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मुजफ्फरपुर: मार्च में ही बढ़ने लगा तापमान, लीची के फसल पर मंडराने लगे संकट के बादल - लीची अनुसंधान केंद्र

देश-विदेश में पहचान बना चुकी मुजफ्फरपुर की लीची (Muzaffarpur Litchi Crop) के उत्पादक किसानों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. पहले कोरोना महामारी से अब बढ़ते तापमान से लीची के किसानों (Litchi Farmers In Muzaffarpur) की चिंता बढ़ने लगी है. पढ़ें पूरी खबर..

Weather Effect on litchi crop in Muzaffarpur
Weather Effect on litchi crop in Muzaffarpur
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Published : Mar 24, 2022, 2:04 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार में मार्च महीने में ही तापमान के 40 डिग्री के आसपास पहुंच जाने के कारण इस साल लीची के फसल पर संकट (Weather Effect On Litchi Crop In Muzaffarpur) के बादल मंडराने लगे हैं. इस साल हालांकि लीची के पेड़ों पर भरपूर मंजर आया है. मार्च में अचानक तापमान में तेजी से वृद्धि होने के कारण उद्यान मालिकों और इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों की चिंता बढ़ने लगी है. उन्हें मंजर झड़ने का डर सताने लगा है.

यह भी पढ़ें - लीची के बगीचों में कड़कनाथ जैसे मुर्गों की फार्मिंग, किसानों को हो रहा डबल फायदा

लीची के फसल पर संकट: मुजफ्फरपुर जिले के सकरा के रहने वाले और किसान श्री पुरस्कार से सम्मानित एस के दुबे कहते हैं कि मार्च में तापमान बढ़ते हुए दिन में 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया है. इससे न केवल लीची को बल्कि आम की पैदावार भी प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि पिछले साल अधिक जलजमाव रहने के कारण लीची में मंजर कम लगे थे, इस साल मौसम अनुकूल होने के कारण भरपूर मंजर लगा है लेकिन मार्च में लगातार तापमान में हो रही है, वृद्धि से मंजर के झड़ने की आशंका है.

किसानों को घबराने की जरूरत नहीं: इधर, कुछ किसानों का मानना है कि अभी तक जो तापमान है उससे किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है. किसान को बगान में नमी बरकरार रखने की जरूरत है. मंजर पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक शेषधर पांडेय भी मानते हैं कि तापमान में वृद्धि लीची के मंजरों के लिए नुकसान हो सकता है. उन्होंने आईएएनएस को बताया कि फिलहाल डरने की बात नहीं है. किसान लीची में बगीचों में नमी रखकर मंजर को बचा सकते हैं. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि 10 से 15 दिनों के अंदर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा, तब परेशानी बढ़ जाएगी.

यह भी पढ़ें - बिहार से ब्रिटेन भेजी गई मुजफ्फरपुर के किसानों की शाही लीची, मिला फाइटोसैनिटरी सर्टिफिकेट

लीची अनुसंधान केंद्र (Litchi Research Center) के निर्देशक शेषधर पांडेय कहते हैं कि अब 10 दिनों के अंदर मंजर में दाने आने लगेंगे. इस कारण बहुत क्षति होने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि बगीचों में नमी नहीं हो तो किसान हल्की सिंचाई करें, जिससे नमी बरकरार रहे. बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर के अलावा वैशाली, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, कटिहार और समस्तीपुर सहित अन्य जिलों में भी लीची के बगीचे हैं. मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश से लेकर विदेशों में प्रसिद्ध है.

यह भी पढ़ें - Muzaffarpur: शाही लीची की इंटरनेशनल ब्रांडिंग, लंदन में सफल मार्केटिंग के बाद अन्य देशों पर नजर

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मुजफ्फरपुर: बिहार में मार्च महीने में ही तापमान के 40 डिग्री के आसपास पहुंच जाने के कारण इस साल लीची के फसल पर संकट (Weather Effect On Litchi Crop In Muzaffarpur) के बादल मंडराने लगे हैं. इस साल हालांकि लीची के पेड़ों पर भरपूर मंजर आया है. मार्च में अचानक तापमान में तेजी से वृद्धि होने के कारण उद्यान मालिकों और इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों की चिंता बढ़ने लगी है. उन्हें मंजर झड़ने का डर सताने लगा है.

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लीची के फसल पर संकट: मुजफ्फरपुर जिले के सकरा के रहने वाले और किसान श्री पुरस्कार से सम्मानित एस के दुबे कहते हैं कि मार्च में तापमान बढ़ते हुए दिन में 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया है. इससे न केवल लीची को बल्कि आम की पैदावार भी प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि पिछले साल अधिक जलजमाव रहने के कारण लीची में मंजर कम लगे थे, इस साल मौसम अनुकूल होने के कारण भरपूर मंजर लगा है लेकिन मार्च में लगातार तापमान में हो रही है, वृद्धि से मंजर के झड़ने की आशंका है.

किसानों को घबराने की जरूरत नहीं: इधर, कुछ किसानों का मानना है कि अभी तक जो तापमान है उससे किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है. किसान को बगान में नमी बरकरार रखने की जरूरत है. मंजर पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक शेषधर पांडेय भी मानते हैं कि तापमान में वृद्धि लीची के मंजरों के लिए नुकसान हो सकता है. उन्होंने आईएएनएस को बताया कि फिलहाल डरने की बात नहीं है. किसान लीची में बगीचों में नमी रखकर मंजर को बचा सकते हैं. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि 10 से 15 दिनों के अंदर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा, तब परेशानी बढ़ जाएगी.

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लीची अनुसंधान केंद्र (Litchi Research Center) के निर्देशक शेषधर पांडेय कहते हैं कि अब 10 दिनों के अंदर मंजर में दाने आने लगेंगे. इस कारण बहुत क्षति होने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि बगीचों में नमी नहीं हो तो किसान हल्की सिंचाई करें, जिससे नमी बरकरार रहे. बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर के अलावा वैशाली, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, कटिहार और समस्तीपुर सहित अन्य जिलों में भी लीची के बगीचे हैं. मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश से लेकर विदेशों में प्रसिद्ध है.

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