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नालंदा: कार्यकर्ताओं पर दर्ज मामले को लेकर बजरंग दल के जताया विरोध - bajarang dal

बिहारशरीफ में बजरंग दल ने भगवा झंडा लगाकर लोगों को जागरूक करने का दावा किया है, वहीं, प्रशासन ने ये कहते हुए मामला दर्ज करा दिया कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा.

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Published : Apr 30, 2020, 5:35 PM IST

नालंदा: दुकानों में भगवा झंडा लगाकर वहीं से सामान खरीदने की अपील को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई पर बजरंग दल ने नाराजगी जताई है. बजरंग दल ने सरकार से इस कार्रवाई को वापस करने की मांग की है.

बिहारशरीफ के गौरक्षणी स्थित विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री परशुराम कुमार, जिला अध्यक्ष राम बहादुर सिंह, बजरंग दल के जिला संयोजक गौरव कुमार ने कहा कि प्रशासन के द्वारा जल्द मुकदमा वापस लिया जाना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर भविष्य में प्रशासन और संगठन के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के द्वारा जागरुकता लाने के उद्देश्य ठेले वाले को झंडा दिया गया था ना कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए.

सदस्यों ने कहा कि प्रशासन ने 18 अप्रैल को भगवा झंडा बांटे जाने को लेकर एक बैठक की थी. जिसमें विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था. जिसके बाद बैठक में निर्णय लिया गया था कि भगवा झंडा को हटा दिया जाए और इस संबंध में किसी प्रकार की कोई प्राथमिकी दर्ज न किए जाने की बात कही गई थी. बावजूद इसके तुष्टिकरण की नीति अपनाते हुए प्रशासन ने 20 अप्रैल को 2 दिन के बाद प्राथमिकी दर्ज करा दी.

नालंदा: दुकानों में भगवा झंडा लगाकर वहीं से सामान खरीदने की अपील को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई पर बजरंग दल ने नाराजगी जताई है. बजरंग दल ने सरकार से इस कार्रवाई को वापस करने की मांग की है.

बिहारशरीफ के गौरक्षणी स्थित विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री परशुराम कुमार, जिला अध्यक्ष राम बहादुर सिंह, बजरंग दल के जिला संयोजक गौरव कुमार ने कहा कि प्रशासन के द्वारा जल्द मुकदमा वापस लिया जाना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर भविष्य में प्रशासन और संगठन के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के द्वारा जागरुकता लाने के उद्देश्य ठेले वाले को झंडा दिया गया था ना कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए.

सदस्यों ने कहा कि प्रशासन ने 18 अप्रैल को भगवा झंडा बांटे जाने को लेकर एक बैठक की थी. जिसमें विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था. जिसके बाद बैठक में निर्णय लिया गया था कि भगवा झंडा को हटा दिया जाए और इस संबंध में किसी प्रकार की कोई प्राथमिकी दर्ज न किए जाने की बात कही गई थी. बावजूद इसके तुष्टिकरण की नीति अपनाते हुए प्रशासन ने 20 अप्रैल को 2 दिन के बाद प्राथमिकी दर्ज करा दी.

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