मुजफ्फरपुर: जिले के करजा थाना प्रभारी समेत 18 पुलिसकर्मियों पर डकैती का केस का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अहियापुर (Ahiyapur) पुलिस पर 3 युवकों को झूठे केस में फंसाने का मामला प्रकाश में आ गया है. आरोप है कि पुलिस ने जबरन गुनाह कबूल करवाने के लिए युवकों की पिटाई की. इस मामले में मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission) ने संज्ञान लिया है.
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, अहियापुर थाना क्षेत्र के राजापुनास गांव से पुलिस ने 3 युवकों को स्मैक और विदेशी शराब सप्लाई करने के मामले में 3 दिन पहले गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार आरोपियों में राजापुनास गांव के रितेश कुमार सिंह, लालबाबू राय और मनीष कुमार का नाम शामिल है. तीनों पर पुलिस ने एनडीपीएस और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है. तीनों को कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया है.
शराब कहीं मिला, फंसाया हमें गया
कोर्ट में पेशी से पहले पुलिस द्वारा युवकों की पिटाई किए जाने और जबरन गुनाह कबूल करवाने का एक वीडियो वायरल हो गया है. वायरल वीडियो में पीड़ित आरोपी बता रहे हैं कि उन्हें गिरफ्तार तो कर लिया गया, लेकिन कोर्ट में पेशी नहीं की गई है. स्मैक और शराब का झूठा केस उनपर मढ़ा गया है. वीडियो में पीड़ित आरोपियों ने अपने शरीर पर पिटाई से लगे जख्म भी दिखाए हैं. पिटाई के चलते वे शारीरिक रूप से काफी अस्वस्थ हैं. इसके बावजूद उन्हें मेडिकल रिपोर्ट में ठीक-ठाक बताया गया है.
मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते आरोपियों का वीडियो वायरल होने के बाद मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है. मानवाधिकार आयोग की टीम अहियापुर थाना पहुंची. मानवाधिकार आयोग के प्रोग्राम सेक्रेटरी पुष्कर सिंह ने थाना प्रभारी सुनील रजक से जानकारी ली.
"मानवाधिकार आयोग की टीम अहियापुर थाने की पुलिस द्वारा आरोपियों के साथ मारपीट मामले की जांच करने पहुंची है. प्रथम दृष्टया मामला मानवाधिकार उल्लंघन का प्रतीत होता है. टीम जेल में जाकर तीनों आरोपियों से भी पूछताछ करेगी."- पुष्कर सिंह, प्रोग्राम सेक्रेटरी, राज्य मानवाधिकार आयोग
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