मुजफ्फरपुर: देश की आजादी के लिए सबसे कम उम्र में ही शहीद होने वाले अमर शहीद खुदीराम बोस को उनकी शहादत दिवस पर याद किया गया. इस अवसर पर मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा में उनके शहादत स्थल पर नगर विकास और आवास मंत्री सुरेश शर्मा, जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ उनके परिजनों ने श्रद्धा सुमन अर्पित की.
केंद्रीय कारा में कार्यक्रम का आयोजन
मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा में आयोजित कार्यक्रम के इस मौके पर अमर शहीद खुदीराम बोस की दीदी अपूर्णा देवी के पोते सुब्रत राय पहुंचे. खुदीराम बोस के जन्मभूमि मिदनापुर की मिट्टी और उनके गांव से सटे गांव हबीबपुर के प्रसिद्ध सिद्धेश्वरी काली माता का चरणामृत लेकर वो पहुंचे और उनकी शहादत स्थल पर चढ़ाया.
110 साल बाद पूरी हुई बोस की इच्छा
बताया जाता है कि 1947 में बांग्ला लेखक और अधिवक्ता ईशानचंद्र महापात्र की लिखित किताब में शहीद खुदीराम बोस के बारे में कई जानकारियां मिली. जिसमें यह जानकारी खास थी कि खुदीराम बोस को फांसी की सजा तय किये जाने के बाद उन्होंने जेल से मिदनापुर में रहने वाले अपने बहनोई अमृतबाबू को पत्र लिखा था. उस पत्र में उन्होंने अपनी चार अंतिम इच्छाएं जाहिर की थी. पहला कि वे एक बार अपने जन्मस्थान मिदनापुर को देखना चाहते हैं. दूसरी इच्छा की दीदी और भतीजा ललित से उनकी मुलाकात हो. तीसरी इच्छा यह जानने कि भतीजी शिवरानी की शादी ठीक से हो गई या नहीं और चौथी इच्छा सिद्धेश्वरी कालीमाता का चरणामृत पीने की थी. इसमें से उन्हें बताया कि उनकी भतीजी शिवरानी की शादी हो चुकी है. लेकिन तीन इच्छाएं शेष रह गई थीं. जिसे इस शहादत दिवस पर उनके परिजनों ने पूरा किया.
शहादत स्थल पर किये गये याद
इसके बाद कम्पनी बाग स्थित खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी. वहीं, नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने अमर शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के बाद बताया कि अमर शहीद खुदीराम बोस सबसे कम उम्र में देश की आजादी के लिए शहीद हुए थे. देश उनकी शहादत को नहीं भुला है. आज उनकी शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उनके परिजनों ने भी भाग लिया. मुजफ्फरपुर के लोगों के लिए आज का दिन काफी गौरवमयी है.