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मुजफ्फरपुर: सिकंदरपुर मुक्तिधाम का अनूठा शवदाह गृह - Funeral completed in just one hour

मुजफ्फरपुर का सिकंदरपुर मुक्तिधाम इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. सूबे के अनूठे शवदाहगृह का खासियत ही कुछ ऐसी है. लकड़ी संचालित इस ग्रीन शवदाह गृह में महज एक घंटे में अंत्येष्टि पूरी हो रही है. जिससे लकड़ी की भी बचत हो रही है. देखिए रिपोर्ट.

मुजफ्फरपुर
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Published : Feb 2, 2021, 11:15 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिजली के बगैर शव की अंत्येष्टि की प्रक्रिया प्रदूषण मुक्त होने की कल्पना नहीं की जा सकती है. लेकिन अब ये कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है. जिले के सिकंदरपुर मुक्तिधाम में ग्रीन ऊर्जा पर आधारित शवदाहगृह से अब प्रदूषणमुक्त अंत्येष्टि हो रही है. लकड़ी से संचालित इस आधुनिक शवदाहगृह को शहर के समाजिक संगठन के सहयोग से स्थापित किया है.

महज एक घंटे में अंत्येष्टि पूरी
महज एक घंटे में अंत्येष्टि पूरी

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ढाई मन लकड़ी में ही अंत्येष्टि
ग्रीन शवदाहगृह नौ मन लकड़ी की जगह दो से ढाई मन लकड़ी में ही शव का अंतिम संस्कार हो रहा है. लकड़ी आधारित ऊर्जा प्रदूषण मुक्त पारंपरिक शवदाह संयंत्र का विकास बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी विभाग के छात्रों ने किया है.

सिकंदरपुर मुक्तिधाम
सिकंदरपुर मुक्तिधाम

ग्रीन शवदाहगृह से प्रदूषण मुक्त अंत्येष्टि
दरअसल, ये संयंत्र लकड़ी के जलने से बिजली बनाता है. जिसकी मदद से बेहद कम लकड़ी के इस्तेमाल से ही शवों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी हो जाती है. जिससे पर्यावरण के संरक्षण के साथ-साथ प्रदूषण भी कम होता है. इस विधि से अंतिम संस्कार का खर्च भी कम हो जाता है.

अनूठा शवदाह गृह

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हिन्दू रीति-रिवाज का भी अनुपालन
इस तरीके से दाह-संस्कार करने में हिन्दू रीति-रिवाज की भावना का भी अनुपालन होता है. प्रदूषण मुक्त शवदाह की यह व्यवस्था सिकंदरपुर मुक्तिधाम में शुरू हो चुकी है, जहा अभी तक 17 शवो की अंतिम संस्कार इस संयंत्र से हो चुका है. इससे पहले इस तरह का एक संयत्र काठमांडू के भष्मेश्वर घाट में सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है. मुजफ्फरपुर में चालीस लाख रुपये की लागत से लकड़ी आधारित ऊर्जा प्रदूषण मुक्त पारंपरिक शवदाह संयंत्र स्थापित किया गया है.

मुजफ्फरपुर: बिजली के बगैर शव की अंत्येष्टि की प्रक्रिया प्रदूषण मुक्त होने की कल्पना नहीं की जा सकती है. लेकिन अब ये कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है. जिले के सिकंदरपुर मुक्तिधाम में ग्रीन ऊर्जा पर आधारित शवदाहगृह से अब प्रदूषणमुक्त अंत्येष्टि हो रही है. लकड़ी से संचालित इस आधुनिक शवदाहगृह को शहर के समाजिक संगठन के सहयोग से स्थापित किया है.

महज एक घंटे में अंत्येष्टि पूरी
महज एक घंटे में अंत्येष्टि पूरी

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ढाई मन लकड़ी में ही अंत्येष्टि
ग्रीन शवदाहगृह नौ मन लकड़ी की जगह दो से ढाई मन लकड़ी में ही शव का अंतिम संस्कार हो रहा है. लकड़ी आधारित ऊर्जा प्रदूषण मुक्त पारंपरिक शवदाह संयंत्र का विकास बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी विभाग के छात्रों ने किया है.

सिकंदरपुर मुक्तिधाम
सिकंदरपुर मुक्तिधाम

ग्रीन शवदाहगृह से प्रदूषण मुक्त अंत्येष्टि
दरअसल, ये संयंत्र लकड़ी के जलने से बिजली बनाता है. जिसकी मदद से बेहद कम लकड़ी के इस्तेमाल से ही शवों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी हो जाती है. जिससे पर्यावरण के संरक्षण के साथ-साथ प्रदूषण भी कम होता है. इस विधि से अंतिम संस्कार का खर्च भी कम हो जाता है.

अनूठा शवदाह गृह

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हिन्दू रीति-रिवाज का भी अनुपालन
इस तरीके से दाह-संस्कार करने में हिन्दू रीति-रिवाज की भावना का भी अनुपालन होता है. प्रदूषण मुक्त शवदाह की यह व्यवस्था सिकंदरपुर मुक्तिधाम में शुरू हो चुकी है, जहा अभी तक 17 शवो की अंतिम संस्कार इस संयंत्र से हो चुका है. इससे पहले इस तरह का एक संयत्र काठमांडू के भष्मेश्वर घाट में सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है. मुजफ्फरपुर में चालीस लाख रुपये की लागत से लकड़ी आधारित ऊर्जा प्रदूषण मुक्त पारंपरिक शवदाह संयंत्र स्थापित किया गया है.

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