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नालंदा: सावन में शिव को कांवड़ चढ़ाने के बाद इस कुंड में करें स्नान, पूरी होगी मनोकामना

राजगीर अपने आप में कई इतिहास संजोए है. जिसके चलते यहां दूर-दूर से आने वाले विदेशी पर्यटक भी इस स्थल का गुणगान करते नहीं थकते. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि ठंड के 3 महीनों तक यहां विदेशी पर्यटकों का भी हुजूम लगा रहता है.

गर्म कुंड
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Published : Jul 29, 2019, 7:25 PM IST

नालंदा: सावन में शिव पर कांवड़ चढ़ाने के बाद राजगीर के गर्म कुंड में नहाने का विशेष महत्व है. सावन के महीने में यहां भारत के अलग-अलग कोनों से लाखों कांवड़िये दर्शन करने पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां बने गर्म कुंड में स्नान करने से हर दुख-दर्द और रोगों का निवारण होता है.

राजगीर

पधारे थे श्री कृष्ण
धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से राजगीर का एक अलग ही महत्व है. बताया जाता है कि यहां की पंच पहाड़ी दो करोड़ से 10 करोड़ वर्ष पुरानी है. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यहां जरासंध का अखाड़ा और पांडु पोखर है. यहां के लोगों का मानना है कि कई साल पहले राजगीर की धरती पर भगवान कृष्ण का भी आगमन हुआ था. जिसके बाद से यह स्थल लोगों के बीच आस्था का केन्द्र बना हुआ है.

दर्शन को जाते कांवड़िये
दर्शन को जाते कांवड़िये

12 वर्ष तक रहे थे भगवान बुद्ध
राजगीर जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर की जन्मभूमि रही है. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पहले और बाद में 12 वर्ष तक यहां रहे थे. वो यहां के वेणुवन में ठहरा करते थे और गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश देते थे. उन्होंने अपना प्रथम प्रवचन विपुलगिरी में दिया था.

गुणगान करते हैं विदेशी
राजगीर अपने आप में कई इतिहास संजोए है. जिसके चलते यहां दूर-दूर से आने वाले विदेशी पर्यटक भी इस स्थल का गुणगान करते नहीं थकते. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि ठंड के 3 महीनों तक यहां विदेशी पर्यटकों का भी हुजूम लगा रहता है.

सावन में लगा मेला
सावन में लगा मेला

ब्रह्मा जी के मानस पुत्र ने कराया था यज्ञ
यहां कि मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ कराया था. इस दौरान देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी. जिसके बाद ब्रह्मा जी ने यहां 22 कुंड का निर्माण कराया.

इसलिए गर्म रहता है कुंड का पानी
ब्रह्मा जी के द्वारा बनवाए गए 22 कुंडो में एक ब्रह्मकुंड भी है. इस कुंड का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रहता है. यहां सप्तकर्णी गुफाओं से पानी आता है. यहां आने वाला पानी वैभारगिरी पर्वत पर बने भेलवाडोव तालाब और जल पर्वत से होते हुए कुंड तक पहुंचता है. इस पर्वत में सोडियम, गंधक और सल्फर जैसे कैमिकल्स पाए जाते हैं. जिस वजह से कुंड का पानी हमेशा गर्म रहता है.

नालंदा: सावन में शिव पर कांवड़ चढ़ाने के बाद राजगीर के गर्म कुंड में नहाने का विशेष महत्व है. सावन के महीने में यहां भारत के अलग-अलग कोनों से लाखों कांवड़िये दर्शन करने पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां बने गर्म कुंड में स्नान करने से हर दुख-दर्द और रोगों का निवारण होता है.

राजगीर

पधारे थे श्री कृष्ण
धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से राजगीर का एक अलग ही महत्व है. बताया जाता है कि यहां की पंच पहाड़ी दो करोड़ से 10 करोड़ वर्ष पुरानी है. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यहां जरासंध का अखाड़ा और पांडु पोखर है. यहां के लोगों का मानना है कि कई साल पहले राजगीर की धरती पर भगवान कृष्ण का भी आगमन हुआ था. जिसके बाद से यह स्थल लोगों के बीच आस्था का केन्द्र बना हुआ है.

दर्शन को जाते कांवड़िये
दर्शन को जाते कांवड़िये

12 वर्ष तक रहे थे भगवान बुद्ध
राजगीर जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर की जन्मभूमि रही है. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पहले और बाद में 12 वर्ष तक यहां रहे थे. वो यहां के वेणुवन में ठहरा करते थे और गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश देते थे. उन्होंने अपना प्रथम प्रवचन विपुलगिरी में दिया था.

