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जानवरों का बना चारागाह नालंदा स्टेडियम, जर्जर हालत से खिलाड़ी मायूस - बिहार शरीफ का स्टेडियम

स्टेडियम की चारदीवारी टूट रही है. मुख्य द्वार के टूटे रहने के कारण स्टेडियम के अंदर जानवरों का प्रवेश आसानी से होता रहता है. जिसके कारण पूरा स्टेडियम जानवरों का चारागाह बन कर रह गया है.

स्टेडियम के जर्जर हालत से खिलाड़ी मायूस
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Published : Nov 15, 2019, 10:08 AM IST

नालंदा: सरकार की ओर से वैसे तो खेल को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन बिहार शरीफ का स्टेडियम देख कर सरकार के सभी दावे खोखले नजर आते हैं. बिहार शरीफ के दीपनगर में करीब दो दशक पहले खेल को बढ़ावा देने और बच्चों में खेल के प्रति दिलचस्पी को बढ़ाने के उद्देश्य से जिला स्टेडियम का निर्माण कराया गया था. इस स्टेडियम के बनने से उम्मीद जगी थी कि लोगों के खेल के प्रति रुझान बढ़ेगा और खिलाड़ी को सुविधाएं मिलेगी. लेकिन समय बीतने के साथ स्टेडियम की हालत बद से बदतर होती चली गई.

जानवरों का बना चारागाह
स्टेडियम की चारदीवारी टूट रही है. मुख्य द्वार के टूटे रहने के कारण स्टेडियम के अंदर जानवरों का प्रवेश आसानी से होता रहता है. जिसके कारण पूरा स्टेडियम जानवरों का चारागाह बन कर रह गया है. स्टेडियम की हालत ऐसी है कि यहां किसी प्रकार का खेल नहीं हो सकता है. जिला स्टेडियम होने के नाते खेल के साथ-साथ कई प्रकार की बहाली का यह मुख्य केंद्र बन गया है. साथ ही यहां कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता रहा. इसके बावजूद सरकारी स्तर पर इसका कोई ध्यान नहीं रखा गया.

पेश है रिपोर्ट


स्टेडियम में फैली है झाड़ियां
एक बहुत बड़ा भूभाग होने के कारण उम्मीद थी कि यह एक अच्छा स्टेडियम बन सकेगा और यहां से खेल कर खिलाड़ी खुद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकेंगे. लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण यह यूं ही बेकार साबित हो रहा है. स्टेडियम में फैली झाड़ियां, यहां का दर्शक दीर्घा और खिलाड़ियों के कमरे की स्थिति भी खराब हो चुकी है. वहीं इस मामले में डीएम ने कहा कि इसके लिए कमिटी गठित की जाएगी और जल्द स्टेडियम को दुरूस्त किया जाएगा.

नालंदा: सरकार की ओर से वैसे तो खेल को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन बिहार शरीफ का स्टेडियम देख कर सरकार के सभी दावे खोखले नजर आते हैं. बिहार शरीफ के दीपनगर में करीब दो दशक पहले खेल को बढ़ावा देने और बच्चों में खेल के प्रति दिलचस्पी को बढ़ाने के उद्देश्य से जिला स्टेडियम का निर्माण कराया गया था. इस स्टेडियम के बनने से उम्मीद जगी थी कि लोगों के खेल के प्रति रुझान बढ़ेगा और खिलाड़ी को सुविधाएं मिलेगी. लेकिन समय बीतने के साथ स्टेडियम की हालत बद से बदतर होती चली गई.

जानवरों का बना चारागाह
स्टेडियम की चारदीवारी टूट रही है. मुख्य द्वार के टूटे रहने के कारण स्टेडियम के अंदर जानवरों का प्रवेश आसानी से होता रहता है. जिसके कारण पूरा स्टेडियम जानवरों का चारागाह बन कर रह गया है. स्टेडियम की हालत ऐसी है कि यहां किसी प्रकार का खेल नहीं हो सकता है. जिला स्टेडियम होने के नाते खेल के साथ-साथ कई प्रकार की बहाली का यह मुख्य केंद्र बन गया है. साथ ही यहां कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता रहा. इसके बावजूद सरकारी स्तर पर इसका कोई ध्यान नहीं रखा गया.

पेश है रिपोर्ट


स्टेडियम में फैली है झाड़ियां
एक बहुत बड़ा भूभाग होने के कारण उम्मीद थी कि यह एक अच्छा स्टेडियम बन सकेगा और यहां से खेल कर खिलाड़ी खुद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकेंगे. लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण यह यूं ही बेकार साबित हो रहा है. स्टेडियम में फैली झाड़ियां, यहां का दर्शक दीर्घा और खिलाड़ियों के कमरे की स्थिति भी खराब हो चुकी है. वहीं इस मामले में डीएम ने कहा कि इसके लिए कमिटी गठित की जाएगी और जल्द स्टेडियम को दुरूस्त किया जाएगा.

Intro:नालंदा। वैसे तो सरकार द्वारा खेल को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन बिहार शरीफ का स्टेडियम देख सरकार के सभी दावे खोखले नजर आते हैं। बिहार शरीफ के दीपनगर में करीब दो दशक पूर्व खेल को बढ़ावा देने और बच्चों में खेल के प्रति दिलचस्पी को बढ़ाने के उद्देश्य से जिला स्टेडियम का निर्माण कराया गया था । इस स्टेडियम के बनने से उम्मीद जगी थी कि खेल लोगों को खेल के प्रति रुझान बढ़ेगा और खिलाड़ी को सुविधाएं मिलेगी लेकिन समय बीतने के साथ स्टेडियम की हालत बद से बदतर होती चली गई। स्टेडियम की चारदीवारी टूट रही है। मुख्य द्वार के टूटे रहने के कारण स्टेडियम के अंदर जानवरो का प्रवेश आसानी से होता रहता है जिसके कारण पूरा स्टेडियम जानवरो का चारागाह बन कर रह गया है।


Body:स्टेडियम की हालत ऐसी है कि किसी प्रकार का खेल नहीं हो सकता है। जिला स्टेडियम होने के नाते यहां खेल के साथ-साथ कई प्रकार की बहालियों का यह मुख्य केंद्र बना। कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता रहा। बावजूद इसके सरकारी स्तर पर इसका कोई ध्यान नहीं रखा गया। एक बहुत बड़ा भूभाग होने के कारण उम्मीद थी कि यह एक अच्छा स्टेडियम बन सकेगा और यहां से खेल कर खिलाड़ी खुद को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकेंगे लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण यह यूं ही बेकार साबित हो रहा है। स्टेडियम में फैली झाड़ियां, यहां के दर्शक दीर्घा एवं खिलाड़ियों के कमरा जीर्ण शीर्ण अवस्था मे है।
बाइट। विकास कुमार, खिलाड़ी
बाइट। संचित कुमार, खिलाड़ी
बाइट। योगेंद्र सिंह, जिलाधिकारी, नालंदा


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