शव का दाह संस्कार नहीं किया जा सका है. आलम ये है कि पोस्टमार्टम के बाद गरीब परिवार शव को अपने घर पर खुले आसमान के नीचे रखा है.
जनप्रतिनिधि और गांव वालों ने नहीं की मदद
परिजन ने बताया कि इतना कुछ हो जाने के बावजूद अभी तक कोई मदद करने नहीं आया. गांव के लोग, जनप्रतिनिधि या फिर सरकारी महकमे ने सुध तक नहीं ली है. जबकि घटना के बाद प्रशासन के अधिकारी और जनप्रतिनिधि अपनी खोखली दलीलें देकर चले गए. मुआवजे के तौर पर चार लाख का चेक देना था. लेकिन अब तक नहीं मिला. वहीं दूसरी तरफ कोई भी आर्थिक सहायता देने के लिए आगे नहीं आया.