नालंदा: स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वालों में हिलसा के वीर सपूतों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. यहां तो अगस्त क्रांति के दौरान देश को आजाद कराने के लिए दीवाने नौजवानों ने न केवल हिलसा थाने पर तिरंगा लहराया था, बल्कि ब्रिटिश हुकूमत के सिपाहियों की वर्दी भी उतरवा ली थी. इससे बौखला कर ब्रिटिश सिपाहियों द्वारा अंधाधुंध गोली चलाई गई. इस फायरिंग में 11 नौजवान बलिदानी हो गए थे.
हिलसा थाने में सपूतों ने फहराया था तिरंगा: अंधाधुंध गोली से 11 नौजवान जो बलिदानी हुए थे, उनकी पहचान हो पाई थी जबकि दर्जनों ऐसे छात्र, किसान व स्थानीय लोग भी क्रांति का हिस्सा थे, जिनकी पहचान नहीं हो पाई और वह आज भी हिलसा थाना परिसर में बरगद पेड़ के नीचे दबे हैं.
ब्रिटिश सिपाहियों की उतारी थी वर्दी: स्थानीय जानकर अर्जुन विश्वकर्मा ने बताया है कि अनुमंडल के कई स्वतंत्रता सेनानियों की जिंदगी जेल में कटी थी. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 1942 की अगस्त क्रांति के दौरान पटना में एक साथ सात युवा बलिदानी हो गए थे. 11 अगस्त 1942 को पटना से आए छात्रों ने पटना में हुए गोलीकांड में बलिदानी साथियों को याद करते हुए हिलसा के रामबाबू हाई स्कूल के मैदान में एकत्रित होकर हिलसा थाना पर चढ़ाई करने की योजना बनाई थी.
अंग्रेजों ने की थी अंधाधुंध फायरिंग: 15 अगस्त 1942 को हिलसा के देशभक्त नौजवानों ने अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारों के साथ विशाल जुलूस निकालकर हिलसा थाने पर धावा बोल दिया था. इसमें आजादी के दीवाने 11 छात्र नौजवान बलिदान हो गए और दर्जनों जख्मी हो गए थे.
शवों पर पेट्रोल डालकर किया आग के हवाले: उस समय की क्रांति की यादों को संजोए बुजुर्गो से सुनी बातों के मुताबिक, शाम के वक्त भीड़ हटने पर 12 नौजवानों का लहूलुहान शरीर हिलसा थाने के ठीक सामने जमीन पर रखा था. उसी जमीन पर 12 नौजवानों का शरीर एकत्रित कर जलाने के लिए पुलिस ने पेट्रोल डाल दिया. पेट्रोल की ठंडक से मियां बीघा गांव के घायल नौजवान राम बिहारी त्रिवेदी होश में आ गए. वे कराहते हुए पानी की मांग करने लगे.पास के ही दुकानदार रामचंद्र साहब ने पहचाना था कि ये तो पोस्ट मास्टर बाबू के लड़के हैं.
एक स्वतंत्रता सेनानी को छोड़ा गया: तब सिपाहियों ने चिता पर से उन्हें अलग कर पानी पिलाया था. पानी पीने के बाद होश आने पर उन्होंने चिता पर पड़े अपने 11 साथियों की गिनती की थी. उन्हें उपचार के लिए पटना पहुंचाया गया था. इसके बाद वहीं पर 11 शहीदों को आग के हवाले कर दिया गया था.
11 शहीदों के नाम: इसमें हिलसा थाने के इंदौत के 20 वर्षीय भीमसेन महतो भी थे. भीमसेन महतो के भतीजे सीताराम प्रसाद ने बताया कि वे इनके चाचा थे. हमारे पिता जी 5 भाई जिनमें भीमसेन तीसरे नंबर पर थे और हिलसा के रामबाबू हाई स्कूल में 10वीं कक्षा का छात्र था. जबकि दूसरा बढ़नपुरा के 20 वर्षीय सदाशिव महतो, बनबारा के 32 वर्षीय केवल महतो, हिलसा के 18 वर्षीय सुखारी चौधरी, गन्नीपुर के 21 वर्षीय दुखन राम, बनबारीपुर के 18 वर्षीय रामचरित्रर दुसाध , हिलसा के 25 वर्षीय शिवजी राम, मलावां के 19 वर्षीय हरिनंदन सिंह, बनबारा के 21 वर्षीय भोला सिंह, कछियावां के 28 वर्षीय बालगोविद ठाकुर एवं कछियावां 18 वर्षीय नारायण पांडेय शामिल थे.
गोली लगने से भीमसेन की मौत: इस संबंध में बताया जाता है कि उसी दिन हिलसा के श्री भगवान सिंह, जमुआरा के सहदेव सिंह एवं अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर हाजत में बंद कर रखा था. दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी भीमसेन महतो के चाचा ने बताया कि आजादी के समय अपने काम को बताया करते थे. उस समय उन्हें पुलिस की गोली सीने में लगी जिससे वहीं पर भीमसेन महतो की मौत हो गयी.