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नालंदा: कोरोना को लेकर राजगीर मलमास मेले का नहीं होगा आयोजन, कुंड स्नान पर लगी रोक - अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इस साल राजगीर मलमास मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा. मेले के दौरान कई प्रकार के आयोजन किए जाते थे. लेकिन उन सभी प्रकार के आयोजनों पर रोक लगा दी गई है.

Ban on organizing Malmas fair
मलमास मेले के आयोजन पर रोक
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Published : Sep 4, 2020, 2:20 PM IST

नालंदा: अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर में 3 साल पर लगने वाला राजगीर मलमास मेला इस बार 18 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. लेकिन इस बार सार्वजनिक रूप से मलमास मेला का आयोजन नहीं किया जा रहा है. वैश्विक महामारी कोरोना के लेकर इस बार मलमास मेला पर पूरी तरह से ग्रहण लग गया. मलमास को लेकर ध्वजारोहण कुंड क्षेत्र में यज्ञ स्थल परिसर में धार्मिक रीति रिवाज वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न होगा. लेकिन किसी प्रकार के मेला का आयोजन नहीं होगा. इतना ही नहीं कुंड स्नान पर भी रोक लगी रहेगी.

मलमास मेले के आयोजन पर रोक
राजगीर के अनुमंडल अधिकारी की अध्यक्षता में पंडा कमिटी के सदस्यों, शहर के बुद्धिजीवियों और वार्ड पार्षदों की बैठक आयोजित की गई. बैठक में मलमास मेले को लेकर विचार-विमर्श किया गया. जिसके बाद मलमास मेले का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया. मेले की महत्ता को बनाए रखने के लिए सिर्फ मेला शुरुआती और अंतिम दिन विधि विधान से पूजा पाठ किया जाएगा. वहीं, बाकी दिन सिर्फ पंडा कमिटी की ओर से मुख्य मंदिर में पूजा अर्चना की जाएगी. मेले के आयोजनों के कारण राजगीर के छोटे-छोटे व्यवसायियों को काफी लाभ होता था और उनके उनके परिजनों का जीविकोपार्जन होता था

nalanda
निकास द्वार पर लगा ताला

मलमास मेले का महत्व
बता दें कि हर 3 साल पर लगने वाले राजगीर मलमास मेले का अपना अलग एक महत्व है. इस मलमास मेले के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु राजगीर पहुंचते है और यहां के गर्म पानी के झरने और कुंड में स्नान कर पुण्य की प्राप्ति करते है. इस दौरान देश के कोने-कोने से साधु संत भी राजगीर पहुंचते हैं और इनके शाही स्नान करने की भी परंपरा है. लेकिन इस बार किसी प्रकार के शाही स्नान का आयोजन नहीं किया जाएगा. मलमास के दौरान किसी भी व्यक्ति को कुंड स्नान करने की अनुमति नहीं दी गई है.

नालंदा: अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर में 3 साल पर लगने वाला राजगीर मलमास मेला इस बार 18 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. लेकिन इस बार सार्वजनिक रूप से मलमास मेला का आयोजन नहीं किया जा रहा है. वैश्विक महामारी कोरोना के लेकर इस बार मलमास मेला पर पूरी तरह से ग्रहण लग गया. मलमास को लेकर ध्वजारोहण कुंड क्षेत्र में यज्ञ स्थल परिसर में धार्मिक रीति रिवाज वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न होगा. लेकिन किसी प्रकार के मेला का आयोजन नहीं होगा. इतना ही नहीं कुंड स्नान पर भी रोक लगी रहेगी.

मलमास मेले के आयोजन पर रोक
राजगीर के अनुमंडल अधिकारी की अध्यक्षता में पंडा कमिटी के सदस्यों, शहर के बुद्धिजीवियों और वार्ड पार्षदों की बैठक आयोजित की गई. बैठक में मलमास मेले को लेकर विचार-विमर्श किया गया. जिसके बाद मलमास मेले का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया. मेले की महत्ता को बनाए रखने के लिए सिर्फ मेला शुरुआती और अंतिम दिन विधि विधान से पूजा पाठ किया जाएगा. वहीं, बाकी दिन सिर्फ पंडा कमिटी की ओर से मुख्य मंदिर में पूजा अर्चना की जाएगी. मेले के आयोजनों के कारण राजगीर के छोटे-छोटे व्यवसायियों को काफी लाभ होता था और उनके उनके परिजनों का जीविकोपार्जन होता था

nalanda
निकास द्वार पर लगा ताला

मलमास मेले का महत्व
बता दें कि हर 3 साल पर लगने वाले राजगीर मलमास मेले का अपना अलग एक महत्व है. इस मलमास मेले के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु राजगीर पहुंचते है और यहां के गर्म पानी के झरने और कुंड में स्नान कर पुण्य की प्राप्ति करते है. इस दौरान देश के कोने-कोने से साधु संत भी राजगीर पहुंचते हैं और इनके शाही स्नान करने की भी परंपरा है. लेकिन इस बार किसी प्रकार के शाही स्नान का आयोजन नहीं किया जाएगा. मलमास के दौरान किसी भी व्यक्ति को कुंड स्नान करने की अनुमति नहीं दी गई है.

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