मुजफ्फरपुर: वैसे तो कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते एक आम आदमी से लेकर व्यापारी और छोटे दुकानदारों के जनजीवन पर बहुत असर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण दुकानें बंद करने से परिवार चलाना मुश्किल हो गया. कुछ लोग अन्य राज्यों के लिए भी पलायन करने को मजबूर दिखे. वहीं, बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) जिले में राजस्थान से पहुंचे मूर्तिकार भी दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन और बारिश (Heavy Rain In Muzaffarpur) के कारण उनका व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया है.
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दरअसल पिछले कुछ वर्षों से राजस्थान (Rajasthan Sculptors) से आने वाले कारीगर मुजफ्फरपुर में जगह-जगह सड़क किनारे अस्थायी बसेरा बनाकर प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाकर बेचा करते थे. जिससे इनकी अच्छी आमदनी हुआ करती थी. इसी का नतीजा है कि ये कारीगर हर साल राजस्थान से मुजफ्फरपुर की ओर रुख कर व्यवसाय करने आते हैं.
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इस साल मूर्तिकार की कमाई दो महीने तक लगाए गए लॉकडाउन की भेंट चढ़ गई. ईटीवी भारत (ETV Bharat) की टीम ने जब मूर्तिकारों से उनका हाल जाना, तो उनका कहना था कि पहले तो लॉकडाउन और अब बिहार में बाढ़ (Flood In Bihar) और बारिश की तबाही ने व्यवसाय को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. नतीजा यह है कि पिछले एक महीने से घर बैठे हुए हैं. प्रवासी और कारीगरों के सामने भुखमरी की स्थिति बनी हुई है. मूर्ति बेचकर हजारों कमाने वाले हाथ में इन दिनों दाने-दाने के लाले पड़े हैं.
मूर्तिकारों का कहना है कि बारिश संकट के कारण मूर्तियों का निर्माण सही से नहीं हो पा रहा है. जो भी मूर्तियां बना रहे हैं, वे सभी बारिश की भेंट चढ़ जा रही है. बारिश के कारण मूर्तियां सूखने की बजाय गीली हो जा रही हैं. जिससे भारी नुकसान हो रहा है. दूसरी ओर बारिश के कारण ग्राहक भी नहीं जुट रहे हैं.
कारीगरों ने बताया कि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. पहले मूर्तियां बनाकर दो वक्त की रोटी के लिए पैसे जुटा लेते थे. लेकिन इस वर्ष बदहाली का आलम यह है कि मूर्तियों में रंग भरने वाले कलाकारों का ही जीवन बेरंग होने लगा है.
'लॉकडाउन की वजह से हम दु:खी हो गए हैं. माल लेने के लिए बहुत सारे कर्ज भी हो गए हैं. साथ ही बारिश के कारण मूर्तियां भी टूट गई हैं. सारी पूंजी खत्म हो गई है. हमलोगों के सामने खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं.' -सीता देवी, मूर्तिकार