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मुजफ्फरपुर में बाढ़ पीड़ितों का आशियाना तबाह, खानाबदोश जीवन जीने को विवश हैं लोग

मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी ने सबसे ज्यादा तबाही जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूर स्थित कोल्हुआ पैगंबरपुर पंचायत में मचाई है. आलम ये है कि करीब 25 हजार की आबादी वाले इस पंचायत के आधे से ज्यादा वार्ड बाढ़ की चपेट में हैं. वहीं ग्रामीण अपने घरों को छोड़ बूढ़ी गंडक नदी के बांध पर शरण लिए हुए हैं.

मुजफ्फरपुर
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Published : Aug 10, 2020, 4:59 PM IST

मुजफ्फरपुर : जिले में बूढ़ी गंडक नदी का कहर बदस्तूर जारी है. स्थिति इतनी भयावह है कि गांव के गांव तबाह और सैकड़ों परिवारों का आशियाना उजड़ गया है. वहीं हैरत की बात है कि सरकारी योजनाएं स्थानीय बाढ़ पीड़ितों तक अब तक नहीं पहुंच पाई है. जिस कारण बाढ़ पीड़ित परिवार खानाबदोश जिंदगी जीने को विवश हैं.

मुजफ्फरपुर
खानाबदोश जीवन जीने को विवश बाढ़ पीड़ित

मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी ने सबसे ज्यादा तबाही जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूर स्थित कोल्हुआ पैगंबरपुर पंचायत में मचाई है. आलम ये है कि करीब 25 हजार की आबादी वाले इस पंचायत के आधे से ज्यादा वार्ड बाढ़ की चपेट में हैं. वहीं ग्रामीण अपने घरों को छोड़ बूढ़ी गंडक नदी के बांध पर शरण लिए हुए हैं. बाढ़ पीड़ित परिवारों को राहत के नाम पर जिला प्रशासन ने एक पौलिथीन देने से ज्यादा अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मदद की आस में ग्रामीण
गौरतलब है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए कई योजनाओं के तहत काम करने का दावा सरकार ग्रामीणों तक मदद पहुंचाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है. कोल्हुआ पैगम्बरपुर पंचायत के बांध पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि मदद के नाम पर सरकार द्वारा एक पॉलिथीन मिला है. इसके बाद गांव में कोई देखने तक नहीं आया है. स्थानीय आज भी सरकारी मदद की आस लगाए बैठे हैं.

मुजफ्फरपुर : जिले में बूढ़ी गंडक नदी का कहर बदस्तूर जारी है. स्थिति इतनी भयावह है कि गांव के गांव तबाह और सैकड़ों परिवारों का आशियाना उजड़ गया है. वहीं हैरत की बात है कि सरकारी योजनाएं स्थानीय बाढ़ पीड़ितों तक अब तक नहीं पहुंच पाई है. जिस कारण बाढ़ पीड़ित परिवार खानाबदोश जिंदगी जीने को विवश हैं.

मुजफ्फरपुर
खानाबदोश जीवन जीने को विवश बाढ़ पीड़ित

मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी ने सबसे ज्यादा तबाही जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूर स्थित कोल्हुआ पैगंबरपुर पंचायत में मचाई है. आलम ये है कि करीब 25 हजार की आबादी वाले इस पंचायत के आधे से ज्यादा वार्ड बाढ़ की चपेट में हैं. वहीं ग्रामीण अपने घरों को छोड़ बूढ़ी गंडक नदी के बांध पर शरण लिए हुए हैं. बाढ़ पीड़ित परिवारों को राहत के नाम पर जिला प्रशासन ने एक पौलिथीन देने से ज्यादा अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मदद की आस में ग्रामीण
गौरतलब है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए कई योजनाओं के तहत काम करने का दावा सरकार ग्रामीणों तक मदद पहुंचाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है. कोल्हुआ पैगम्बरपुर पंचायत के बांध पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि मदद के नाम पर सरकार द्वारा एक पॉलिथीन मिला है. इसके बाद गांव में कोई देखने तक नहीं आया है. स्थानीय आज भी सरकारी मदद की आस लगाए बैठे हैं.

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