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खुदीराम बोस के 111वें शहादत दिवस पर लोगों ने दी श्रद्धांजलि, पूरी की गई उनकी इच्छा

मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा में आयोजित शहादत दिवस कार्यक्रम के मौके पर अमर शहीद खुदीराम बोस की दीदी अपूर्णा देवी के पोते सुब्रत राय आये. वो अपने साथ खुदीराम बोस की जन्मभूमि मिदनापुर की मिट्टी और उनके गांव से सटे गांव हबीबपुर के प्रसिद्ध सिद्धेश्वरी काली माता का चरणामृत लेकर पहुंचे और शहादत स्थल पर चढ़ाया.

खुदीराम बोस के चित्र पर माल्याअर्पण करते नगर विकास मंत्री
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Published : Aug 11, 2019, 2:43 PM IST

मुजफ्फरपुर: देश की आजादी के लिए सबसे कम उम्र में ही शहीद होने वाले अमर शहीद खुदीराम बोस को उनकी शहादत दिवस पर याद किया गया. इस अवसर पर मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा में उनके शहादत स्थल पर नगर विकास और आवास मंत्री सुरेश शर्मा, जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ उनके परिजनों ने श्रद्धा सुमन अर्पित की.

शहादत दिवस पर याद किये गये अमर शहीद खुदीराम बोस

केंद्रीय कारा में कार्यक्रम का आयोजन
मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा में आयोजित कार्यक्रम के इस मौके पर अमर शहीद खुदीराम बोस की दीदी अपूर्णा देवी के पोते सुब्रत राय पहुंचे. खुदीराम बोस के जन्मभूमि मिदनापुर की मिट्टी और उनके गांव से सटे गांव हबीबपुर के प्रसिद्ध सिद्धेश्वरी काली माता का चरणामृत लेकर वो पहुंचे और उनकी शहादत स्थल पर चढ़ाया.

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माल्यार्पण करते नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा

110 साल बाद पूरी हुई बोस की इच्छा
बताया जाता है कि 1947 में बांग्ला लेखक और अधिवक्ता ईशानचंद्र महापात्र की लिखित किताब में शहीद खुदीराम बोस के बारे में कई जानकारियां मिली. जिसमें यह जानकारी खास थी कि खुदीराम बोस को फांसी की सजा तय किये जाने के बाद उन्होंने जेल से मिदनापुर में रहने वाले अपने बहनोई अमृतबाबू को पत्र लिखा था. उस पत्र में उन्होंने अपनी चार अंतिम इच्छाएं जाहिर की थी. पहला कि वे एक बार अपने जन्मस्थान मिदनापुर को देखना चाहते हैं. दूसरी इच्छा की दीदी और भतीजा ललित से उनकी मुलाकात हो. तीसरी इच्छा यह जानने कि भतीजी शिवरानी की शादी ठीक से हो गई या नहीं और चौथी इच्छा सिद्धेश्वरी कालीमाता का चरणामृत पीने की थी. इसमें से उन्हें बताया कि उनकी भतीजी शिवरानी की शादी हो चुकी है. लेकिन तीन इच्छाएं शेष रह गई थीं. जिसे इस शहादत दिवस पर उनके परिजनों ने पूरा किया.

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खुदीराम बोस के चित्र पर पुष्प अर्पित करते पुलिस पदाधिकारी

शहादत स्थल पर किये गये याद
इसके बाद कम्पनी बाग स्थित खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी. वहीं, नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने अमर शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद बताया कि अमर शहीद खुदीराम बोस सबसे कम उम्र में देश की आजादी के लिए शहीद हुए थे. देश उनकी शहादत को नहीं भुला है. आज उनकी शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उनके परिजनों ने भी भाग लिया. मुजफ्फरपुर के लोगों के लिए आज का दिन काफी गौरवमयी है.

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प्रतिमा पर किया गया माल्यार्पण

मुजफ्फरपुर: देश की आजादी के लिए सबसे कम उम्र में ही शहीद होने वाले अमर शहीद खुदीराम बोस को उनकी शहादत दिवस पर याद किया गया. इस अवसर पर मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा में उनके शहादत स्थल पर नगर विकास और आवास मंत्री सुरेश शर्मा, जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ उनके परिजनों ने श्रद्धा सुमन अर्पित की.

