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नालंदाः कर्ज वसूली पर रोक लगाने की मांग को लेकर जीविका दीदियों ने किया प्रदर्शन

जीविका दीदियों ने कहा कि उनपर कर्ज लौटाने का दबाव बनाया जा रहा है. यहां तक की उनके खाते में जमा राशि को भी निकालने की अनुमति नहीं है. प्रदर्शनकारियों ने ऋण वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाने की मांग की.

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Published : Sep 16, 2020, 10:53 PM IST

नालंदा: जीविका समूह से जुड़ी महिलाओं के ऋण वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया गया. अखिल भारतीय खेत ग्रामीण मजदूर सभा के नेतृत्व में हुए यह प्रदर्शन बिहार शरीफ स्थित श्रम कल्याण केंद्र में किया गया. जिसमें दर्जनों महिलाएं शामिल हुई. इस दौर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई.

'बैंक खाते से पैसे निकालने की अनुमति नहीं'
जीविका दीदियों ने कहा कि उनपर कर्ज लौटाने का दबाव बनाया जा रहा है. यहां तक की उनके खाते में जमा राशि को भी निकालने की अनुमति नहीं है. उन्होंने बताया कि उनका परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में वे ऋण के पैसे चुकाना पाना संभव नहीं है.

पेश है रिपोर्ट

'लॉकडाउन ने तोड़ी लोगों की कमर'
खेग्रामस के जिला सचिव रामधारी दास ने कहा कि जीविका से जुड़ी महिलाएं जो भी ऋण ली थी. वह पैसे चुकाने की स्थिति में नहीं है. सरकार की ओर से जारी की गई नोट बंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बैठा दिया था. उसके बाद हुए लॉकडाउन ने लोगों की कमर तोड़ दी है.

'ऋण माफी के अलावा दूसरा विकल्प नहीं'
रामधारी दास ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की इस दिया में पहल कर जीविका दीदियों का ऋण मांफ कर देनी चाहिए. क्योंकि इसके अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है. सरकार ऋण मांफ कर नए सिरे से रोजगार उपलब्ध कराए. तब जाकर अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी.

नालंदा: जीविका समूह से जुड़ी महिलाओं के ऋण वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया गया. अखिल भारतीय खेत ग्रामीण मजदूर सभा के नेतृत्व में हुए यह प्रदर्शन बिहार शरीफ स्थित श्रम कल्याण केंद्र में किया गया. जिसमें दर्जनों महिलाएं शामिल हुई. इस दौर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई.

'बैंक खाते से पैसे निकालने की अनुमति नहीं'
जीविका दीदियों ने कहा कि उनपर कर्ज लौटाने का दबाव बनाया जा रहा है. यहां तक की उनके खाते में जमा राशि को भी निकालने की अनुमति नहीं है. उन्होंने बताया कि उनका परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में वे ऋण के पैसे चुकाना पाना संभव नहीं है.

पेश है रिपोर्ट

'लॉकडाउन ने तोड़ी लोगों की कमर'
खेग्रामस के जिला सचिव रामधारी दास ने कहा कि जीविका से जुड़ी महिलाएं जो भी ऋण ली थी. वह पैसे चुकाने की स्थिति में नहीं है. सरकार की ओर से जारी की गई नोट बंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बैठा दिया था. उसके बाद हुए लॉकडाउन ने लोगों की कमर तोड़ दी है.

'ऋण माफी के अलावा दूसरा विकल्प नहीं'
रामधारी दास ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की इस दिया में पहल कर जीविका दीदियों का ऋण मांफ कर देनी चाहिए. क्योंकि इसके अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है. सरकार ऋण मांफ कर नए सिरे से रोजगार उपलब्ध कराए. तब जाकर अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी.

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