ETV Bharat / state

मुजफ्फरपुर: लॉकडाउन से फीका पड़ा तरबूज का रंग, बड़े नुकसान की आशंका से सहमे किसान

मुजफ्फरपुर के सरैया प्रखंड के रेवा के पास गंडक नदी के किनारे बसे 50 से अधिक गांवों में तरबूज की खेती होती है. तरबूज उगाने में लाखों रुपये लगाने वाले किसान नुकसान की आशंका से सहमे हुए हैं.

तरबूज की खेती
तरबूज की खेती
author img

By

Published : May 23, 2020, 2:13 PM IST

Updated : May 23, 2020, 3:51 PM IST

मुजफ्फरपुर: लॉकडाउन की वजह से जिले के तरबूज उत्पादकों को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा रहा है. तरबूज की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. जहां उनकी ओर से कर्ज लेकर खेती में लगाई गई पूंजी भी दांव पर है.

वहीं, लॉकडाउन में पुलिस प्रशासन की सख्ती के चलते किसान तरबूज को मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से खेतों में तैयार तरबूज वाहनों की आवाजाही नहीं होने के चलते मंडी तक नहीं पहुंच रहे हैं. वहीं, दवाइयां नहीं मिलने के चलते फसल को बीमारियों से भी नुकसान हो रहा है.

muzaffarpur
तरबूज की खेती

तरबूज की खेती पर पड़ा लॉकडाउन का असर
जिले के सरैया प्रखंड के रेवा के पास गंडक नदी के किनारे बसे 50 से अधिक गांवों में तरबूज की खेती होती है. तरबूज उगाने में लाखों रुपये लगाने वाले किसान नुकसान की आशंका से सहमे हुए हैं. सबसे अधिक तरबूज की खेती गाडिगमा, रेवा घाट, कुकुड़िया और रामदवली दियारा में होती है. तरबूज किसानों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उन पर दोहरी मार पड़ रही है. पिछले एक महीने से बाजार में फसल के लिए दवाइयां मुश्किल से मिल रही है और जो दवाइयां उपलब्ध हैं. उनकी कीमत भी बढ़ गई है. दवाइयों का इस्तेमाल नहीं होने से तरबूज की बेलें सूख रही हैं जिससे नुकसान बढ़ गया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बड़े पैमाने पर होती है तरबूज की खेती
बता दें कि कि मुजफ्फरपुर के सरैया प्रखंड का एक बड़ा भूभाग गंडक नदी के दियारा में आता है. जहां बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती होती है. यहां हर साल सैकड़ों टन तरबूज उगाया जाता है. जिससे किसानों की अच्छी आमदनी का जरिया तरबूज होता था. लेकिन इस साल लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की वजह से किसानों की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

मुजफ्फरपुर: लॉकडाउन की वजह से जिले के तरबूज उत्पादकों को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा रहा है. तरबूज की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. जहां उनकी ओर से कर्ज लेकर खेती में लगाई गई पूंजी भी दांव पर है.

वहीं, लॉकडाउन में पुलिस प्रशासन की सख्ती के चलते किसान तरबूज को मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से खेतों में तैयार तरबूज वाहनों की आवाजाही नहीं होने के चलते मंडी तक नहीं पहुंच रहे हैं. वहीं, दवाइयां नहीं मिलने के चलते फसल को बीमारियों से भी नुकसान हो रहा है.

muzaffarpur
तरबूज की खेती

तरबूज की खेती पर पड़ा लॉकडाउन का असर
जिले के सरैया प्रखंड के रेवा के पास गंडक नदी के किनारे बसे 50 से अधिक गांवों में तरबूज की खेती होती है. तरबूज उगाने में लाखों रुपये लगाने वाले किसान नुकसान की आशंका से सहमे हुए हैं. सबसे अधिक तरबूज की खेती गाडिगमा, रेवा घाट, कुकुड़िया और रामदवली दियारा में होती है. तरबूज किसानों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उन पर दोहरी मार पड़ रही है. पिछले एक महीने से बाजार में फसल के लिए दवाइयां मुश्किल से मिल रही है और जो दवाइयां उपलब्ध हैं. उनकी कीमत भी बढ़ गई है. दवाइयों का इस्तेमाल नहीं होने से तरबूज की बेलें सूख रही हैं जिससे नुकसान बढ़ गया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बड़े पैमाने पर होती है तरबूज की खेती
बता दें कि कि मुजफ्फरपुर के सरैया प्रखंड का एक बड़ा भूभाग गंडक नदी के दियारा में आता है. जहां बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती होती है. यहां हर साल सैकड़ों टन तरबूज उगाया जाता है. जिससे किसानों की अच्छी आमदनी का जरिया तरबूज होता था. लेकिन इस साल लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की वजह से किसानों की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

Last Updated : May 23, 2020, 3:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.