शहादत दिवस पर याद किये गये अमर शहीद खुदीराम बोस

केंद्रीय कारा में कार्यक्रम का आयोजन
मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा में आयोजित कार्यक्रम के इस मौके पर अमर शहीद खुदीराम बोस की दीदी अपूर्णा देवी के पोते सुब्रत राय पहुंचे. खुदीराम बोस के जन्मभूमि मिदनापुर की मिट्टी और उनके गांव से सटे गांव हबीबपुर के प्रसिद्ध सिद्धेश्वरी काली माता का चरणामृत लेकर वो पहुंचे और उनकी शहादत स्थल पर चढ़ाया.

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माल्यार्पण करते नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा

110 साल बाद पूरी हुई बोस की इच्छा
बताया जाता है कि 1947 में बांग्ला लेखक और अधिवक्ता ईशानचंद्र महापात्र की लिखित किताब में शहीद खुदीराम बोस के बारे में कई जानकारियां मिली. जिसमें यह जानकारी खास थी कि खुदीराम बोस को फांसी की सजा तय किये जाने के बाद उन्होंने जेल से मिदनापुर में रहने वाले अपने बहनोई अमृतबाबू को पत्र लिखा था. उस पत्र में उन्होंने अपनी चार अंतिम इच्छाएं जाहिर की थी. पहला कि वे एक बार अपने जन्मस्थान मिदनापुर को देखना चाहते हैं. दूसरी इच्छा की दीदी और भतीजा ललित से उनकी मुलाकात हो. तीसरी इच्छा यह जानने कि भतीजी शिवरानी की शादी ठीक से हो गई या नहीं और चौथी इच्छा सिद्धेश्वरी कालीमाता का चरणामृत पीने की थी. इसमें से उन्हें बताया कि उनकी भतीजी शिवरानी की शादी हो चुकी है. लेकिन तीन इच्छाएं शेष रह गई थीं. जिसे इस शहादत दिवस पर उनके परिजनों ने पूरा किया.

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खुदीराम बोस के चित्र पर पुष्प अर्पित करते पुलिस पदाधिकारी

शहादत स्थल पर किये गये याद
इसके बाद कम्पनी बाग स्थित खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी. वहीं, नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने अमर शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद बताया कि अमर शहीद खुदीराम बोस सबसे कम उम्र में देश की आजादी के लिए शहीद हुए थे. देश उनकी शहादत को नहीं भुला है. आज उनकी शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उनके परिजनों ने भी भाग लिया. मुजफ्फरपुर के लोगों के लिए आज का दिन काफी गौरवमयी है.

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प्रतिमा पर किया गया माल्यार्पण
Intro:कम उम्र में ही अपने सपने को देश के लिए कुर्बान कर देने वाले अमर शहीद खुदीराम बोस की 112 वें शहादत दिवस को पारंपरिक तरीके से मनाया गया ।Body:11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा में फांसी पर चढ़े खुदीराम बोस के श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर शहर के गणमान्य व्यक्तियों के साथ सभी पदाधिकारी भी मौजूद थे. देर रात जेल में शहादत स्थल पर उन्हें पुष्प अर्पित किया गया. शहीद स्थल पर राजनेताओं सहित जिले के डीएम डीडीसी, एसएसपी और बाकी अधिकारियों ने पुष्प अर्पित किया. जेल के बाद कम्पनी बाग स्थित खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी.वही नगर विकाश व आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने जेल में शहादत स्थल पर पुष्प अर्पित करने के बाद बताया कि अमर शहीद खुदी राम बॉस सबसे कम उम्र में देश के लिए शहीद हुए थे ।
बाइट सुरेश शर्मा नगर विकाश मंत्री बिहार Conclusion:देश की आजादी में सबसे कम उम्र में फांसी के फंदे को चूमनेवाले अमर शहीद खुदीराम बोस की अंतिम इच्छा उनके परिजन अब पूरी करेंगे। 112वें शहादत दिवस पर केंद्रीय कारा में आयोजित समारोह में खुदीराम की जन्मभूमि मिदनापुर की मिट्टी और उनके गांव से सटे हबीबपुर के सिद्धेश्वरी काली मंदिर का चरणामृत लेकर दीदी अपूर्णा देवी के पोते सुब्रत राय पहुंचे । मिट्टी व चरणामृत को फांसी स्थल और चिताभूमि पर चढ़ाया गया ।
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