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मुजफ्फरपुर: प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा रोजगार, बड़े शहरों की ओर करने लगे पलायन

लॉकडाउन के दौरान रोजगार ठप होने के कारण कई राज्यों से मजदूर अपने घर वापस आ गए थे, लेकिन अब रोजगार नहीं मिलने कारण फिर से वे बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे है.

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Published : Jun 7, 2020, 5:30 PM IST

मुजफ्फरपुर: लॉकडाउन में भूख, बेबसी और रोजगार ठप होने के कारण कई मुसीबतों को झेल कर घर वापस लौटने वाले बिहार के प्रवासी मजदूरों की हालत अभी भी हालत पूर्व की तरह ही है. बेरोजगारी के दंश और अपनी भूख मिटाने के लिए मजदूर सैकड़ों हजारों मील का सफर तय कर घर पहुंचे थे. वहां भी उन्हें चैन से दो रोटी नसीब नहीं हो रही है. स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने से परेशान बिहार के प्रवासी श्रमिक फिर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए जीवन को दांव पर लगाते हुए बड़े शहरों की तरफ रूख करने लगे है. हालांकि ऐसे मजदूरों की संख्या अभी काफी कम है.

Muzaffarpur
ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पर मजदूरों की भीड़

मजदूरों का पलायन करने का सिलसिला शुरू
रोजगार की तलाश में घर लौटे प्रवासी मजदूरों का दोबारा से अन्य राज्यों में पलायन शुरू हो चुका है. 1 जून से पूरे देश में ट्रेन सेवा शुरू होने के साथ ही बिहार के विभिन्न जिलों से प्रवासी मजदूरों का देश के अन्य राज्यों में जाने का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो गया है.

हालांकि श्रमिकों को उनके घरों से काम करने के लिए बुलाने वाले नियोजन इकाइयां और कंपनी मजदूरों को कई तरह के प्रलोभन के साथ-साथ आने के लिए ट्रेन का टिकट भी दे रहे है. मुजफ्फरपुर के कई प्रखंडों के साथ-साथ मोतिहारी और बेतिया से भी मजदूर पुणे और महाराष्ट्र के लिए निकले है.

देखें रिपोर्ट

मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट
वहीं, अपने गांव लौट कुछ प्रवासी मजदूर खेती में हाथ आजमा रहे है, लेकिन खेती में काम करके आमदनी करना और अपने परिवार के लिए पेट पालने में मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अपने गांव में लौटे कई मजदूर भी अब कोरोना संक्रमण के भय को फिर से पीछे छोड़ते हुए फिर महानगरों की तरफ पलायन करने का मन बना रहे है.

मुजफ्फरपुर: लॉकडाउन में भूख, बेबसी और रोजगार ठप होने के कारण कई मुसीबतों को झेल कर घर वापस लौटने वाले बिहार के प्रवासी मजदूरों की हालत अभी भी हालत पूर्व की तरह ही है. बेरोजगारी के दंश और अपनी भूख मिटाने के लिए मजदूर सैकड़ों हजारों मील का सफर तय कर घर पहुंचे थे. वहां भी उन्हें चैन से दो रोटी नसीब नहीं हो रही है. स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने से परेशान बिहार के प्रवासी श्रमिक फिर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए जीवन को दांव पर लगाते हुए बड़े शहरों की तरफ रूख करने लगे है. हालांकि ऐसे मजदूरों की संख्या अभी काफी कम है.

Muzaffarpur
ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पर मजदूरों की भीड़

मजदूरों का पलायन करने का सिलसिला शुरू
रोजगार की तलाश में घर लौटे प्रवासी मजदूरों का दोबारा से अन्य राज्यों में पलायन शुरू हो चुका है. 1 जून से पूरे देश में ट्रेन सेवा शुरू होने के साथ ही बिहार के विभिन्न जिलों से प्रवासी मजदूरों का देश के अन्य राज्यों में जाने का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो गया है.

हालांकि श्रमिकों को उनके घरों से काम करने के लिए बुलाने वाले नियोजन इकाइयां और कंपनी मजदूरों को कई तरह के प्रलोभन के साथ-साथ आने के लिए ट्रेन का टिकट भी दे रहे है. मुजफ्फरपुर के कई प्रखंडों के साथ-साथ मोतिहारी और बेतिया से भी मजदूर पुणे और महाराष्ट्र के लिए निकले है.

देखें रिपोर्ट

मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट
वहीं, अपने गांव लौट कुछ प्रवासी मजदूर खेती में हाथ आजमा रहे है, लेकिन खेती में काम करके आमदनी करना और अपने परिवार के लिए पेट पालने में मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अपने गांव में लौटे कई मजदूर भी अब कोरोना संक्रमण के भय को फिर से पीछे छोड़ते हुए फिर महानगरों की तरफ पलायन करने का मन बना रहे है.

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