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मुजफ्फरपुर: दीपावली में केले के पेड़ की है विशेष महत्ता, दुकानों में बढ़ी डिमांड - लोग केले के पत्ते खरीद रहे हैं

दीपावली-छठ के मौके पर केले के पत्ते की काफी बिक्री होती है. लोग इसे अपने घरों में लगाने के लिए ले जाते हैं. दुकानदार ने कहा कि अभी पर्व के मौके पर 50 से 60 रुपये जोड़े केले के पत्ते बेचे जा रहे हैं.

दीपावली में केला के पत्ते लगाने का खास महत्व
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Published : Oct 27, 2019, 8:44 PM IST

मुजफ्फरपुर: लोग घरों में दीपावली में मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए जोरो-शोरों से तैयारी कर रहे हैं. घरों की साफ-सफाई के साथ लोग आसपास की भी सफाई कर रहे हैं. साथ ही घरों की खास सजावट के लिए लोग केले के पत्ते खरीद रहे हैं. इससे बाजार में डिमांड बढ़ गई है. लोगों का मानना है कि घर के बाहर दीपावली में केला के पत्ते लगाने का खास महत्व होता है.

'केले का पेड़ होता है शुभ'
आचार्य पंडित धीरज झा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार केले के पत्ते शुभ माने जाते हैं. प्राचीन समय से ही पूजा में केले के पत्ते का विशेष महत्व है. उन्होंने कहा कि केले और भगवान विष्णु में गहरा संबंध है. इसके साथ केले के पेड़ में साक्षात देवगुरु बृहस्पति का वास होता है. इसलिए केले के पेड़ को काफी पवित्र माना जाता है. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए दीपावली में घरों के बाहर केले के पेड़ लगाए जाते हैं.

दीपावली पूजन पर केले के पेड़ की है विशेष महत्ता

दीपावली-छठ पर खूब होती है बिक्री
केले के पत्ते बेचने वाले दुकानदार ने बताया कि दीपावली-छठ के मौके पर केले के पत्ते की काफी बिक्री होती है. लोग इसे अपने घरों में लगाने के लिए ले जाते हैं. दुकानदार ने कहा कि अभी पर्व के मौके पर 50 से 60 रुपये जोड़े केले के पत्ते बेचे जा रहे हैं.

मुजफ्फरपुर: लोग घरों में दीपावली में मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए जोरो-शोरों से तैयारी कर रहे हैं. घरों की साफ-सफाई के साथ लोग आसपास की भी सफाई कर रहे हैं. साथ ही घरों की खास सजावट के लिए लोग केले के पत्ते खरीद रहे हैं. इससे बाजार में डिमांड बढ़ गई है. लोगों का मानना है कि घर के बाहर दीपावली में केला के पत्ते लगाने का खास महत्व होता है.

'केले का पेड़ होता है शुभ'
आचार्य पंडित धीरज झा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार केले के पत्ते शुभ माने जाते हैं. प्राचीन समय से ही पूजा में केले के पत्ते का विशेष महत्व है. उन्होंने कहा कि केले और भगवान विष्णु में गहरा संबंध है. इसके साथ केले के पेड़ में साक्षात देवगुरु बृहस्पति का वास होता है. इसलिए केले के पेड़ को काफी पवित्र माना जाता है. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए दीपावली में घरों के बाहर केले के पेड़ लगाए जाते हैं.

दीपावली पूजन पर केले के पेड़ की है विशेष महत्ता

दीपावली-छठ पर खूब होती है बिक्री
केले के पत्ते बेचने वाले दुकानदार ने बताया कि दीपावली-छठ के मौके पर केले के पत्ते की काफी बिक्री होती है. लोग इसे अपने घरों में लगाने के लिए ले जाते हैं. दुकानदार ने कहा कि अभी पर्व के मौके पर 50 से 60 रुपये जोड़े केले के पत्ते बेचे जा रहे हैं.

Intro:दीपों का पर्व दीपावली कार्तिक अमावस्या मनायी जाएगी। धन और सौभाग्य की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह खास दिवस है। प्रदोष काल में स्थिर लग्न में मां महालक्ष्मी की पूजा अतिफलदायी मानी जाती है।  श्रद्धालु शुभ के देवता गणेश,लाभ की देवी महालक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा-अर्चना करेंगे । मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए हर तबका अपनी-अपनी तैयारी कर रहा है। मां को प्रसन्न करने के लिए हर तरह के जतन किए जा रहे हैं। घरों की साफ-सफाई के साथ आसपास में भी सफाई हो रही है। घरों की खास सजावट की तैयारी है। इन सबके बीच केला के पेड़ का डिमांड बढ़ जाता है सौ से लेकर दो सौ रुपये जोड़ी केला का पेड़ बिकता है दीपावली में घर के बाहर केला के पेड़ लगाने का खास महत्व माना जाता हैBody:शास्त्रों के अनुसार केले के पत्ते शुभ माने जाते हैं और प्राचीन समय से ही पूजा में इनका विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि केले और भगवान विष्णु में गहरा संबंध है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले के पेड़ में साक्षात देवगुरु बृहस्पति का वास होता है। और केले का पेड़ काफी पवित्र पेड़ होता है। ऐसा कहा जाता है कि इसमें भगवान विष्णु का वास होता है। ऐसी मान्यता है कि लाभ की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए दीपावली में घरों के बाहर केले के पेड़ लगाए जाते हैं
 Byte संजय कुमार , दुकानदार ।
Byte मुकेश कुमार , खरीदार ।
Byte संजय कुमार दुकानदार ।
Byte पंडित धीरज झा आचार्य । Conclusion:गौरतलब है कि रामायण और महाभारत काल से ही देश में दीपावली की परंपरा है। मान्यता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से वापस अयोध्या लौटने और पांडवों के 13 वर्ष के वनवास-अज्ञातवास से लौटने पर लोगों ने दीप जलाकर अपनी खुशी का इजहार किया था। स्कंध पुराण,विष्णु पुराण के मुताबिक  भगवान विष्णु और श्री लक्ष्मी के विवाह के उपलक्ष्य में दीपावली मनायी जाती है। 
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