मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तो धीमी हो गयी है. लेकिन इसी बीच अब चमकी बुखार ( Chamki Fever In Muzaffarpur ) भी तेजी से पांव पसारने लगा है. एक बार फिर से चमकी बुखार के एक मामले सामने आए हैं. जांच के बाद बच्ची में एईएस होने की पुष्टि एसकेएमसीएच ( SKMCH ) प्रशासन ने कर दी है.
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बारिश के बाद चमकी के केस में वृद्धि
लगातार हो रही बारिश और उसके बाद उमस भरी गर्मी की वजह से फिर चमकी बुखार से जुड़े मामले में तेजी से बढ़ रहे हैं. मधेपुरा जिला के मुरलीगंज की छह वर्षीया बच्ची श्वेता कुमारी को चमकी की शिकायत के बाद गंभीर हालत में सोमवार को एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में भर्ती किया गया है. जांच के बाद बच्ची में एईएस होने की पुष्टि एसकेएमसीएच प्रशासन ने कर दी है.
बच्ची की हालत नाजुक
अस्पताल के अनुसार बच्ची की स्थिति अभी भी बेहद नाजुक बनी हुई है. फिलहाल श्वेता का इलाज एसकेएमसीएच में चिकित्सकों की गहन निगरानी में जारी है. गौरतलब है एसकेएमसीएच में अब तक चमकी बुखार के 33 केस सामने आ चुके हैं. जिसमें इलाज के दौरान 8 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं बाकी बच्चे ठीक हो कर घर जा चुके हैं.
चमकी बुखार से निपटने की तैयारी तेज
एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में किसी भी आपात हालात से निपटने को लेकर तैयारी तेज कर दी गई है. एसकेएमसीएच के उपाधीक्षक और अस्पताल के शिशु रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी खुद तमाम तैयारियों पर नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि तेज गर्मी के मद्देनजर अभी छोटे बच्चों का विशेष ख्याल रखने की जरूरत पर बल दिया जाए.
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क्या हैं बचाव के उपाए:
- जैपीनीज एनसेफलाइटीस की वैक्सीन: एसे एरिया में रहने वाले बच्चे को ये वैक्सीन दे सकते हैं.
- मच्छरों से बच कर रहें. ऐसी बीमारियां मस्क्योटो बाइट से ये ज्यादा फैलती हैं.
- बच्चों को उन जगहों पर न जाने दें, जहां पक्षियां और सूअर रहते हैं.
- अपने घर और आसपास की जगहों को साफ-सूथरा रखें.
- खाना खाने से पहले और बाद में साबून से हाथ जरूर धोएं.
- बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर में तरल पदार्थ देते रहें ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.
- बच्चों के शरीर में ग्लूकोज की कमी न होने दें.
अभिभावक क्या एहतियात बरतें?
- बच्चे को हल्का बुखार होने पर अभिभावक बिना देर किए उसे डॉक्टर के पास ले जाएं.
- जरूरी है कि बच्चे का ब्लड प्रेशर मेंटेन रहे.
- बच्चे का ग्लूकोज का स्तर बना रहे.
- लक्षण सामने आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर के पास बच्चों को ले जाया जाए.
- जरूरी नहीं बड़े अस्पताल में ही जाएं, किसी भी अस्पताल में पहुंचकर प्राथमिक इलाज कराएं.
- इधर उधर भागने में समय व्यतीत होता है और ये नुकसानदेह हो सकता है.
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