गुणगान करते हैं विदेशी
राजगीर अपने आप में कई इतिहास संजोए है. जिसके चलते यहां दूर-दूर से आने वाले विदेशी पर्यटक भी इस स्थल का गुणगान करते नहीं थकते. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि ठंड के 3 महीनों तक यहां विदेशी पर्यटकों का भी हुजूम लगा रहता है.

सावन में लगा मेला
सावन में लगा मेला

ब्रह्मा जी के मानस पुत्र ने कराया था यज्ञ
यहां कि मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ कराया था. इस दौरान देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी. जिसके बाद ब्रह्मा जी ने यहां 22 कुंड का निर्माण कराया.

इसलिए गर्म रहता है कुंड का पानी
ब्रह्मा जी के द्वारा बनवाए गए 22 कुंडो में एक ब्रह्मकुंड भी है. इस कुंड का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रहता है. यहां सप्तकर्णी गुफाओं से पानी आता है. यहां आने वाला पानी वैभारगिरी पर्वत पर बने भेलवाडोव तालाब और जल पर्वत से होते हुए कुंड तक पहुंचता है. इस पर्वत में सोडियम, गंधक और सल्फर जैसे कैमिकल्स पाए जाते हैं. जिस वजह से कुंड का पानी हमेशा गर्म रहता है.

Intro:धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से राजगीर का सावन महीने एक अलग विशिष्ट महत्व है। यहां की पंच पहाड़ी दो करोड़ से 10 करोड़ वर्ष पुरानी है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यहां जरासंध का अखाड़ा है, पांडु पोखर है। यहां भगवान कृष्ण का भी आगमन हुआ था। भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पहले और बाद में भी यहां आकर 12 वर्ष तक रहे हैं। यहां वेणुवन में ठहरते थे और गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश देते थे। कहा जाता है कि उन्होंने प्रथम प्रवचन यहीं विपुलगिरी में दिया था। जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर की जन्मभूमि राजगीर रही है।Body: यहीं कारण है कि राजगीर पर्यटन स्थल में सावन के महीने में खासकर कांवरियों का हुजूम उमर पड़ता है तभी तो भारतवर्ष के अलग-अलग कोनों से कांवरियों का जत्था सभी धामों से दर्शन करने के बाद राजगीर के गर्म कुंड और प्राकृतिक छटाओं का दर्शन करना नहीं भूलते। खासकर प्राकृतिक दृष्टिकोण की अगर बात की जाए तो राजगीर एक गर्म गुंडों के पानी का एक अपना ही अलग महत्व है तभी तो अशोकधाम, बाबाधाम,वैद्यनाथ धाम समेत कई ऐसे धाम हैं जहां सावन में कांवरिया दर्शन करने के बाद राजगीर में आना पसंद करते हैं और यहां के गर्म पानी में स्नान कर अपने शरीर के खोई हुई ऊर्जा वापस पाते है। गरम पानी में स्नान करने से हर दुख दर्द और रोगों का निवारण होता है यहां सच्चे मन से जो भी कांवरिया सावन के समय में आते हैं और जो भी मन्नत मांगते हैं उनकी मनोकामना पूरा होता है।

1-बाइट--अजित उपाध्याय पुजारी राजगीर
2-बाइट--विनय कुमार कावरिया यूपीConclusion:सावन के महीने को देखते हुए प्रशासन के द्वारा भी राजगीर के कुंड की साफ सफाई और रखरखाव का विशेष ध्यान दिया जाता है। वैसे तो राजगीर में जाड़े के 3 महीनों तक विदेशी पर्यटकों का भी हुजूम आता है लेकिन सावन और मलमास महीने का इस इलाके में अपना ही महत्व है। यहां के पंडित जी को जानकारों के मुताबिक राजगीर में उत्तर प्रदेश, बंगाल ,उड़ीसा, झारखंड और बिहार राज्य के कोने कोने से कांवरियों का हुजूम सावन के समय उमड़ पड़ता है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ कराया था।
इस दौरान देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी।
तब ब्रह्मा ने यहां 22 कुंड का निर्माण कराया। इन्हीं में से एक है ब्रह्मकुंड, जिसका तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रहता है। यहां सप्तकर्णी गुफाओं से पानी आता है। यहां वैभारगिरी पर्वत पर भेलवाडोव तालाब है, जिससे ही जल पर्वत से होते हुए यहां पहुंचता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल्स जैसे सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। इसकी वजह से पानी गर्म होता है।

राकेश कुमार संवाददाता
बिहारशरीफ
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